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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशकैंसर का इलाज, मरे को जिंदा करना : चमत्कार में डेरों से मुकाबला कर रहे पंजाब के ईसाई प्रॉफेट, पादरी

कैंसर का इलाज, मरे को जिंदा करना : चमत्कार में डेरों से मुकाबला कर रहे पंजाब के ईसाई प्रॉफेट, पादरी

करिश्माई युवा ईसाई 'फेथ हीलर्स' की एक नई नस्ल भूतों को भगाने और गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करती है. लेकिन कई लोग इन 'चमत्कारों' और इन मिनस्ट्रीज के काम करने के तरीके पर सवाल उठाते हैं.

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चंडीगढ़: पहियेदार कुर्सी (व्हीलचेयर) पर बैठा एक दुर्बल सा व्यक्ति अपना सिर पीछे फेंकता है और अपना चेहरा ऐंठने लगता है, उसकी बाहें फड़कने लगती हैं, पैर कांपते हैं. फिर भी सभी की निगाहें उस पर नहीं, बल्कि पंजाब के ’चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विजडम’ में मिनिस्टर प्रॉफेट बजिंदर सिंह, या सिर्फ ‘प्रॉफेटजी’ पर टिकी हैं.

जींस और ब्लेज़र पहने हुए और 30 के दशक के अंत अथवा 40 के दशक की शुरुआत की आयु वाले बजिंदर शुक्रवार के कैसुअल माने जाने वाले दिन पर कार्यरत किसी कॉर्पोरेट कर्मी की तरह दिखते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि उस दिन उनके द्वारा स्वनिर्धारित ‘कार्य’ उस ‘बुरी आत्मा’ को दूर करना है, जिसने कथित तौर पर इस आदमी की चलने-फिरने की क्षमता छीन ली है.

बजिंदर उस आदमी की रोती हुई पत्नी को उकसाते हैं, ‘क्या तुझे यकीन है कि तुम यहां चंगे होकर जाओगे? विश्वास है तुझे‘. वह सुबकते हुए कहती है, ‘हां, मुझे विश्वास है.’ इसके बाद बजिंदर उस कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित और मंत्रमुग्ध लग रहे दर्शकों की तरफ तेजी से घूमते हुए उनसे गुजारिश करते हैं, ‘हर कोई, अपने हाथ उठाओ और पवित्र आत्मा को अपना काम करने दो.’ भीड़ इनके कहे का पालन करती है और बजिंदर अपना ध्यान वापस व्हीलचेयर पर बैठे व्यक्ति पर केंद्रित कर देते हैं.

‘यीशु, उसे छुओ!’ बजिंदर चिल्लाते हए कहते है, और वह आदमी भी जोर से चिल्लाता है. ‘उठ जाओ!’ बजिंदर उस आदमी को आज्ञा देते हैं.

और वह आदमी उठ खड़ा होता है….

भीड़ उत्साहपूर्ण ‘हाल्लेलुजाह’ के उच्चारण में व्यस्त हो जाती है, और ठीक इसी संकेत के बाद मंच पर प्रतीक्षा कर रहे बैंड- बाजे और गायक वाला दल एक फड़कता हुआ भक्ति गीत शुरू कर देता है. इस आकर्षक लय-ताल के साथ खुद पर क़ाबू पाना किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है. इस सब से यह तथाकथित उपचार इतना प्रभावी हो जाता है कि ‘रोगी’ भी थिरकते संगीत के बीच पादरी के साथ भांगड़ा-शैली के नृत्य में शामिल हो जाता है और यहां तक कि मंच के नीचे थोड़ा सा घूम-टहल भी लेता है.

बजिंदर सिंह ह्वीलचेयर के सहारे चलने वाले रोगी के साथ डांस करते हुए | फोटो- स्क्रीनग्रैब | यूट्यूब, प्रॉफेट बजिंदर सिंह.

पंजाब के विवादास्पद ईसाई मिनिस्ट्रीज द्वारा यूट्यूब पर साझा किए गए प्रचार वीडियोज में ऊपर वर्णित किये गए दृश्य जैसे वाकये दिखाया जाना असामान्य नहीं हैं. ये मिनिस्ट्रीज इन स्वयंभू ‘पादरियों’ (पास्टर्स), ‘प्रचारकों (अपोस्त्ले)’ , और यहां तक कि एक ‘प्रॉफेट’ (पैगंबर) द्वारा भी, निजी चर्चों में चलाए जाते हैं.

ये मिनिस्ट्रीज, जिनमें से लगभग सभी चमत्कारिक इलाज का वादा करते हैं, आमतौर पर उन करिश्माई युवा पुरुषों और महिलाओं द्वारा संचालित होते हैं जिनमें से अधिकांश धर्म परिवर्तन वाले ईसाई होते हैं. ये अपने हिंदू या सिख नामों को भी बरकरार रखते है, हालांकि वे अपने नामों के पहले एक ईसाई धार्मिक पदवी जरूर लगा लेते हैं.

