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Friday, 29 March, 2024
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विरासत बनाम निष्ठा—उद्धव ठाकरे और शिंदे की अलग-अलग दशहरा रैलियों में नजर आएगी ‘असली’ शिवसेना की जंग

अब जब बीएमसी चुनाव नजदीक ही हैं और उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों गुटों के बीच तनातनी जारी है, दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश करेंगे.

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मुंबई: मुंबई में हर साल होने वाली शिवसेना की दशहरा रैली में बस कुछ ही घंटे बचे हैं और इसके साथ ही पार्टी के दोनों गुटों—एक पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला और दूसरा वह जिसकी कमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संभाल रखी है—ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.

उनका उद्देश्य एक ही है—एक-दूसरे को पछाड़कर आगे निकलना.

1966 में शिवसेना की स्थापना के बाद से यह पहला मौका है जब पार्टी की तरफ से दशहरे पर मुंबई में दो रैलियां आयोजित की जाने वाली हैं. इस साल के शुरू में पार्टी विभाजित होने के बाद से ही दोनों समूह खुद को ही ‘असली’ शिवसेना बताते रहे हैं और इन रैलियों में दोनों पक्षों की तरफ से अपना दमखम दिखाए जाने के आसार हैं.

बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे तो शिवसेना के पारंपरिक स्थल शिवाजी पार्क मैदान में रैली को संबोधित करेंगे, जबकि शिंदे बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के एमएमआरडीए ग्राउंड में रैली करेंगे.

शिवसेना के लिए दशहरा रैली हर साल सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक होती है, जिसमें मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्यभर के शिवसैनिक एकत्र होते हैं—पहले इसे शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे संबोधित करते थे और अब पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सुनने लोग यहां आते हैं. यही वो रैली होती है जो साल के बाकी दिनों के लिए राजनीतिक सुर तय करती है.

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बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं, और दोनों गुटों के बीच इस बात को लेकर घमासान मचा है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर-धनुष किसके पास रहेगा. ऐसे में दोनों गुटों के लिए ये दशहरा रैलियां प्रतिष्ठा का सवाल भी बनी हुई हैं.

उद्धव जहां अपने नेतृत्व में पार्टी का अस्तित्व बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं एकनाथ शिंदे खुद को असली शिवसेना बताकर इस संबंध में आदेश जारी कराने की कोशिश में जुटे हैं.

दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों ने दिप्रिंट के साथ बातचीत में दावा किया कि उनकी रैलियों में लाखों समर्थकों के शामिल होने की उम्मीद है.

शिंदे समूह की प्रवक्ता किरण पावस्कर ने दिप्रिंट को बताया, ‘बीकेसी मैदान में तैयारियां जोरों पर हैं. हम एक से दो लाख लोगों की उम्मीद कर रहे हैं और इसके हिसाब से पूरी व्यवस्था की जा रही है. अलग-अलग नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों से लोगों को लाने का काम सौंपा गया है.’

हालांकि, उद्धव समर्थक किशोरी पेडनेकर के मुताबिक, ‘लाखों समर्थकों’ का आंकड़ा महाराष्ट्र में शिवसेना की सहयोगी रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन पर आधारित है. उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग भाजपा का समर्थन ले रहे हैं, और कुछ ताकतें अपने बल पर लोगों को इकट्ठा करेंगी.’

पिछले कुछ दिनों से दोनों पक्षों के बीच सोशल मीडिया पर जंग जारी है, दोनों ने अपनी-अपनी रैलियों के लिए वीडियो ट्रेलर जारी किए हैं. शिंदे खेमा ‘हिंदुत्व विचारधारा’ को आधार बनाकर खुद को बाल ठाकरे की विरासत का ‘सच्चा उत्तराधिकारी’ बता रहा है और उद्धव गुट ने ‘विरासत’ के साथ ‘निष्ठा’ पर भी जोर दिया है.


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काफी बड़ा होगा आयोजन

एकनाथ शिंदे रविवार को तैयारियों का जायजा लेने खुद एमएमआरडीए मैदान पहुंचे. वहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘एक भव्य रैली का आयोजन किया जा रहा है और मैं तैयारियों की समीक्षा करने आया हूं. राज्य के कोने-कोने से लाखों शिवसैनिक इस रैली में आएंगे. इसलिए, मैंने व्यक्तिगत स्तर पर तैयारियों का जायजा लिया ताकि उन्हें किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े.’

पार्टी के इस बड़े दिन के लिए शिंदे खेमे ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोगों को बीकेसी लाने के लिए लगभग 4,000 बसें बुक की हैं.

हालांकि, पेडनेकर ने कहा कि वह अपने क्षेत्र के 1,000-1,200 लोगों के साथ सिद्धिविनायक मंदिर से शिवाजी पार्क जाएंगी, जैसी परंपरा रही है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं अपने क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रही हूं, और हम संगीत वाद्ययंत्र और गुलाल के साथ शिवाजी पार्क पहुंचेंगे.’

