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Thursday, 28 March, 2024
होमराजनीतिइस साल कोलकाता के दुर्गा पंडालों की थीम रही-ED की कार, वेटिकन सिटी और ‘स्टाररी नाइट’

इस साल कोलकाता के दुर्गा पंडालों की थीम रही-ED की कार, वेटिकन सिटी और ‘स्टाररी नाइट’

पिछले साल ही बंगाल की दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया था. यह ऐसे दर्जे वाला एशिया का पहला आयोजन है. महामारी के कारण पिछले दो सालों से फीकी रही दुर्गा पूजा के बाद, इस साल लोगों ने त्यौहार मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गाड़ी, पश्चिम बंगाल सरकार के एसएसकेएम अस्पताल का एक कटआउट और रुपयों की मोटी-मोटी गड्डियों की डमी- कुछ इस तरह से कोलकाता में भाजपा के दुर्गा पूजा पांडाल राज्य में भ्रष्टाचार के कथित मामलों को उजागर करते नजर आए.

जैसे ही आप साल्ट लेक एरिया के पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र में अंदर घुसते हैं, कोयला तस्करी, पशु तस्करी, नारद घोटाला और शारदा चिटफंड घोटाला के पोस्टर दीवारों पर चिपके मिलंगे. राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जब्त संपत्ति का थर्मोकोल कटआउट भी परिसर में खड़ा है. इस सबका क्या मतलब है? पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार से लड़ना.

पूर्व मंत्री और उनकी ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता चटर्जी को ईडी ने जुलाई में कथित स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. सरकारी स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नकदी के बदले में अनियमित नियुक्ति को लेकर यह मामला सामने आया था. ईडी ने अर्पिता के फ्लैट से 21 करोड़ रुपये जब्त किए और फिर एक दिन बाद अर्पिता को गिरफ्तार कर लिया गया.

राज्य भाजपा अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम उन लोगों के लिए मां दुर्गा से प्रार्थना कर रहे हैं जो घोटालों के चलते ठगे गए हैं और न्याय के इंतजार में हैं. मां दुर्गा पश्चिम बंगाल राज्य में भ्रष्टाचार को दूर करने में मदद करें. और साथ ही मैंने यह भी प्रार्थना की है कि अगले साल पंचायत चुनावों के दौरान कोई हिंसा न हो.’

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘भाजपा को अहसास है कि उसका यहां (बंगाल में) कोई आधार नहीं है. इसलिए वह नौटंकी करने में लगे हैं. वरना भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले हर दिन चर्चा में आते हैं. बंगाल में इस तरह की नौटंकी से लोगों को अपनी ओर नहीं खींचा जा सकता है. खैर! हर कोई अपनी तरह से दुर्गा पूजा मनाने के लिए आजाद है.’

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शहर के अन्य हिस्सों में दुर्गा पूजा पंडालों की थीम डच चित्रकार विन्सेंट वैन गॉग के काम, वेटिकन सिटी, चुनाव के बाद की हिंसा और सुप्रीम कोर्ट के सेक्स वर्क को एक पेशे के रूप में बनाए रखने के मई के आर्डर को लेकर थी.


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राजनीति और पूजा पंडाल

यह तीसरी और शायद आखिरी बार है जब भाजपा कोलकाता में दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही है. यह परंपरा 2021 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 2020 में शुरू हुई थी. भाजपा के मजूमदार ने कहा कि पैसे की कमी के चलते पार्टी ने अगले साल से पूजा बंद करने का फैसला किया है.

इस साल पार्टी ने दुर्गा पूजा के दौरान अनुष्ठान करने के लिए एक गैर-ब्राह्मण पुजारी को चुनने का फैसला किया. सुलता मंडल इस अवसर को पाकर रोमांचित हैं. दिप्रिंट से बात करते हुए, मंडल ने याद करते हुए बताया कि उन्होंने तथागत रॉय जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं को देवी की पूजा करते हुए देखा.

उन्होंने कहा, ‘पूजा देखने आए कई लोग मुझसे मिले और कहा कि उन्होंने मेरे बारे में समाचारों में सुना है. दरअसल वह देखना चाहते थे कि मैं पूजा कैसे करता हूं. मैं बहुत शुक्रगुजार हूं कि मुझे यह मौका मिला.’

बेहाला क्षेत्र के नकटला उदयन संघ के पूजा पंडाल ने इस साल अपना ग्लैमर खो दिया है क्योंकि इसके मुख्य संरक्षक पार्थ चटर्जी सलाखों के पीछे हैं. एक खूबसूरती से तैयार की गई दुर्गा की मूर्ति पंडाल को सुशोभित करती नजर आई. पिछले साल तक पंडाल पर पार्थ चटर्जी के पोस्टर लगे होते थे. वह बड़े जोरों शोरों से एक पूजा संगीत एल्बम जारी किया करते और वहां मौजूद मशहूर हस्तियां उनके साथ फोटो खिंचवाती नजर आती थीं.

गरिया में रहने वाली 42 साल की देबर्चना घोष ने कहा कि दरअसल वह देखना चाहती थीं कि इस साल मंत्री की गिरफ्तारी के बाद यहां का माहौल कितना अलग है. उन्होंने बताया, ‘मैं हर साल इस पंडाल में आती हूं. लेकिन इस साल मैं सिर्फ यह देखने के लिए आई कि पंडाल में क्या कुछ अलग रहा.’

