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Thursday, 25 April, 2024
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सुदर्शन न्यूज़ के ‘यूपीएससी जिहाद’ विवाद के केंद्र में रहा जामिया सेंटर, 500 से अधिक सरकारी अधिकारियों को दे चुका है कोचिंग

जामिया यूपीएससी सेंटर उन पांच सुविधाओं में से एक है, जिन्हें सरकार ने 2009 से 2010 के बीच वंचित समुदायों को सिविल सर्विसेज़ की फ्री आवासीय कोचिंग देने के लिए स्थापित किया था.

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नई दिल्ली: कवेंद्र सिंह सागर-एक आईपीएस अधिकारी, जो राजस्थान के बांसवाड़ा में बतौर पुलिस अधीक्षक (एसपी) काम कर रहे हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूपीएससी कोचिंग सेंटर के अपने दिन बहुत कृतज्ञता के साथ याद करते हैं.

सेंटर के 2014 बैच के सदस्य सिंह ने कहा, ‘जामिया का यूपीएससी केंद्र उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है. जिनके पास निजी कोचिंग करने के साधन नहीं हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘उनके यहां बेहतरीन सुविधाएं, लाइब्रेरी, टेस्ट पेपर्स और टीचर्स हैं. उन सब से मुझे एग्ज़ाम पास करने और एक आईपीएस अफसर बनने में मदद मिली.’

सागर उन 240 से अधिक आईएएस, आईपीएस और केंद्रीय सिविल सर्वेंट्स तथा 260 से अधिक राज्य सेवा के अधिकारियों व अन्य सरकारी अधिकारियों में हैं, जो दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सेंटर फॉर कोचिंग एंड करियर प्लानिंग को, अपनी मातृ संस्था मानते हैं.

ये सेंटर जो वंचित उम्मीदवारों के सिविल सर्विसेज़ के सफर की, एक अहम मंज़िल रहा है. हाल ही में एक विवाद के केंद्र में रहा है, जिसमें एक विवादास्पद शो में उसे तथाकथित ‘यूपीएससी जिहाद’ का, मुख्य स्रोत बताने की कोशिश की गई है.

ये शो शुक्रवार रात एक हिंदी चैनल, सुदर्शन न्यूज़ पर प्रसारित किया गया. ये शो बिंदास बोल नाम के एक कार्यक्रम का, ताज़ा एपीसोड है, जिसे सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाण के ने पेश किया. जिनपर पहले भी हेट स्पीच के आरोप लग चुके हैं.

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‘यूपीएससी जिहाद एपीसोड’ का मक़सद, जैसा कि चव्हाणके बयान करते हैं. मुसलमानों को सिविल सर्विसेज़ में घुसाने की साज़िश को बेनक़ाब करना है.

लेकिन, जो लोग इस कोचिंग सेंटर से जुड़े हैं. संस्थान के बारे में उनकी राय बिल्कुल अलग है.

ये सुविधा उन पांच केंद्रों में से एक है, जिन्हें सरकार ने 2009 से 2010 के बीच वंचित समुदायों को सिविल सर्विसेज़, और दूसरे सरकारी इम्तिहानों की फ्री आवासीय कोचिंग देने के लिए स्थापित किया था.

जैसा कि आईपीएस अधिकारी सागर ने कहा ये एक ऐसी जगह है जहां वंचित समुदाय- सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी) और महिलाएं- अपने उस सपने के साकार होने की संभावना देख सकते हैं, जो अधिकतर भारतीयों के लिए सबसे प्रतिष्ठित उपलब्धि माना जाता है.

इस पहल का मक़सद इन समुदायों को ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को, सरकारी इम्तिहान पास करने के लिए प्रोत्साहित करना है और छात्रों के अनुभव बताते हैं कि ये उनके साथ बिल्कुल वही कर रहा है.

‘अच्छा काम कर रहा है’

भानु प्रभा ने, जो अरुणाचल प्रदेश के तिरप में बतौर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तैनात हैं. 2012 से 2014 के बीच इस कोचिंग सेंटर में पढ़ाई की. उनका कहना है कि सेंटर में मिली ट्रेनिंग से उन्हें सिविल सर्विसेज़ इंटरव्यू पास करने में मदद मिली.