अनुमान लगाया जा रहा है कि शिवाजी पार्क में ठाकरे का और एमएमआरडीए ग्राउंड में शिंदे का भाषण एक ही समय पर हो सकता है.

पावस्कर के मुताबिक शिंदे का कार्यक्रम शाम करीब छह बजे शुरू होगा और रात नौ-साढ़े नौ बजे तक चलेगा. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘उनका भाषण रात को आठ से साढ़े आठ बजे के बीच हो सकता है.’

दिप्रिंट को पता चला है कि शिवाजी पार्क की रैली में उद्धव ठाकरे का संबोधन भी लगभग 8 बजे के आसपास हो सकता है.

वीडियो वार

शिंदे ने रविवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत में दोहराया कि उनका गुट हिंदुत्व की विचारधारा का पालन करने वाले एक कट्टर शिव सैनिक के तौर पर बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने वाला सच्चा उत्तराधिकारी है.

इस बात को उनके गुट की तरफ से साझा किए गए बैनरों पर भी दिखाया गया है, जिसमें बाल ठाकरे और सेना के सशक्त नेता रहे आनंद दिघे की तस्वीरें हैं, साथ में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भी तस्वीर है और उसके साथ में ‘एकलव्य’ लिखा है.

उनके साझा किए गए एक वीडियो में बाल ठाकरे की आवाज है, ‘शिवाजी महाराज का भगवा झंडा, शिवसेना का भगवा झंडा और हिंदुत्व का भगवा झंडा नियमित तौर पर और लगातार आसमान में लहराता रहना चाहिए.’

वहीं, उद्धव ठाकरे धड़े की तरफ से जारी वीडियो ट्रेलर में बाल ठाकरे को सेना भवन में दिखाया गया है और वॉयसओवर कहता है, ‘निष्ठा का समंदर उमडेगा, भगवा झंडा फहराएगा, महाराष्ट्र अपनी ताकत दिखाएगा, यह एक ऐतिहासिक दशहरा रैली होगी.’

इस बीच, दोनों गुटों के कई अन्य नेता भीड़ को संबोधित करने के लिए मंच पर अपनी जगह पक्की करने की कोशिश में जुटे हैं.

पावस्कर ने कहा कि शिंदे के समर्थकों में दीपक केसरकर, गुलाबराव पाटिल, रामदास कदम, दादा भूसे और आनंदराव अडसुल जैसे नेता शामिल है और सीएम के पहले रैली को संबोधित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘अपने लोगों को संबोधित करने के लिए हमारे वरिष्ठ नेता भी भाषण देंगे.’

वहीं, शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे के संबोधन से पहले अरविंद सावंत और भास्कर जाधव के भाषण देने की संभावना है.

क्यों बेहद अहम मानी जा रहीं ये रैलियां

सालों तक शिवसेना की दशहरा रैलियों को पार्टी प्रमुख बाला साहेब ठाकरे संबोधित करते रहे थे, जहां वे खुलकर अपने विचार रखते थे—बात चाहे भाजपा के साथ गठबंधन की हो या फिर हिंदुत्व की—और ‘ठाकरे’ की खास शैली में दिए गए इन भाषणों में किसी भी दोस्त या दुश्मन को बख्शा नहीं गया.

शिवाजी पार्क में उनके भाषणों को सुनने के लिए राज्य भर से लाखों शिवसैनिक एकत्र होते थे.

उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस परंपरा को बरकरार रखा.

हालांकि, जून 2022 में पार्टी टूटने के बाद से शिंदे शिवसेना के 40 विधायकों और 18 में से 12 सांसदों के साथ ‘असली’ शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं. लड़ाई अदालत में चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते चुनाव आयोग को यह तय करने का अधिकार दे दिया था कि पार्टी का चुनाव चिन्ह किस गुट को आवंटित किया जाना है.

बीएमसी चुनाव होने वाले हैं और इसमें शिंदे—जिन्हें भाजपा का सहयोग और समर्थन हासिल है—की कोशिश होगी कि उद्धव के नेतृत्व वाली सेना को नगर निकाय से बाहर कर दें, जहां वह पिछले 25 वर्षों से शासन कर रही है.

10 दिन पहले मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह इस ‘गद्दारी’ पर अपना जवाब दशहरा रैली के भाषण में देंगे.

हालांकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार—जो विभाजन से पहले शिवसेना और कांग्रेस के साथ राज्य में महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार का हिस्सा थे—ने सोमवार को शिंदे और उद्धव दोनों को एक संदेश भेजा. उन्होंने दोनों नेताओं को अपने भाषण दौरान संयम बरतने की सलाह दी और कहा कि एकनाथ शिंदे को 14 करोड़ महाराष्ट्र वासियों के प्रतिनिधि के तौर पर एक जिम्मेदार भाषण देना चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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