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Thursday, 2 May, 2024
होमदेशसिर्फ नौकरी के लिए नहीं- ड्रग्स, भ्रष्टाचार के कारण युवाओं का विदेश पलायन जारी: 2-वर्षीय पंजाब अध्ययन

सिर्फ नौकरी के लिए नहीं- ड्रग्स, भ्रष्टाचार के कारण युवाओं का विदेश पलायन जारी: 2-वर्षीय पंजाब अध्ययन

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों द्वारा 'ओवरसीज माइग्रेशन फ्रॉम रूरल पंजाब: ट्रेंड्स , कॉसेस एंड कोंसेकुएंसेस' अध्ययन 2021-2023 के बीच आयोजित किया गया था. जिसमें पाया गया कि 42% लोगों ने कनाडा जाना पसंद किया.

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चंडीगढ़: लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि राज्य के युवा न केवल “बेरोजगारी और कृषि संकट” के कारण, बल्कि “बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और ड्रग्स के प्रचलन” के कारण भी विदेश पलायन कर रहे हैं.

प्रोफेसर शालिनी शर्मा, अमित गुलेरिया और मंजीत कौर द्वारा लिखित ‘ओवरसीज माइग्रेशन फ्रॉम रूरल पंजाब: ट्रेंड्स , कॉसेस एंड कोंसेकुएंसेस’ शीर्षक वाला अध्ययन शनिवार को सार्वजनिक किया गया. यह 2021-2023 के दौरान अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित किया गया था.

अध्ययन में कहा गया है कि प्रवासी सदस्यों वाले लगभग 42 प्रतिशत परिवारों के लिए, कनाडा पसंदीदा डेस्टिनेशन था, इसके बाद 16 प्रतिशत दुबई और 10 प्रतिशत के साथ ऑस्ट्रेलिया था.

इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इन परिवारों में से 72 प्रतिशत ने “कम आय”, “कम रोजगार” और “भ्रष्टाचार” को विदेशी प्रवास के लिए शीर्ष चालकों के रूप में बताया.

कम से कम 62 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि “खराब प्रशासन” और “प्रणालीगत समस्याओं” के कारण भी युवाओं को पंजाब छोड़ना पड़ा, जबकि 52 प्रतिशत का मानना था कि “नशीले पदार्थों का प्रचलन” पलायन का एक अतिरिक्त कारण था. कम से कम 51 प्रतिशत ने देश छोड़ने के कारणों में से एक के रूप में “गांवों में गुटबाजी” का हवाला दिया. अध्ययन में पाया गया कि केवल एक-चौथाई ने ऋण को प्रवासन का कारण बताया.

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लेखकों ने ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 9,500 घरों से जानकारी एकत्र की और निष्कर्ष निकाला कि पंजाब के 13.34 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में कम से कम एक सदस्य ने देश छाड़ा था.

प्रवासी सदस्यों वाले कुल परिवारों में से, लगभग 10 प्रतिशत सामान्य श्रेणी के थे, अधिकांश जाट सिख थे, अन्य 2 प्रतिशत अनुसूचित जाति के थे और 1.5 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के परिवार थे.

प्रवासियों वाले परिवारों में से, 10 प्रतिशत खेती के व्यवसायों में लगे हुए थे और 3 प्रतिशत से अधिक छोटे व्यवसाय, सेवा और श्रम जैसे गैर-कृषि व्यवसायों में लगे हुए थे.

अध्ययन किए गए प्रवासी सदस्यों वाले कुल परिवारों में से 73 प्रतिशत से अधिक प्रवासी 2015 के बाद विदेश चले गए थे, जिनमें से 18 प्रतिशत लोग COVID-19 महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद 2021 और सितंबर 2022 के बीच बाहर चले गए थे.

अध्ययन में कहा गया है कि “2016 से 2020 की अवधि के दौरान, प्रवासन ने पूरे पंजाब में पलायन का रूप ले लिया.”

अध्ययन में प्रवासियों के लिंग और आयु और इन सदस्यों के विदेश प्रवास के लिए खर्च किए गए धन को भी देखा गया.


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युवा प्रवासी

प्रवासियों में 70 प्रतिशत से अधिक पुरुष थे और लगभग 60 प्रतिशत की आयु 30 वर्ष तक थी. इनमें से करीब 8 फीसदी की उम्र 20 साल से कम थी.