उनके प्रतिष्ठानों (मिनिस्ट्रीज) के नाम भी एक तयशुदा प्रकार (टेम्पलेट) का अनुसरण करते हैं, जैसे कि: प्रॉफेट जिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज, अपोस्टल अंकुर योसेफ नरूला मिनिस्ट्रीज, पास्टर हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज, पास्टर अमृत संधू मिनिस्ट्रीज, पास्टर हरजीत सिंह मिनिस्ट्रीज, पास्टर मनीष गिल मिनिस्ट्रीज, पास्टर कंचन मित्तल मिनिस्ट्रीज, पास्टर दविंदर सिंह मिनिस्ट्रीज, पास्टर रमन हंस मिनिस्ट्रीज, आदि-आदि.

ये पादरी, जिन्हें परमेश्वर तक पहुंचने के माध्यम के रूप में देखा जाता है, दावा करते हैं कि वे हर संभव बीमारी और शारीरिक अक्षमता को ठीक कर सकते हैं, भूतों को भगा सकते हैं और यहां तक कि मृतकों को भी जीवित कर सकते हैं. उनके कहे अनुसार उनका दैवीय प्रभाव लोगों को वीजा प्राप्त करवाने, नौकरी दिलवाने, जीवन साथी की खोज करने, बच्चा पैदा करने, बेहतर राजनीतिक पद पाने आदि में मदद करने तक भी फैला हुआ है.

और इनके भक्तों की भी कमी नहीं है. इन मिनिस्ट्रीज में से कम-से-कम आधा दर्जन के पास बड़ी संख्या में अनुयायी हैं, और उनके ‘उपचार और प्रार्थना’ सत्र (हीलिंग एन्ड प्रेयर सेशंस) में हजारों की भीड़ जमा होती है. इनमे से कुछ की राज्य के लगभग सभी बड़े शहरों और कस्बों में शाखाएं भी हैं.

यह सब एक बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा भी हो सकता है. दिप्रिंट की एक पहले की गहन रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे पंजाब में ईसाई धर्म का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और मजहबी सिख तथा वाल्मीकि हिंदू समुदायों के कई दलितों ने जाति व्यवस्था के उत्पीड़न से बचने के लिए धर्मांतरण का विकल्प चुनना पसंद किया है. पंजाब के सीमावर्ती इलाकों, जैसे कि गुरदासपुर, में छतों पर भी छोटे-छोटे चर्च स्थापित हो रहे हैं. इन घटनाओं के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, जो पंजाब और कई अन्य राज्यों में गुरुद्वारों का प्रबंधन करती है, को इन ईसाई धर्मांतरणों का ‘मुकाबला’ करने के लिए एक अभियान शुरू करना पड़ा है. सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक संस्था, अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यहां तक आरोप लगाया है कि ईसाई मिशनरियां सिखों को धर्मांतरित करने के लिए धन और बल दोनों का उपयोग कर रहीं हैं.

विश्वास आधारित उपचार (फेथ हीलिंग) करने वाले इन मिनिस्ट्रीज का दावा है कि वे लोगों को परिवर्तित नहीं करना चाहते हैं, बल्कि केवल उन्हें ठीक करना चाहते हैं. लेकिन फिर भी वे उन्हें एक समुदाय जैसी भावना और दर्दनाक वास्तविकताओं के विरुद्ध सहारा प्रदान करते हैं.

उनके बढ़ते हुए प्रभाव का एक संकेत इस बात से भी मिलता है कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पंजाब के कुछ शीर्ष नेताओं ने इन मिनिस्ट्रीज के चर्चों में इनके ‘आशीर्वाद’ के लिए इस आशा के साथ दौरा किया कि शायद वे वोटों में परिवर्तित हो सकें. पिछले कुछ महीनों के दौरान उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा, राज्य कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिद्धू, कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह और परगट सिंह सहित कई विधायकों ने उनके कई सामूहिक कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. हालांकि, इनमें से कई चर्च न केवल अपने बेतुके – और संभावित रूप से खतरनाक भी – दावों और ‘उपचार’ की प्रथाओं के कारण विवादों में फंस गए हैं, बल्कि उनके वित्तीय लेनदेन में कथित अनियमितताओं के साथ-साथ उनसे जुड़े कुछ प्रमुख लोगों के व्यक्तिगत आचरण के बारे में भी चिंताए व्यक्त की जा रहीं है. इनमें से एक, बजिंदर सिंह, के खिलाफ फ़िलहाल बलात्कार के एक मामले में मुकदमा भी चला रहा है.


