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Friday, 3 May, 2024
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आरएसएस कोरोनावायरस के दौर में ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के नाम से बंगाल में उतरी, क्या नज़र चुनावों पर हैं

कोलकाता नगर निगम समेत सौ से ज्यादा स्थानीय निकायों के चुनाव औऱ अगले साल होने वाले अहम विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए संघ औऱ उससे जुड़े संगठनों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस की वजह से लॉकडाउन में गरीबों और जरुरमंदों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उससे जुड़े संगठन पश्चिम बंगाल के गांव, ताल्लुकों और अल्पसंख्यक बस्तियों में मदद पहुंचाने के लिए पहुंचने लगे हैं. हिंसक राजनीति के लिए बदनाम बंगाल के लिए सामान्य दिनों में संघ का पहुंचना मुश्किल  रहता है, लेकिन कोरोना महामारी ने उसे लोगों से सीधे जुड़ने का मौका दे दिया था.

पश्चिम बंगाल में संघ के प्रवक्ता जीषिणु सेनगुप्ता ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘मानवता के नाते इस कठिन हालात में हमारे कार्यकर्ता जाति-धर्म से ऊपर उठ कर अपनी पहुंच के मुताबिक तमाम मोहल्लों में जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं. इनमें अल्पसंख्यक क्षेत्रों के साथ अन्य क्षेत्र भी शामिल है. जहां हमारे कार्यकर्ता जरुरतमंद लोगों की मदद कर रहे है.’

कई जगह जहां विरोधियों से हिंसक मुठभेड़ का अंदेशा है वहां संघ के कार्यकर्ता बगैर पहचान बताएं काम में लगे हुए हैं. आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में न केवल विधानसभा चुनाव बल्कि स्थानीय निकाय के चुनाव भी होने वाले है.भाजपा को उम्मीद है कि संघ की इस मदद की इस मुहिम का असर मतपेटियों में पर भी नजर आयेगा.


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पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने दिप्रिंट ​हिंदी से कहा, ‘पूरे राज्य में चाहे वो अल्पसंख्यक क्षेत्र हो या अन्य क्षेत्र आरएसएस, वीएचपी, हिंदू जागरण मंच सहित अन्य संगठन के कार्यकर्ता लोगों की मदद के लिए लगे हुए है. सीएम ममता बनर्जी इस मामले में राजनीति कर रही है. वे ठीक से राज्य को नहीं संभाल पा रही है.’

घोष के अनुसार, ‘पार्टी के कार्यक्रम के अनुसार एक कार्यकर्ता पांच लोगों को भोजन करवा रहे है. हर विधानसभा में 20 से 25 हजार लोगों को खाने खिलाने का टारगेट किया है. वहीं जरुरतमंदों को कच्चा अनाज और पका हुआ खाना भी दिया जा रहा है.’

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नर सेवा नारायण सेवा के मंत्र के साथ उतरा संघ

संघ के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट से हिंदी से बातचीत में कहा,’संघ सभी को अपना मानता है.वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है. किसी भी आपदा के समय सबसे पहले मैदान में उतरता है.जब हम किसी की भी मदद करते है तो किसी भी जाती,पंथ और भाषा-भूषा में भेदभाव नहीं करते हैं.’

पश्चिम बंगाल के अधिकांश ज़िलों में लॉकडाउन के घोषणा के तुरंत बाद ही संघ ने मैदान संभाल लिया था. स्वयंसेवकों ने मुस्लिम बस्तियों में लोगों को सेनेटाइजर और मास्क वितरित करना शुरु कर दिया था. संघ ने इसके लिए नर सेवा नारायण सेवा का मंत्र सभी स्वयंसेवकों को दिया है.

इसके अलावा स्वयंसेवकों ने राज्य के बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए भोजन पैकेट वि​तरित करना घर घर जाकर शुरु कर दिया है. वहीं संघ के आव्हान के बाद कई अनुषांगिक संगठन भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

देश के कई अन्य राज्यों की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पश्चिम बंगाल में राजधानी कोलकाता और आसपास के अल्पसंख्क-बहुल मोहल्लों के अलावा बीरभूम और पुरुलिया और मेदिनापुर के अल्पसंख्यक और आदिवासी इलाकों में जरूरतमंदों को खाने-पीने का सामान और दूसरी जरूरी चीजें पहुंचा रहा है.