अध्ययन में कहा गया है कि कमाने के लिए खाड़ी में प्रवास को भारत के लिए एक अस्थायी नुकसान माना जा सकता है, लेकिन पश्चिमी देशों में बहुत सारे युवा पीढ़ी के स्थायी नुकसान को दर्शाते हैं, “2016 और 2022 के बीच, बहुत सारे युवा प्रवासी जो अच्छी तरह से शिक्षित थे, ज्यादातर स्टडी वीजा पर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इटली, यूके, यूएसए चले गए, जबकि मध्यम शिक्षा स्तर वाले और मध्यम आयु वर्ग के प्रवासियों ने बेहतर कमाई के लिए खाड़ी देशों में जाना पसंद किया.”

अध्ययन में पाया गया कि पंजाब के दोआबा क्षेत्र में प्रवासन की सीमा सबसे कम थी, जिसमें जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले शामिल थे, और माझा क्षेत्र में सबसे अधिक था, जिसमें गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन और पठानकोट के सीमावर्ती जिले शामिल थे.

अध्ययन में पाया गया कि अमृतसर, गुरदासपुर, शहीद भगत सिंह नगर और फिरोजपुर जैसे कुछ जिलों में, प्रवासन की सीमा इतनी अधिक थी कि 30 प्रतिशत परिवारों ने कम से कम एक सदस्य के प्रवासन की सूचना दी.

कपूरथला, पठानकोट, बरनाला, बठिंडा, पटियाला, मोहाली, मुक्तसर, फाजिल्का और मनसा जिलों में सबसे कम प्रवासन दर्ज किया गया, जहां 10 प्रतिशत से भी कम घरों में एक प्रवासी सदस्य की सूचना मिली.

अध्ययन में यह भी पाया गया कि अधिकांश पुरुष प्रवासियों के लिए, वर्क वीज़ा पहली पसंद थी, उसके बाद स्टडी वीज़ा, जबकि महिला प्रवासियों ने स्टडी वीज़ा पर विदेश जाना चुना और उसके बाद स्पाउस वीज़ा, यह पहले की प्रवृत्ति के उलट है जब पंजाबी महिलाएं केवल शादी के बाद विदेश चली जाती थीं.

PAU अध्ययन में कहा गया है कि 1991 से 2015 के बीच प्रवासी परिवारों में पुरुष प्रवासियों की संख्या महिलाओं की तुलना में अधिक थी. हालांकि, “2016 के बाद से, जब पंजाबी प्रवासियों का विदेशी तटों पर बेरोकटोक प्रवाह हुआ है, महिला प्रवासियों की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है.”

विदेश जाने के लिए किया गया खर्चा

अध्ययन के अनुसार, प्रवासी सदस्यों वाले आधे से अधिक परिवारों ने स्टडी वीजा पर प्रति परिवार 18 से 25 लाख रुपये और कार्य या स्पाउस वीजा या स्थायी निवास पर 4 लाख रुपये तक खर्च किए हैं. अध्ययन के मुताबिक, अवैध रूप से विदेश जाने वालों को 25 से 33 लाख रुपये खर्च करने पड़े.

19 प्रतिशत से अधिक प्रवासी परिवारों को प्रवास के वित्तपोषण के लिए संपत्ति बेचनी पड़ी. अध्ययन में कहा गया है कि इनमें सोना, जमीन, घर, कार या ट्रैक्टर शामिल हैं.

अध्ययन में यह भी पाया गया कि 56 प्रतिशत से अधिक परिवारों को सदस्यों को विदेश भेजने के लिए पैसे उधार लेने पड़े. जहां 61 प्रतिशत उधारकर्ताओं ने संस्थागत स्रोतों से ऋण लिया, वहीं 39 प्रतिशत ने गैर-संस्थागत स्रोतों से उधार लिया.

अध्ययन में कहा गया है कि सबसे अधिक प्रवासन छोटे किसानों (5.6 प्रतिशत) में पाया गया, उसके बाद भूमिहीन किसानों (3 प्रतिशत) का स्थान है. प्रवासी परिवारों में से प्रत्येक 2 प्रतिशत मध्यम और बड़े किसान थे.

अध्ययन में आगे बताया गया है कि प्रवासी सदस्यों वाले परिवारों का नेतृत्व गैर-प्रवासी परिवारों की तुलना में बूढ़े पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जाता था. प्रवासी सदस्यों वाले अधिकांश घर जॉइंट फैमिली के थे.

लेखकों ने कहा कि जहां 95 प्रतिशत प्रवासी विदेश जाने के अपने फैसले से संतुष्ट पाए गए, वहीं कुछ प्रवासियों के माता-पिता और परिवार के सदस्य अकेलेपन और उपेक्षा की समस्या से जूझ रहे थे.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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