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‘उपचार’, ‘भूत भगाना, बप्तिस्मा, भविष्यवाणियां

हालांकि, इन मिनिस्ट्रीज का दावा है कि वे अपने अनुयायियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, और केवल ‘उनके जीवन को बदल रहे हैं’, फिर भी यहां होने वाली प्रार्थना, उपचार, भूत भगाने की कवायद, बपतिस्मा (ईसाई धर्म में दीक्षा) और भविष्यवाणी सत्र आदि पेंटेकोस्टल चर्च की परम्पराओं के साथ हॉली स्पिरिट (पवित्र आत्मा) के नाम पर ही किए जाते हैं.

सभी धार्मिक सभाओं को यीशु मसीह के नाम से आयोजित किया जाता है, और उपस्थित सभी लोगों को हाल्लेलुजाह के उच्चारण में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यहां के ‘पादरी’ बाइबिल से उपदेश देते हैं और उनके चर्च के स्थल के बाहर आयोजित सत्रों को ‘क्रूसेड’ (धर्मयुद्ध) कहा जाता है.

ये मिनिस्ट्रीज ‘बपतिस्मा’ भी प्रदान करतीं हैं, जिनके दौरान अनुयायियों को पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए कहा जाता है.

प्रमुख मिनिस्ट्रीज साप्ताहिक, द्वि-साप्ताहिक, और कुछ मामलों में दैनिक, प्रार्थना और उपचार सत्र भी आयोजित करते हैं. होर्डिंग, बैनर, पोस्टर, पैम्फलेट और सोशल मीडिया के जरिए इनका जमकर प्रचार-प्रसार किया जाता है. फोन लाइनें, जिन्हें ‘प्रार्थना टावर’ कहा जाता है, सत्र में भाग लेने वालों को पंजीकृत करने के लिए चौबीसों घंटे काम करती रहतीं हैं.

हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज की तरफ से आयोजित क्रिसमस का आयोजन.

ये सत्र आपने आप में काफी विलासितापूर्ण कार्यक्रम होते हैं और आमतौर पर किसी विशाल तंबू के नीचे या खुले मैदानों, जो जल्द ही पुरुषों, महिलाओं और बच्चों से भर जाते हैं, में आयोजित होते हैं. उनमें से अधिकांश गरीब तबके से और स्वास्थ्य तथा अन्य समस्याओं के लिए मदद मांगने वाले होते हैं. सलीके से कपड़े पहने और अच्छी तरह से सजा-धजा पादरी एक मंच से (अधिकांश समय के लिए) भीड़ की अध्यक्षता करता है. आमतौर पर उसकी पत्नी भी साथ होती है जो कभी-कभी खुद भी छोटे-बड़े ‘उपचार’ कर सकती है.

ये कार्यक्रम आम तौर पर पंजाबी कैरोल गाते हुए और लाइव बैंड पर नृत्य करते हुए गाने-बजाने वालों के एक समूह के साथ शुरू होता है. उत्तेजक संगीत अक्सर एकत्रित लोगों के बीच उच्च स्तर की भावना और (अक्सरहां) उत्साह भी जगाता है. पादरी उन्हें जो भी करने की आज्ञा देता हैं, वे वही करते हैं: वे अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर लहराते हैं, वे जमीन पर लेट जाते हैं, वे हिलते-डुलते हैं, वे अपने आप को उमेठते भी हैं. एक तरह से यह पूर्ण समर्पण का प्रदर्शन होता है. हालांकि, इन तमाशों का सबसे बड़ा आकर्षण तब आता है जब पादरी तात्कालिक रूप से मौके पर ही ‘चमत्कारिक उपचार’ का प्रदर्शन करता है.

इन मिनिस्ट्रीज के यूट्यूब चैनल में पादरियों को नेत्रहीनों की दृष्टि बहाल करते हुए, व्हीलचेयर पर बैठे बंधे हुए लोगों को इससे मुक्त करते हुए, और शरीर में उत्पन्न कैंसर, अल्सर और पत्थरों जैसे विकारों का काम-तमाम करते हुए दिखाया जाता है. लोगों के सिर पर हाथ रखने या उन पर पवित्र जल छिड़कने के माध्यम से सामूहिक ‘उपचार’ भी होते हैं.

‘मृतकों को पुनर्जीवित करना’ उनकी एक और विशेषता है. एक वीडियो क्लिप में प्रॉफेट बजिंदर सिंह ने एक तीन साल के बच्चे को मौत के मुंह से वापस लाने का दावा किया है. जैसे ही गायकों ने ‘यहोवा, यहोवा, यहोवा’ का नारा बुलंद किया, बजिंदर ने एक निष्क्रिय पड़ी बच्ची को उठाया और एक प्लास्टिक की बोतल से उस पर पानी के कुछ छींटों को मारने के साथ ही उसे पुनर्जीवित कर दिया.

अपोस्त्ले अंकुर नरूला तो इससे भी आगे निकल गये जब उन्होंने दावा किया कि उसने एक गर्भपात को पलट दिया और एक महिला के गर्भ में मृत एक बच्चे को फिर से जीवित कर दिया. उसने उपस्थित दर्शकों से कहा कि कोई धनी मां विश्वास के सहारे इतना लाभकारी जुआ नहीं खेलती और इसके बजाय उसने अस्पतालों में समय बर्बाद कर दिया होता.