प्रभा ने कहा, ‘कोचिंग से मुझे इंटरव्यू स्टेज की तैयारी करने में मदद मिली, क्योंकि अकैडमी ने सीनियर ऑफिसर्स के एक पैनल से मॉक इंटरव्यू कराया. उनका फोकस मुख्य रूप से जवाब लिखने और निबंध लिखने पर था. ऊंची रैंक पाने के लिए ये बहुत ज़रूरी होता है.’


यह भी पढ़ें : NTA ने NEET के लिए जारी किया ड्रेस कोड- छात्र फुल स्लीव्स के कपड़े और मोटे सोल वाले जूते नहीं पहन सकते हैं


सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर मौहम्मद तारिक़ ने कहा, ‘2010 में कोचिंग सेंटर की स्थापना के बाद से हमारे 240 से अधिक छात्र चुनकर, बतौर आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, और कस्टम्स अधिकारी नियुक्त हो चुके हैं. 260 से ज़्यादा छात्र, राज्य सेवाओं और बीएसएफ व आईटीबीपी जैसे, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में, बतौर ऑफिसर्स नियुक्त किए जा चुके हैं.’

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष वेद प्रकाश जिनकी देखरेख में ये पांच कोचिंग सेंटर स्थापित किए गए, ने कहा कि इस पहल का मक़सद सिविल सर्विसेज़ में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना था.

प्रकाश ने कहा, ‘ऐसा महसूस किया गया कि अस्पसंख्यकों, और एससी, एसटी समुदायों की, सिविल सर्विसेज़ में उचित नुमाइंदगी नहीं है, इसलिए पांच विश्वविद्यालयों में कोचिंग सेंटर्स स्थापित किए गए.’

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अलावा ये कोचिंग सेंटर, जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी दिल्ली, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद और भीमराव आम्बेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली में भी स्थापित किए गए. सेंटर्स स्थापित करने के लिए, शुरूआती अनुदान यूजीसी ने दिया और अब इनके संचालन के लिए केंद्र सरकार सालाना फंड्स जारी करती है.

प्रकाश के अनुसार, ज़्यादातर विश्वविद्यालय, ख़ासकर ‘जामिया हमदर्द और जामिया मिल्लिया’, बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, और ‘हर साल अच्छी संख्या में सिविल सर्वेंट्स तैयार कर रहे हैं.’

‘समान प्रतिनिधित्व’

तारिक़ ने, जो कोचिंग सेंटर की स्थापने के समय से ही उसके साथ जुड़े हैं. इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया, कि छात्रों की संख्या में एक ही धर्म हावी है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे कोचिंग सेंटर में सभी धर्मों के नुमाइंदे हैं. यहां के छात्रों में सिक्ख, ईसाई, मुसलमान, यहां तक कि कुछ बौद्ध भी हैं. महिलाओं और एससी/एसटी उम्मीदवारों की भी पूरी नुमाइंदगी है.’

तारिक़ ने कहा कि छात्रों का दाख़िला, एंट्रेंस टेस्ट और इंटरव्यू की बुनियाद पर होता है. उन्होंने कहा, ‘टेस्ट को 85 प्रतिशत वेटेज मिलता है और इंटरव्यू को 15 प्रतिशत वेटेज दिया जाता है, इसलिए जो उम्मीदवार भी टेस्ट में अच्छा करता है, उसे दाख़िला मिल जाता है. इसका कोई चांस नहीं है कि सिस्टम का किसी ख़ास समुदाय के प्रति झुकाव हो जाए.’

चव्हाणके के एपीसोड ‘यूपीएससी जिहाद’ उर्फ ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ का ऐलान एक ट्रेलर के ज़रिए किया गया, जिसकी भड़काऊ भाषा की बहुत व्यापक रूप से आलोचना हुई. बाद में सिविल सर्वेंट्स ने भी शो की आलोचना की, और इसे हेट स्पीच क़रार देते हुए चव्हाणके के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.


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जामिया के वर्तमान और पूर्व छात्रों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 अगस्त को शो के टेलीकास्ट पर रोक लगा दी. लेकिन जब सुदर्शन न्यूज़ ने इस रोक को चुनौती दी, तो कोर्ट ने इस बारे में आख़िरी फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया. बुद्धवार को केंद्र ने नियमों का हवाला देते हुए शो को हरी झंडी दे दी कि टीवी प्रोग्रामिंग की पहले से सेंसरशिप नहीं की जा सकती.

केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को बस ये सुनिश्चित करने की सलाह दी कि शो से टेलीवीज़न व विज्ञापन सामग्री की निगरानी करने वाले कोड का उल्लंघन न हो- कोड में एक प्रावधान ये है कि ऐसे कार्यक्रमों को रोक दिया जाएगा, जो दूसरे धर्मों या समुदायों को निशाना बनाते हों, धार्मिक समूहों के बारे में घृणित चित्र या शब्द इस्तेमाल करते हों या सांप्रदायिक प्रवत्तियों को बढ़ावा देते हों.

आई एंड बी मिनिस्ट्री की ओर से प्रोग्राम को हरी झंडी दिए जाने पर जामिया प्रशासन ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. दिप्रिंट ने टेक्स्ट और फोन के ज़रिए अधिकारिक प्रवक्ता से एक टिप्पणी लेने की कोशिश की. लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला था.

सुदर्शन न्यूज़ विवाद के बारे में पूछे जाने पर, तारिक़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अथॉरिटीज़ ‘देखेंगी कि क्या चल रहा है और अपना फर्ज़ निभाएंगी.’

इस बीच, विवाद से कोचिंग सेंटर की छवि को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा है, जिसे उम्मीद की एक किरन माना जाता है.

मनीशा मिंज़, जो दिल्ली के एक निजी कोचिंग सेंटर में पंजीकृत हैं, कहती हैं कि वो सेंटर में आवेदन देंगी. ‘इस साल से पहले मुझे इस कोचिंग सेंटर का पता ही नहीं था. मैं सेंटर में अप्लाई करूंगी. मैं इसके लिए योग्य हूं, चूंकि मेरा ताल्लुक़ एसटी श्रेणी से है. इससे मेरा काफी पैसा भी बचेगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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8 टिप्पणी

  1. Tum log kitani b gumarah Karo lekin ab sabhi log samjh raje hai ki Kya ho Raha hai…kun ho Raha hai…or desh ko tum jaise ghatiya log kis disha Mai le Jana cahte ho…….tum apni ghtiya reporting se baaz aao

  2. तो घबड़ाहट कैसा है? अगर कोई तथ्य आया है तो उसे जांच- परख कर देखना चाहिए न कि सच्चाई को जबरदस्ती मजहब का रंग देना चाहिए , दिल्ली दंगों में JNU AMU और जामिया मीलिया इस्लामिया की संलिप्ता को को नकारा नहीं जा सकता है , यहीं से देश और खाशकर ” हिन्दूओं ” को सबक सिखाने की ” साजिस ” रची गई जिसे हम भूल नहीं सकते,PFI जकात फाऊंडेशन क्या देश के खिलाफ ” साजिस ” ंनहीं कर रहा? राजनीतक कारणों से ये सब षडयंत्रों को दबाया जा रहा है , लेकिन कब तक?

  3. चार मुस्लिम।और एक हिन्दू यूनिवर्सिटी जबकि मुस्लिम सिर्फ 20 प्रसत है,ऐ क्या दिखता है?

  4. चार मुस्लिम।और एक हिन्दू यूनिवर्सिटी जबकि मुस्लिम सिर्फ 20 प्रसत है,ऐ क्या दिखता है?javabh de

  5. अगर कांग्रेस सरकार की मंशा साफ होती है तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ही क्यों कोचिंग सेंटर खोलें दूसरी जगह कोचिंग सेंटर खोलती है और यह 100 परसेंट सत्य है की जकात फाउंडेशन सरकारी तंत्र पर कब्जा करना चाहती है और इस देश का दुर्भाग्य है कि आप जैसे खबरिया पत्रकार सच्चाई पर पर्दा डालना चाहते हैं सुदर्शन चैनल बिल्कुल सत्य बता रहे हैं

  6. पुरा रिपोर्ट देखीए कैसे sc ओर o b c के साथ छल हो रहा है । ना केवल upsc में बल्की इलेक्शन रिजर्वेशन में भी।
    साजीशे रची जा रही है ।
    जरा सच बोलना सीखे ।

  7. बड़ी चालाकी से the प्रिंट ने जकात फाउंडेशन की जगह जामिया का यूपीएससी केंद्र का जिक्र कर के सब कुछ ठीक ठाक दिखा दिया। इन्हें बताना चाहिए था कि जकात फाउंडेशन का मकसद क्या हैं? किस किस धर्म के लोग वहां पढ़ते है?? फंड कहा से मिल रही है??

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