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Thursday, 25 April, 2024
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स्वच्छता रैंकिंग में नोएडा की उछाल गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए सीख- लोगों को साथ जोड़िए

निकासी जल का ट्रीटमेंट, घर-घर अभियान, और निर्माण तथा डिमोलिशन कचरे को प्रोसेस करने वाला प्लांट- इन सबके साथ नोएडा स्वच्छता का ऊंचा मानदंड स्थापित कर रहा है.

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जब किसी स्वच्छ और हरित शहर की बात आती है, तो नोएडा ने नगर निकाय और लोगों के बीच सहयोग की कामयाबी की, एक बेहतरीन मिसाल क़ायम की है. स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में, एनसीआर के इस शहर ने भारत के उन सबसे स्वच्छ शहरों की सूची में चौथा स्थान हासिल किया है, जिनकी आबादी एक लाख से 10 लाख के बीच है. पिछले साल 25वें स्थान पर आने के बाद, इसने अपनी स्थिति में 21 अंकों का सुधार किया है.

एनसीआर में नोएडा का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है. 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में, सर्वेक्षण किए गए 48 शहरों के बीच, फरीदाबाद चार स्थान फिसलकर 41वें नंबर पर आ गया. एक लाख से 10 लाख आबादी वाले शहरों में, गुरुग्राम ने अपनी रैंकिंग पिछले साल के 62 से सुधार कर 24 कर ली है. केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) की ओर से कराए गए वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे, 20 नवंबर 2021 को घोषित किए गए.

तो, जहां गुरुग्राम ने पिछले साल का नोएडा का स्थान तक़रीबन ले लिया है, वहीं नोएडा ने अपना मानदंड और ऊंचा कर लिया है.

नोएडा प्राधिकरण ने कुछ पहलक़दमियों पर ज़ोर दिया, जिनकी वजह से उसकी रैंकिंग में सुधार हुआ. 250-300 टन क्षमता के एक संयंत्र के ज़रिए, निर्माण-डिमोलिशन मलबे की प्रोसेसिंग ऐसा ही एक क़दम है.नोएडा प्राधिकरण के डीजीएम और सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर (जन स्वास्थ्य) एससी मिश्रा ने कहा, ‘निर्माण-डिमोलिशन मलबे को हमारे सेक्टर 80 स्थित सीएण्डडी प्लांट में प्रोसेस किया जाता है, और दिल्ली के अलावा नोएडा एनसीआर का अकेला शहर है, जिसके पास ये सुविधा है’. ट्रीट किए गए इस मलबे को फर्श बिठाने वाले ब्लॉक्स, और ईंट व टाइल बनाने वाली इकाइयों में फिर से इस्तेमाल किया जाता है.

नोएडा प्राधिकरण लगातार शहर को एक स्वच्छ, और हरित क्षेत्र बनाने के प्रयास में लगा है. लेकिन जो बदलाव सामने आया है, उसके पीछे अथॉरिटी, आरडब्लूएज़, और नागरिकों के बीच, सांकेतिक रिश्ते की भूमिका भी कुछ कम महत्वपूर्ण नहीं है. एससी मिश्रा ने कहा, ‘इसमें नागरिकों की बहुत अधिक भागीदारी रही है’.

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स्वच्छता चार्ट में ऊपर चढ़ा

2019 में नोएडा 150वें स्थान पर था, लेकिन ज़बर्दस्त सुधार करते हुए, पिछले साल के सर्वेक्षण में 25वें स्थान पर आ गया. इस साल कचरा मुक्त शहरों (जीएफसी) के एक सर्वे में, शहर को 5-स्टार रेटिंग हासिल हुई. जून 2020 में इसी श्रेणी में नोएडा की रेटिंग 3-स्टार थी.

मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि उनके महकमे ने कोविड के चरम पर भी, शहर को साफ रखने के प्रयास जारी रखे थे. कोविड मरीज़ों के इलाज के दौरान पैदा हुए ख़तरनाक अशिष्ट को संभालना एक चुनौती भरा काम था, चाहे वो अस्पतालों में हो या घर पर क्वारंटीन कर रहे लोगों के लिए हो, लेकिन इसके बावजूद नोएडा अथॉरिटी ने कचरे को अलग करने, और उसके निपटान का अपना काम जारी रखा.

स्वच्छता एंबेसेडर्स नियुक्त करने से लेकर- जो घर-घर जाकर निवासियों से सूखे और गीले कचरे को अलग करने के लिए कहते हैं- जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने, और सबसे स्वच्छ सेक्टर के लिए पुरस्कार देने तक, स्वच्छता चार्ट पर ऊपर चढ़ने के लिए अथॉरिटी ने बहुत सारे क़दम उठाए हैं.

नोएडा ट्रीट किए पानी को बाग़वानी, धूल प्रबंधन और छिड़काव, कार-वॉशिंग, और अपने अग्नि शमन वाहनों में, फिर से इस्तेमाल कर रहा है. इस सब के नतीजे में हर रोज़ 15-19 करोड़ लीटर अपशिष्ट जल, फिर से इस्तेमाल किया जा रहा है. मिश्रा ने आगे कहा, ‘नोएडा में कोई भराव क्षेत्र नहीं हैं, जो पूरे एनसीआर में कचरे से भरे दिखाई देते हैं’. उन्होंने आगे कहा कि ये सिर्फ निर्माण, डिमोलिशन या कचरा प्रबंधन नहीं है, बल्कि सुंदरीकरण भी है. नोएडा में मेट्रो स्टेशनों के हर पिलर, और शहर की क़रीब 300 दीवारों पर पेंट किया गया है, जिससे शहर की सुंदरता में इज़ाफा हुआ है.

निवासियों की पहल

आरडब्लूए सेक्टर 51 की अध्यक्ष अनिता जोशी ने बताया, कि किस तरह निवासियों ने आपसी सहयोग से, अपनी सोसाइटी को लगभग कचरा-मुक्त जगह बना दिया. जोशी ने कहा, ‘हमारे यहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं, जो नज़र रखते हैं कि किस जगह कचरा फेंका जा रहा है. लेकिन अधिकतर निवासी सहयोग करते हैं, और ख़ुद ही कचरे को अलग कर लेते हैं, जिससे हमें उसके निस्तारण में सहायता मिल जाती है’.

एक पिछली ख़बर में, दिप्रिंट ने बताया था कि किस तरह दो सेक्टर, जिन्हें नोएडा में सबसे स्वच्छ घोषित किया गया था, उनके पास अपने ख़ुद के कचरा निपटान सिस्टम थे. मिश्रा ने कहा कि नोएडा की स्वच्छता का श्रेय, इसके निवासियों की जागरूकता और थोड़ा अतिरिक्त प्रयास करने की उनकी तत्परता को दिया जा सकता है.

जोशी ने बताया कि किस तरह आरडब्लू ने, नज़दीक के एक ख़ाली प्लॉट को चुना, जिसे लैण्डफिल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था, और उसे एक फलते-फूलते सब्ज़ी के खेत में तब्दील कर दिया. एक बार जब लोगों ने देख लिया कि ये कैसे होता है, तो उन्होंने इसकी नक़ल करके सेक्टर के पास कुछ दूसरी जगहों को भी हरा-भरा बना दिया. जोशी ने आगे कहा, ‘हम बच्चों के लिए नियमित रूप से स्वच्छता अभियान और शिक्षण कार्यक्रम चलाते हैं, कि किस तरह प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें, और उसे फिर से प्रयोग करें, और कचरा प्रबंधन के दूसरे रूपों से परिचित हों’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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