इसके अलावा विभिन्न रंगों के भूत भगाने वाले तेल भी काफी लोकप्रिय हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि एक बार जब आप उन्हें अपने शरीर पर रगड़ते हैं और ‘हॉली स्परिट फायर’ का उच्चारण करते हैं – अर्ध-बेहोशी की हालत (ट्रान्स) जैसी अवस्था में करें तो और भी बेहतर – तो यह तुरंत आपके शरीर से बुरी आत्माओं को भगा देती है. इससे भी अधिक परेशान करने वाले तमाशे के रूप में ये पादरी शैतानी ताकतों को बाहर निकालने के नाम पर बच्चों सहित इनके तथाकथित ‘कब्जे वाले’ लोगों के साथ कुश्ती करते नजर आते हैं.

जब कोई पादरी आत्मा को बाहर निकालता है या उसे ‘अपने कब्जे में’ करता है, तो ‘प्रेज द लार्ड’ और ‘हाल्लेलुजाह’ जैसी तेज आवाजों के बीच आनन्दित और उन्मादी नृत्य भी होता है.

जो लोग ठीक हो चुके हैं या जिनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं, उनकी द्वारा दी गयी गवाही भी इन सत्रों का एक बड़ा हिस्सा हैं. कभी-कभी, अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी या अन्य सफलताओं के रूप में काफी अच्छा परिणाम प्राप्त करने का दावा करने वाले लोगों द्वारा बीज बोने (दान करने) के लाभों को भी लोगों के साथ साझा किया जाता है.

मिनिस्ट्रीज में से एक अमृत ​​संधू ‘उपचार’ अनुष्ठान करते हुए | फोटो: ट्विटर/@PastorAmrit

यहां भविष्यवाणी सत्र भी होते हैं, जहां पादरी भविष्य की घटनाओं बारे में भविष्यवाणियां करते हैं या उन घटनाओं के लिए श्रेय लेने का दावा करते हैं जिनके बारे में वे कहते हैं कि उन्होंने फलां बॉलीवुड सितारों के दुर्भाग्य या प्राकृतिक आपदाओं सहित कई चीजों का पूर्वाभास किया था.

भीड़ और मंच का प्रबंधन करने वाले सैकड़ों स्वयंसेवकों और मिनिस्ट्रीज के कर्मचारियों के सहयोग के साथ हर कार्यक्रम के हर मिनट को सावधानीपूर्वक व्यवस्थित किया जाता है. हरेक चमत्कार को कई कैमरों द्वारा कैद किया जाता है और बाद में इनके वीडियो मिनिस्ट्रीज के सोशल मीडिया हैंडल पर अपलोड किए जाते हैं. प्रमुख मिनिस्ट्रीज के यूट्यूब और फेसबुक पेज पर लाखों अनुयायी हैं, और कुछ सत्र, विशेष रूप से फेथ हीलिंग के सत्र, लाखों बार देखे जाते हैं (यहां उदाहरण के लिए….)

जब ‘उपचार’ में हो जाती है गड़बड़ ….

इन तथाकथित चमत्कारी ‘चिकित्सकों’ के बारे में ऐसी खबरें आई हैं कि कई बार उनके द्वारा मरीजों को अपना पहले से चल रहा इलाज छोड़ने के लिए कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है या फिर उनकी मृत्यु भी हो जाती है, लेकिन इस तरह की बहुत कम शिकायतें पुलिस तक पहुंचती हैं.

हालांकि, अप्रैल 2021 में मुंबई के एक परिवार ने पंजाब में पुलिस से शिकायत की थी कि प्रॉफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज ने कैंसर से पीड़ित एक 17 वर्षीय लड़की के इलाज के लिए उनसे 80,000 रुपये का शुल्क लिया था. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि उसकी मृत्यु के बाद, मिनिस्ट्रीज के कर्मचारियों ने उसे ‘वापस लाने’ की पेशकश करते हुए और अधिक पैसे की मांग की थी.

करतारपुर के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सुखपाल सिंह रंधावा के मुताबिक, इस मामले में जांच अभी जारी है. डीएसपी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज कर रहे हैं और सबूत जुटा रहे हैं.’

ऐसी भी चिंताएं जताई जा रहीं हैं कि ये ‘फेथ हीलिंग’ मिनिस्ट्रीज अपने अनुयायियों की तंदुरुस्ती की कीमत पर अपने लाभ के लिए अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं.

एक तर्क-आधारित (रेशनलिस्ट) संगठन तर्कशील सोसाइटी, के संस्थापक मेघ राज मित्तर ने कहा कि यह खेदजनक विषय है कि राजनेता भी ऐसे मिनिस्ट्रीज को प्रोत्साहित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘पैसे कमाने के लिए अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह उन लोगों को जिन्हें उनके खिलाफ काम करना चाहिए सहित, सभी को पसंद आता है. लोगों को इनके जालों में फंसने से रोकने का एकमात्र तरीका तर्कसंगत सोच और वैज्ञानिक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना है.’

