scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमदेशराज्य सभा में पहली बार बोली गई संथाली, सभापति वेंकैया नायडू और उपसभापति हरिवंश ने की सराहना

राज्य सभा में पहली बार बोली गई संथाली, सभापति वेंकैया नायडू और उपसभापति हरिवंश ने की सराहना

सरोजिनी ने संथाली में अपनी बात रखी और इस भाषा की लिपी ‘ओल चिकी’ तैयार करने वाले पंडित रघुनाथ मुर्मू को भारत रत्न दिए जाने की मांग की.

Text Size:

नई दिल्ली: राज्य सभा में शुक्रवार को बीजद सदस्य सरोजिनी हेम्ब्रम ने शून्यकाल के दौरान लोक महत्व से जुड़ा अपना मुद्दा संथाली भाषा में उठाया. पहली बार उच्च सदन में संथाली बोली गई और सभापति एम वेंकैया नायडू तथा उप सभापति हरिवंश ने इसकी सराहना की.

सरोजिनी ने संथाली में अपनी बात रखी और इस भाषा की लिपी ‘ओल चिकी’ तैयार करने वाले पंडित रघुनाथ मुर्मू को भारत रत्न दिए जाने की मांग की.

बीजद सदस्य ने कहा कि 1925 में संथाली की लिपी तैयार करने वाले पंडित मुर्मू का आदिवासी जनजीवन में बहुत ही ऊंचा और खास स्थान है और राज्य में उन्हें महान सांस्कृतिक आदर्श का दर्जा दिया जाता है.

सरोजिनी की बात पूरी होने के बाद सभापति ने कहा कि पहली बार सदन में संथाली बोली गई है और वह भी एक महिला सदस्य द्वारा.

नायडू अक्सर शून्यकाल के दौरान सदस्यों को लोक महत्व से जुड़े उनके मुद्दे सदन में अपनी भाषा में उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि अन्य सदस्यों के लिए स्थानीय भाषा का हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद उपलब्ध हो.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

आज भी संथाली का दोनों ही भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध था. इस बारे में सभापति ने बताया कि एक नयी योजना के तहत, संथाली का हिन्दी में अनुवाद गैर नियमित कर्मी ने किया जिसे अनुवाद के लिए बुलाया गया था. उन्होंने बताया कि यह अनुवादक पीएचडी की एक छात्रा है.

गौरतलब है कि राज्यसभा में नियमित कर्मी सदन में विभिन्न भाषाओं का हिन्दी एवं अंग्रेजी में अनुवाद करते हैं.

उपसभापति हरिवंश ने भी कहा कि उच्च सदन में पहली बार संथाली बोली गई. उन्होंने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि पंडित मुर्मू की न केवल आदिवासी समुदाय में खास जगह है बल्कि वह बहुत ही बेहतरीन साहित्यकार भी थे और उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं.

share & View comments