scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होमदेशअर्थजगतबीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74% करने वाला विधेयक राज्य सभा में पारित

बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74% करने वाला विधेयक राज्य सभा में पारित

बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.

Text Size:

नई दिल्ली: राज्य सभा ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने वाले बीमा संशोधन विधेयक को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाई गई शंकाओं को दूर करते हुये कहा कि हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनियों का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के पास चला जायेगा लेकिन इन कंपनियों में निदेशक मंडल और प्रबंधन के महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय लोग ही नियुक्त होंगे और उन पर भारतीय कानून लागू होगा.

बीमा संशोधन विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, ‘देश के कानून अब काफी परिपक्व हैं, देश में होने वाले किसी भी परिचालन को वे नियंत्रण में रख सकते हैं. (कोई भी) इसे (धन को) बाहर नहीं ले जा सकता है और हम देखते नहीं रह सकते हैं.’

बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.

बीमा कंपनियों के मामले में ‘नियंत्रण’ की परिभाषा में बदलाव पर उन्होंने कहा, नियंत्रण का मतलब है बहुलांश निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार होना, नीतिगत निर्णय लेने वाले प्रबंधन पर नियंत्रण होना जिसमें कि उनकी शेयरधारिता अथवा प्रबंधन का अधिकार अथवा शेयरधारक समझौता और मतदान समझौते आदि सभी शामिल हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने से उनका नियंत्रण भारतीय कंपनियों के हाथ में रखे जाने का मौजूदा प्रावधान समाप्त हो जायेगा लेकिन विदेशी नियंत्रण के साथ अन्य शर्तें जोड़ी गईं हैं. ‘ऐसी कंपनियों के निदेशक मंडल में बहुलांश निदेशक और महत्वपूर्ण प्रबंधन पदों पर भारतीयों को रखा जायेगा. इसका मतलब यह होगा उन पर भारत का प्रत्येक कानून लागू होगा. कंपनियों को अपना कुछ प्रतिशत मुनाफा सामान्य आरक्षित राशि के रूप में यहां रखना होगा. इसे (बाहर) नहीं ले जाया जा सकता.’

सीतारमण ने कहा कि इस तरह की शर्तों से उन आशंकाओं का समाधान हो जाना चाहिये कि बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा बढ़ने से देश में साम्राज्यवाद आ जायेगा और विदेशी कंपनियों का राज हो जायेगा.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में देश के बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को उस समय के 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के बाद से 26,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है.

उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र में अब एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने का विधेयक इस क्षेत्र के नियामकीय इरडा द्वारा व्यापक विचार विमर्श के बाद लाया गया है.

बीमा संशोधन विधेयक 2021 के राज्यसभा में पारित होने के बाद अब इसे चर्चा के लिये लोकसभा में पेश किया जायेगा. राज्यसभा में विपक्षी कांग्रेस और अन्य पार्टियों के सदस्यों के विधेयक के विरोध में सदन से बाहर चले जाने के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

विपक्षी सदस्यों के विधेयक को गहन विचार विमर्श के लिये सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग पर जोर देने के कारण चार बार सदन की कार्यवाही को छोटे छोटे अंतराल के लिये रोकना पड़ा.

वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत किये जाने की घोषणा एक फरवरी 2021 को पेश आम बजट में की है. वर्तमान में जीवन और साधारण बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई सीमा है जिसमें कंपनियों का मालिकाना और प्रबंधन नियंत्रण भारतीयों के पास रहता है.


यह भी पढ़ें: विकास वित्त संस्थान जो फिर स्थापित हुआ है, मोदी सरकार इस बार कैसे उसे सफल बना सकती है


 

share & View comments