तर्कशील सोसाइटी के पंजाब चैप्टर के प्रभारी हेमराज स्टेनो ने भी कुछ ऐसे ही बिंदु सामने रखे. उन्होंने कहा, ‘ये उपचार करने वाले ‘धोखेबाज’ हैं. यदि वे किसी मृत व्यक्ति को जीवित कर सकते हैं या किसी अंधे व्यक्ति की आंखों की रोशनी फिर से बहाल कर सकते हैं तो हम उन्हें 5 लाख रुपये देंगे – बशर्ते उस मृत शरीर या अंधे व्यक्ति को हम लाएं, और वे (फेथ हीलर्स) सार्वजनिक रूप से अपना ‘चमत्कार’ दिखाएं.’

उन्होंने यह भी कहा कि यह बड़े अफ़सोस की बात है कि सरकार इन ‘फेथ हीलर्स’ को दण्डित करने के लिए कोई काम नहीं कर रही है. वे कहते हैं ‘राजनेताओं के लिए, ये लोग वोट बैंक बन जाते हैं.’

स्टेनो ने कहा कि अंधविश्वास की प्रवृत्ति सभी धर्मों में व्याप्त है और इन सभी का विरोध किया जाना चाहिए.


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संदिग्ध फंड, कोई नियामक तंत्र नहीं

कई मिनिस्ट्रीज का दावा है कि प्रार्थना मुफ्त में की जाती है, लेकिन सभाओं के दौरान अनुयायियों को ‘चर्च में बीज बोने’ – जिसका अर्थ है दान करना – के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इन मिनिस्ट्रीज के सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए भी खुलेआम चंदा मांगा जाता है. ऐसे संकेत भी हैं कि कम-से-कम कुछ मिनिस्ट्रीज नकदी में पैसा उगाह रहे हैं. अगस्त 2021 की पंजाब खुफिया रिपोर्ट – जो दिप्रिंट के द्वारा भी देखी गई है – के अनुसार, दो शीर्ष मिनिस्ट्रीज – जालंधर स्थित पैगंबर बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज और अपोस्त्ले अंकुर योसेफ नरूला मिनिस्ट्रीज – ने सामूहिक रूप से पिछले पांच वर्षों में अपने बैंक खातों में 60 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्त की है.

अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज को 36 करोड़ रुपये और बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज को 24.5 करोड़ रुपये मिले; इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज को भी 5.42 करोड़ रुपये मिले.

दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से अंकुर नरूला और बजिंदर सिंह से संपर्क करने के कई प्रयास किए, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई.

पेंटेकोस्टल मसीह महासभा (पेंटेकोस्टल प्रचारकों की परिषद), पंजाब के अध्यक्ष जॉन कोटली, जो नरूला के करीबी सहयोगी होने का दावा करते हैं, ने कहा कि प्रार्थना सभाओं में आम तौर पर गरीब लोग शामिल होते हैं जो प्रति व्यक्ति 10 या 20 रुपये से अधिक दान नहीं करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘जो भी दान एकत्र किया जाता है, और जैसा कि आपने उल्लेख किया है यह 36 करोड़ रुपये भी हो सकता है, उसका उपयोग बहुत सारे सामाजिक सेवा कार्यों हेतु किया जाता हैं.’

प्रॉफेट बजिंदर सिंह नए साल पर एक गीत और नृत्य कार्यक्रम के दौरान | फोटो: फेसबुक/प्रॉफेट बाजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज

फिर भी, ऐसे सभी प्रमुख पादरी फैंसी कपड़ों, बड़ी कारों और लम्बी-चौड़ी निजी सुरक्षा के साथ एक शानदार जीवन शैली प्रदर्शित करते हैं. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वे अपने मिनिस्ट्रीज के तहत और अधिक निजी चर्च बनाने के लिए राज्यभर में सम्पत्तियां भी खरीद रहे हैं.

अकेले नवंबर और दिसंबर के महीनों में जालंधर, पटियाला, पठानकोट, मोहाली, जीरकपुर, नवांशहर, नकोदर, राजपुरा और लुधियाना में प्रमुख मिनिस्ट्रीज की कई नई शाखाएं खोली गईं हैं.

बढ़ती संख्या वाली ये मिनिस्ट्रीज स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं और इस क्षेत्र के दो मुख्य चर्चों – चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई), जिसके तहत उत्तर भारत के अधिकांश प्रोटेस्टेंट चर्च आते हैं, और डायोसिस ऑफ़ जालंधर, जिसके अधिकार क्षेत्र के तहत पंजाब के 23 जिलों में से 15 जिलों साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के चार जिलों के में रोमन कैथोलिक चर्च भी आते है – में से किसी से भी संबद्ध नहीं हैं.