नकटला उदयन संघ के महासचिव अंजन दास ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने पूजा का उद्घाटन करने के लिए दो बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. वह कहते हैं, ‘हमने एक बार अगस्त में और फिर सितंबर में उनको पत्र लिखा था.’

पूजा समिति का दावा है कि चटर्जी की गिरफ्तारी से इस साल लोगों की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘हम पिछले 34 साल से पूजा करते आ रहे हैं. यह पार्थ चटर्जी के संरक्षण से पहले से की जाती रही है. हमें उनकी कमी खली है, लेकिन देश के कानून का सम्मान करना चाहिए.’

पश्चिम बंगाल के मंत्री सुजीत बोस की लेकटाउन क्षेत्र के श्रीभूमि में पूजा शहर के बीच चर्चा में है. वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के चारों ओर पंडाल की थीम बनाई गई है, जिसे संगमरमर की बनावट वाली दीवारों और गुंबद पर यूरोपीय कला के साथ बनाया गया है. इसके नीचे देवी दुर्गा खड़ी हैं. पंडाल में अंदर आने के लिए दो किलोमीटर से ज्यादा लंबी लाइन लगी हुई है. युवा और बूढ़ा हर कोई ‘कोलकाता में रोम’ की एक झलक पाने के लिए इंतजार करता दिखा.

ममता ने 25 सितंबर को पूजा का उद्घाटन किया और मंत्री को यह सुनिश्चित करने की चेतावनी दी कि कोई ट्रैफिक जाम न हो क्योंकि सड़क हवाई अड्डे की ओर जाती है और यात्रियों को असुविधा हो सकती है.

हावड़ा के रहने वाले सुभाष दास ने दिप्रिंट को बताया, ‘श्रीभूमि हर साल सबसे अच्छा पंडाल बनाती है. पिछले साल बुर्ज खलीफा था और इस बार वेटिकन. हम भीड़ से बचने के लिए सुबह 7 बजे घर से निकल गए. लेकिन अब लगभग 11 बजे हैं और यह अभी भी भरा हुआ है.’

मानिकतला पंडाल में बिस्वजीत सरकार ने दुर्गा को एक अनाथ बच्चे को पकड़े हुए दिखाया है. माता-पिता उसके पैरों पर मृत पड़े हैं, खून से लथपथ हैं और दानव महिषासुर हरे रंग का कुर्ता पहने, देवी के पास खड़ा होकर हंस रहा था. पंडाल में देवी के चरणों में भाजपा का झंडा भी रखा गया. सरकार ने अपने भाई अविजीत सरकार जोकि एक भाजपा कार्यकर्ता थे, को चुनाव के बाद की कथित हिंसा में खो दिया था.

बिस्वजीत ने कहा, ‘मेरी मां को अभी भी न्याय का इंतज़ार है. इस साल हमारी थीम चुनाव के बाद की हिंसा है. इस पूजा की शुरुआत अविजित ने की थी. वह नहीं रहे, लेकिन हम उनकी याद में दुर्गा पूजा की मेजबानी करना जारी रखे हुए हैं.’

यूनेस्को सम्मान

दुर्गा पूजा के इन पांच दिनों में कोलकाता को रचनात्मक पंडालों और चमचमाती रोशनी से सजाया गया है. इस साल यह और भी खास है क्योंकि यह मौका राज्य की दुर्गा पूजा को यूनेस्को के अमूर्त विरासत का दर्जा से सम्मानित किए जाने के बाद आया है. महामारी के कारण पिछले दो सालों से फीकी रही दुर्गा पूजा के बाद, इस साल उत्तर से दक्षिण कोलकाता तक पूजा पंडालों में जाने के लिए मौज-मस्ती करने वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.

दक्षिण कोलकाता में हिंदुस्तान पार्क ने विन्सेंट वैन गॉग की प्रसिद्ध पेंटिंग ‘स्टाररी नाइट’ को फिर से तैयार किया. पंडाल का निर्माण पुरानी जींस और हैंगर से किया गया है. आयोजक सुभाष भौमिक ने कहा, ‘हम गैर-संगठित क्षेत्र और दैनिक वेतन भोगियों को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनके बिना हमारा जीवन मुश्किल हो जाए. इस साल हम दर्जियों के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना चाहते हैं, जिनमें से कई ने पिछले साल महामारी के कारण अपनी आय खो दी थी.’

बारानगर में दुर्गा को एक पारंपरिक सफेद और लाल साड़ी पहने, अपने बच्चों को पकड़े हुए एक यौनकर्मी के रूप में चित्रित किया गया है. नवपारा दादाभाई संघ के मुख्य पूजा आयोजक अंजन पाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस साल की थीम परिचय या पहचान है. जब सेक्स वर्कर्स की बात आती है तो हम लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना चाहते हैं. इनकी भी अपनी एक पहचान है. कानूनी लड़ाई आंशिक रूप से जीती ली गई है, फिर भी उनके माथे पर लगा कलंक जारी है.’ देवी की मूर्ती बनाने के लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल करने वाली यह देश की पहली पूजा भी है.

A silicon Durga portrayed as a sex worker | Sreyashi Dey| The Print
एक सिलिकॉन दुर्गा को एक सेक्स वर्कर के रूप में चित्रित किया गया | श्रेयशी डे| दिप्रिंट

इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया जिसमें यौन कार्य को एक पेशे के रूप में मान्यता दी गई और कहा कि यौनकर्मी कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं. शीर्ष अदालत ने विस्तार से बताया था कि ‘अपनी मर्जी’ से किया गया यौन कार्य गैर-कानूनी नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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