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Tuesday, 16 April, 2024
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कौन हैं वो अधिकारी, आर्किटेक्ट और श्रमजीवी जिन्होंने नए संसद भवन के निर्माण में निभाई अहम भूमिका

कोविड से संबंधित चुनौतियों पर काबू पाने से लेकर तंग समय-सीमा पर काम पूरा करने तक, 5,000 से अधिक श्रमिकों की एक सेना ने नए संसद भवन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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नई दिल्ली: लगभगग 9.5 एकड़ में फैले नए संसद भवन को कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद 29 महीने की छोटी अवधि के भीतर पूरा किया गया.

रविवार को चार मंजिला इमारत का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हज़ारों श्रमजीवियों सहित उन लोगों के योगदान को स्वीकार किया, जिन्होंने भवन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसकी शुरुआत जनवरी 2021 में हुई थी.

हालांकि, इमारत को पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र से पहले तैयार होना था, अधिकारियों ने कहा कि परियोजना में कई ज़मीनी चुनौतियां देखी गईं, जैसे कि नींव की खुदाई के दौरान चट्टानी सतह का सामना करना और मौजूदा संसद के कामकाज को बाधित किए बिना काम पूरा करना.

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “निर्माण गतिविधि के लिए उपलब्ध स्थान सीमित था, इसलिए हमें खुदाई और अन्य गतिविधियों की सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ी. सबसे बड़ी चुनौती संसद के कामकाज में बाधा डाले बिना कम समय में काम पूरा करना था.”

दिप्रिंट उन पांच हज़ार से अधिक श्रमिकों की सेना में से कुछ पुरुषों और महिलाओं पर नज़र डाल रहा है, जिन्होंने निर्माण कार्य को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए दिन-रात काम किया.

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बिमल पटेल, परियोजना सलाहकार

Architect Bimal Patel
बिमल पटेल की फाइल फोटो | फोटो: बिमल पटेल का कार्यालय

पटेल नए संसद भवन और मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के वास्तुकार हैं. उनकी फर्म, एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 2019 में 13,500 करोड़ रुपये की पुनर्विकास परियोजना के लिए सलाहकार के रूप में चुना गया था.

61-वर्षीय बिमल पटेल एक प्रसिद्ध अर्बन डिजाइनर और योजनाकार हैं और उनके नाम पर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और साबरमती रिवरफ्रंट पुनर्विकास सहित कई उल्लेखनीय परियोजनाएं हैं.

2019 से अहमदाबाद स्थित वास्तुकार, नए संसद भवन को डिजाइन करने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जो दोनों सदनों के सुचारू कामकाज के लिए अधिक स्थान और अत्याधुनिक तकनीक की सुविधा देगा.

मनोज जोशी, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव

File photo of Manoj Joshi, Secretary, Ministry of Housing and Urban Affairs | Photo: Twitter, @Secretary_MoHUA
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी की फाइल फोटो | ट्विटर/@Secretary_MoHUA

केरल कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी, जोशी पिछले दो वर्षों से सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें नए संसद भवन का निर्माण शामिल है.

हालांकि, दिसंबर 2021 में सचिव के रूप में शामिल होने से पहले चल रही परियोजना का निर्माण शुरू हो गया था, लेकिन अब जोशी के लिए आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और स्थानीय चुनौतियों के बावजूद तंग समय सीमा में इसे पूरा करना मुश्किल काम है.

डीएस मिश्रा, पूर्व सचिव, एमओएचयूए

D.S. Mishra, former secretary, Ministry of Housing and Urban Affairs
डीएस मिश्रा, पूर्व सचिव, आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय

उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, मिश्रा पुनर्विकास परियोजना के लिए योजना बनाने और काम शुरू करने में सहायक थे.

नए संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का निर्माण कार्य, जिसका उद्घाटन पिछले साल सितंबर में पीएम ने किया था, मिश्रा के कार्यकाल के दौरान MoHUA के सचिव के रूप में शुरू हुआ था.

डी. थारा, अतिरिक्त सचिव, एमओएचयूए

गुजरात कैडर की 1995 बैच की आईएएस अधिकारी, डी.थारा. 2019 से सेंट्रल विस्टा परियोजना का नेतृत्व कर रही हैं, जब वे संयुक्त सचिव के रूप में मंत्रालय में शामिल हुईं. डिजाइन से लेकर ऑन-ग्राउंड चुनौतियों को देखने तक विशेष रूप से महामारी के दौरान, वे परियोजनाओं के सभी पहलुओं में शामिल रही हैं.

वे कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार के प्रमुख अटल मिशन (AMRUT) का भी नेतृत्व कर रही हैं, जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था.

अश्विनी मित्तल, कार्यकारी इंजीनियर, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग

मित्तल नई संसद भवन परियोजना के कुछ अंतिम दिनों के दौरान उससे जुड़े दिन-प्रतिदिन के मुद्दों में शामिल थे.

58-वर्षीय सीपीडब्ल्यूडी इंजीनियर के लिए, हालांकि, यह संसद की दूसरी परियोजना है. मित्तल अफगानिस्तान की संसद के निर्माण में शामिल इंजीनियरों और वास्तुकारों की सीपीडब्ल्यूडी टीम का हिस्सा थे. काबुल में अफगान संसद भवन भारत द्वारा बनाया गया था और दिसंबर 2015 में तत्कालीन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था.

5,000 से अधिक ‘श्रमजीवी’

नए लोकसभा कक्ष में अपने पहले भाषण में पीएम ने संसद भवन के निर्माण में श्रमजीवियों के योगदान को स्वीकार किया था.

Prime Minister Narendra Modi interacting with workers at the new Parliament building construction site in 2021 | Photo: ANI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2021 में नए संसद भवन निर्माण स्थल पर श्रमिकों के साथ बातचीत करते हुए | फोटो: एएनआई

निर्माण स्थल पर अपने औचक दौरे के दौरान, पीएम हमेशा निर्माण श्रमिकों से मिल रहे हैं. सितंबर 2021 में निर्माण स्थल की अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने अधिकारियों से उनके योगदान को चिन्हित करने के मकसद से “साइट पर लगे सभी निर्माण श्रमिकों के लिए एक डिजिटल गैलरी” बनाने के लिए कहा था.

टाटा प्रोजेक्ट्स: सितंबर 2020 में टाटा प्रोजेक्ट्स को 971 करोड़ रुपये के बजट के साथ नए संसद भवन के निर्माण का काम दिया गया. तंग समय सीमा और डिजाइन की चुनौतियों के अलावा, कंपनी को यह सुनिश्चित करना था कि कोविड की दूसरी लहर के कारण काम प्रभावित न हो.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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