सीएनआई के तहत आने वाली अमृतसर डायोसिस के बिशप डॉ. प्रदीप कुमार सामंत राय ने दिप्रिंट को बताया कि ये ‘स्वतंत्र चर्च’ अपने अलावा किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. उन्होंने उनकी तुलना डेरों से भी की जो ऐसे धार्मिक संप्रदाय है जो सिख धर्म की मुख्यधारा से बाहर काम करते हैं, लेकिन फिर भी उनके बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं.

उन्होंने कहा, ‘वे ईसाई धर्म में डेरा संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं. शुरुआत में, जब घुमन्तू प्रचारक और फेथ हीलर्स ने अपना काम शुरू किया था तो वे सेवा करने और लोगों को स्वस्थ करने की सच्ची इच्छा से प्रेरित थे. लेकिन अब जो हम देख रहे हैं वह सब व्यावसायिक हितों से प्रेरित लगता है.’

बिशप ने आगे कहा, ‘मैं सीएनआई का मॉडरेटर (मध्यस्थ) रहा हूं, जिसके पास भारत के लगभग तीन-चौथाई हिस्से में 27 डायोसिस हैं, लेकिन मैंने स्वतंत्र चर्चों के इस पैमाने पर संचालन को पंजाब के अलावा कहीं और नहीं देखा है.’

सामंत राय ने कहा कि वह इस तथ्य से चिंतित हैं कि मिनिस्ट्रीज ‘उपचार के नाम पर पैसे मांग रहे हैं’. उनके अनुसार यही कारण है कि वह इन मिनिस्ट्रीज को फेथ हीलर्स नहीं बल्कि फेक (नकली) हीलर्स की तरह देखते हैं.

बिशप सामंत राय ने कहा कि इन मिनिस्ट्रीज के कामकाज की निगरानी के लिए एक नियामक तंत्र समय की मांग है.

उन्होंने कहा, ‘इसके दो पहलू हैं. पहला है धर्म, इसके प्रति आस्था, उसकी शिक्षाएं और इसकी परम्पराएं . दूसरा पहलू है व्यवस्था या अनुशासन या ऐसे प्रणाली जो पारदर्शी और जवाबदेह दोनों होनी चाहिए. इस मुद्दे पर सभी चर्च ऑर्डर्स को एक साथ आने चाहिए और इन मिनिस्ट्रीज के कामकाज के लिए एक ऐसे तंत्र का निर्माण करना चाहिए जो इसे विनियमित कर सके.’

रोमन कैथोलिक जालंधर सूबा के जनसंपर्क अधिकारी फादर पीटर कवुमपुरम ने दिप्रिंट को बताया कि ये मिनिस्ट्रीज स्वतंत्र रूप से करते हैं और उनका से कोई संबंध नहीं था. उन्होंने कहा, ’हम उनके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, हम केवल अपने चर्चों के साथ मतलब रखते हैं,’

फादर कवुमपुरम ने कहा, ‘अगर वे (मिनिस्ट्रीज) चर्च या इसके धर्म सिद्धांत या फिर इसकी आस्था के सिद्धांत के खिलाफ मौलिक रूप से कुछ भी करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से उनका विरोध किया जाएगा. तब तक, वे जो कुछ भी कर रहे हैं उसका मार्गदर्शन उनके विवेक पर निर्भर है. जो उन पर विश्वास करते हैं उन लोगों के प्रति वे स्वयं जवाबदेह हैं.’

साल 2019 में, राज्य के ईसाई समुदाय ने शिरोमणि चर्च प्रबंधक समिति (एससीपीसी) की स्थापना के साथ इन मिनिस्ट्रीज के कामकाज को विनियमित करने का प्रयास किया, लेकिन यह अल्पकालिक प्रयास साबित हुआ.

क्रिश्चियन यूनाइटेड फेडरेशन, पंजाब के अध्यक्ष अल्बर्ट दुआ ने एससीपीसी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि यह संस्था वर्तमान में ‘निष्क्रिय’ है क्योंकि सदस्यों के बीच मतभेदों के कारण ‘कोई सहमतिपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सका.

उन्होंने कहा, ‘हमें जानकारी है कि ये मिनिस्ट्रीज क्या कर रहे हैं और हमें उनकी बहुत सारी शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन जब तक हमारे पास कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है, तब तक हम कुछ खास नहीं कर सकते हैं.’

प्रचारक अंकुर नरूला के प्रबंधन में भव्य नव वर्ष की पूर्व संध्या समारोह | फोटो: फेसबुक/अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज

दुआ का मानना है कि इन मिनिस्ट्रीज की निगरानी के लिए एक नियामक संस्था स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को चर्चों और ईसाई निकायों के साथ सहयोग करना चाहिए, लेकिन उन्हें इस बारे में को ज्यादा उम्मीदें भी नहीं हैं.