संघ ने शुरुआती दौर में कोलकाता के खिदिरपुर और गार्डनरीच जैसे अल्पसंख्यक मोहल्लों में ज़रूरी चीजें पहुंचाई थी. लेकिन बाद में पुलिस की सख्ती के चलते यह काम कुछ धीमा हो गया. खिदिरपुर के मोहम्मद युनूस बताते हैं,’ संघ के लोग लॉकडाउन के शुरुआती दौर में कुछ जरूरी सामान पहुंचा रहे थे. संकट के इस दौर में जाति-धर्म से ज्यादा जरूरत खाने-पीने की चीजों और सामानों की है.’

बंगाल में यह काम रहा है संघ और भाजपा

– राज्य भाजपा में पार्टी के एक कार्यकर्ता को पांच लोगों को खाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सभी से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं हो इस दिशा में काम करें.

-राज्य में पार्टी के सभी सांसद और पार्टी के विधायक को जिम्मेदारी दी गई है कि वे मैदान में आकर लोगों को जागरुक. इसके अलावा सभी अपने सांसद औ​र विधायक निधि का उपयोग भी करें.

– सभी सांसद को अपने क्षेत्रों में कोरोनावायरस को लेकर अपडेट लेने के साथ ही खुद के बचाव के साथ मैदान में काम करने हिदायत दी गई है. वहीं इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस ऐसे इलाके में करने को कहा गया जहां पार्टी की स्थिति बेहतर हो सकती है.

– इसके अलावा संघ और पार्टी के लोग सभी मजदूर वर्गों के लोगों को वापस बंगाल लाने में लगे हुए है. मजदूर और गरीब लोग जिस भी राज्य में फंसे हुए है वहां उनके खाने की व्यवस्था हो सके इस दिशा में भी काम कर रहे है.

– ज्यादा फोकस उन बस्तियों पर है जहां पार्टी को बढ़त मिल सके. ताकि यहां पर काम कर भाजपा को प्रमोट किया जा सके.

– संघ का ज्यादा फोकस आदिवासी और सीमावर्ती इलाकों में काम को लेकर है. बीरभूम जिला,मेदिनीपुर जिला के अलावा राजधानी कोलकाता के अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी काम किया जा रहा है.

– इसके अलावा हर दिन लोगों के बीच में जाकर पूछताछ की जा रही है कि उन्हें किन चीजों की जरुरत है. वे इसके लिए क्या कर सकते हैं.

– युवाओं और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को सब्जी फल के लिए पूछा जा रहा है. वहीं युवाओं को स्वेच्छा से जुड़ने मदद के लिए भी आग्रह किया जा रहा है.

– उन क्षेत्रों में विशेष नजर रखी जा रही है जहां सरकार काम कर रही है. वहीं जहां तक सरकार की पहुंच नहीं वहां पर हर हाल में पहुंचकर मदद की जा रही है ताकि बताया जा सके कि राज्य सरकार की अपेक्षा वे तेजी से मदद कर रहे हैं.


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– केंद्र सरकार की घोषणाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. राज्य सरकार से तुलना कर बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार इस महामारी में राज्यवासियों के साथ खड़ी है.

-संघ के अलावा विश्व हिंदू परिषद ने भी लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. इसके अलावा एबीवीपी भी पूरी सक्रियता से जुटा हुआ है.

– इन सभी कार्यों में भाजपा और संघ के तरफ से भी कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गई है कि कही भी स्थानीय स्तर के नेता और पार्टी के नाम का उपयोग नहीं हो. केवल पीएम मोदी और केंद्र सरकार की ही घोषणाओं का जिक्र किया जाएं.

आरएसएस इसके जरिए एक तीर से दो शिकार करने की नीति पर आगे बढ़ रही है. उसका मकसद अल्पसंख्यकों को यह समझाना है कि संघ या भाजपा अछूत नहीं हैं और जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करतीं. बंगाल में हाल के वर्षों में संघ की बढ़ती सक्रियता की वजह से ही खासकर आदिवासी और सीमावर्ती इलाकों में भाजपा को बीते लोकसभा चुनावो में भारी कामयाबी मिली थी. अब कोलकाता नगर निगम समेत सौ से ज्यादा स्थानीय निकायों के चुनाव और अगले साल होने वाले अहम विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए संघ और उससे जुड़े संगठनों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं.

(इनपुट: प्रभाकर मणि तिवारी)

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