दुआ ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि मुख्यधारा के चर्चों या फिर पारंपरिक ईसाई निकायों को मजबूत करने के बजाय, सरकारी प्रतिनिधि इन मिनिस्ट्रीज को संरक्षण दे रहे हैं.’

वर्तमान में, इन मिनिस्ट्रीज के निगरानी निकाय के रूप में काम कर सकने वाली के सबसे नज़दीकी संस्था पेंटेकोस्टल चर्च प्रबंधक समिति (पीसीपीसी) है, जिसे नवंबर 2021 में पादरी हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज द्वारा स्थापित किया गया था. इस निकाय का उद्देश्य मिनिस्ट्रीज को स्व-विनियमन में मदद करना है.

पीसीपीसी का शुभारंभ करने के दौरान खोजेवाला ने घोषणा की थी, ‘अगर किसी को किसी (मिनिस्ट्रीज) के बारे में देने के लिए कोई शिकायत है, तो कृपया हमें बताएं.’

फिरोजपुर में ‘चर्च ऑफ होप’ के वरिष्ठ पादरी और पीसीपीसी की कार्यकारिणी के सदस्य कुलदीप मैथ्यू ने दिप्रिंट को बताया कि 980 संगठन पहले ही संस्था के साथ अपना पंजीकरण करा चुके हैं.

मैथ्यू ने कहा, ‘अगर किसी के खिलाफ शिकायत प्राप्त होती है, तो हम मामले की जांच करते हैं और फिर अन्य सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करते हैं. अगर कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता है, तो हम ऐसा भी करते हैं.’

हालांकि, पारदर्शिता अभी बहुत दूर की कौड़ी है.

इन मिनिस्ट्रीज के कामकाज के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, सिवाय इसके कि वे अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपने बारे में क्या साझा करते हैं.

बजिंदर सिंह और अंकुर नरूला के अलावा, दिप्रिंट ने अन्य सभी लोकप्रिय पादरियों – जिसमें हरप्रीत देओल, अमृत संधू, मनीष देओल, कंचन मित्तल, रमन हंस, दविंदर सिंह और हरजीत सिंह शामिल हैं- से भी फोन कॉल और मोबाइल संदेशों के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कोई भी नहीं जवाब दिया.


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प्रमुख मिनिस्ट्रीज, कुछ विवादित नेता

अपोस्त्ले अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज अपनी वेबसाइट पर, ‘पंजाब में सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता चर्च मिनिस्ट्रीज’ होने का दावा करता है.

जालंधर के खंब्रा गांव में स्थित ‘चर्च ऑफ साइंस एंड वंडर्स’ वाले अपने घरेलू आधार के साथ, इसके द्वारा लगभग तीन लाख सदस्य होने का दावा किया जाता है.

इसके नेता, अंकुर नरूला, एक हिंदू खत्री व्यवसायी परिवार से आते हैं, और एक ड्रग एडिक्ट रूप से उबरने का दावा करते हैं. इसकी वेबसाइट के अनुसार, नरूला को ‘नशे और बीमारी से निराश होकर आत्महत्या करने के समय प्रभु यीशु मसीह के बारे में पता चला. उन्होंने इस गॉस्पेल (ईसोपदेश) के बाद खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर दिया और वर्ष 2008 में चर्च में 3 लोगों के साथ अपना मिनिस्ट्रीज शुरू किया…’

यह साइट आगे घोषणा करती है कि नरूला अब ‘चर्च ऑफ साइन्स एंड वंडर्स’ में हर हफ्ते 100,000 से अधिक लोगों की एक मंडली को यीशु मसीह के बारे में शुभ समाचार सुनाते हैं.

इसमें कहा गया है कि ‘चमत्कार की सेवाओं, सम्मेलनों, टीवी प्रसारण, इंटरनेट, मुद्रित पृष्ठ (मसिही संसार), और ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से’, नरूला का संदेश अब ‘दुनिया भर में हजारों लोगों’ को प्रेरित करता है. नरूला पंजाब के पहले उन मिनिस्ट्रीज में से एक थे, जिन्होंने बड़ी संख्या में अनुयायी बनाये थे.’

अमृत संधू, हरजीत सिंह, पंकज रंधावा और पवन चौहान जैसे पादरियों के कई उभरते हुए मिनिस्ट्रीज ने घोषणा की है कि नरूला उनके आध्यात्मिक पिता (स्पिरिचुअल फादर) हैं और वे उनके ही नक्शेकदम पर चल रहे हैं.

इस जनवरी में, नरूला ने पादरियों के लिए एक परामर्श कार्यक्रम भी शुरू करने वाला है.

अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज के साथ काम करने वाले एक पादरी यूनुस मसीह के अनुसार, यह चर्च पूरी तरह से ‘परोपकार’ के लिए काम करता है.

मसीह ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम लोगों को राशन देते हैं, गरीबों की शादी में मदद करते हैं – एक-एक पैसे का हिसाब है. हम पूरी तरह से स्वैच्छिक दान पर काम करते हैं. उपचार या अन्य सेवाओं के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. और किसी का भी धर्म परिवर्तन नहीं होता है.’

जैसा कि इस आलेख में पहले ही उल्लेख किया गया है, अपोस्त्ले अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज अपने फंड की वजह से जांच के दायरे में आ गया है, और इसे हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से भी कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है.

नवंबर 2020 में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक समूह ‘लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी’ ने एक ट्विटर थ्रेड में दावा किया था कि उसने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट – एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के लिए नरूला के खिलाफ केंद्रीय गृह मिनिस्ट्रीज में शिकायत दर्ज कराई थी. इस समूह ने आरोप लगाया कि नरूला ने ब्रिटेन में दस दिनों के लिए एक मुखौटा कंपनी बनाई और फिर इसे ‘मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क’ स्थापित करने की नीयत से भंग कर दिया.

पिछले साल 23 नवंबर को, नरूला ने अपने चर्च की दिल्ली शाखा खोली, जिसमें कथित तौर पर एक हफ्ते बाद बजरंग दल के सदस्यों ने तोड़-फोड़ की थी और तब से यह बंद है. हालांकि तोड़-फोड़ करने वाले उपद्रवियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, मगर मिनिस्ट्रीज के कर्मचारियों पर भी सामाजिक दूरी की परवाह किये बिना बड़ी सभा आयोजित करके आपदा प्रबंधन अधिनियम की शर्तों के उल्लंघन के लिए एक मामला दर्ज किया गया था.

प्रॉफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज ने काफी तीव्र गति से वृद्धि की है और अब वह नरूला को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इस सारे परिदृश्य में नवागंतुक माने जाने बजिंदर सिंह ने अपने अनुयायियों का बड़ा आधार बना लिया है. अब चाहे इसका जो भी महत्व हो परन्तु यूट्यूब उनके 13.5 लाख अनुयायी हैं जबकि नरूला के अनुयायियों की संख्या 6.83 लाख ही हैं.

बजिंदर सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपने बारे में बहुत कम खुलासा किया है, लेकिन पंजाब पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वह हरियाणा के यमुनानगर के एक हिंदू जाट परिवार से आता है और उसके पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है.

इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बजिंदर को, जब वह 20 वर्ष का था, एक हत्या के मामले में उसकी संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद परिवार ने उसे छोड़ दिया. दिप्रिंट ने हत्या के इस मामले की पूछताछ के लिए यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कमलदीप गोयल से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कहा कि जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं है और वह इस बारे में और खोज-बीन करेंगे (इन विवरणों से अवगत होने के बाद यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी).

पंजाब पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार जो पता चलता है, वह यह है कि बजिंदर ने अपने गिरफ्तार होने के दौरान ईसाई धर्म की ओर झुकना शुरू कर दिया था, और उसने अपनी रिहाई के बाद इसकी बातों को फैलाने का फैसला किया.

उसने 2008 में अपना धर्म परिवर्तन कराया और 2012 तक लोगों को ‘चंगा’ करने के लिए छोटी-छोटी सभाओं का आयोजन करना शुरू कर दिया.

ह्वीलचेयर वाले ‘भक्त’ बाजिंदर सिंह के ‘चमत्कार’ का इंतजार करते हुए | फोटो: फेसबुक/प्रॉफेट बाजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज.

बजिंदर की किस्मत में कैसे बदलाव आया इस बात का विवरण देते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि, ‘शुरुआत में, वह जालंधर जिले के एक चर्च के पादरी था, लेकिन 2015 में, वह चंडीगढ़ चला गया और बाद में, चर्च ऑफ़ ग्लोरी एंड विज़डम, चंडीगढ़ का अध्यक्ष बन गया. साल 2017 और अगस्त 2021 के बीच उसने कथित तौर पर 24 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की, और इसी अवधि के दौरान उसने शादी भी की और उसके तीन बच्चे भी पैदा हुए.

हालांकि, यह सब उसके लिए एकदम से आसान सफर भी नहीं रहा है. अप्रैल 2018 में, चर्च के ही एक स्वयंसेवक ने बजिंदर पर मोहाली में अपने आवास पर उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था. इसके बाद भाग कर लंदन जाने के लिए उड़ान भरने से पहले ही उसे जुलाई 2018 में दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बजिंदर ने केवल दो महीने जेल में बिताए और अभी जमानत पर बाहर हैं, वह वर्तमान में उसके खिलाफ इस कथित बलात्कार के मुकदमे को लेकर मोहाली में चल रहा है. अभियोजन पक्ष द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के काम के लगभग समाप्त होने के साथ ही मामला सुनवाई के अंतिम चरण में है; इस मामले में आखिरी सुनवाई 22 दिसंबर को हुई थी. बजिंदर ने अपने प्रवचनों में दावा किया है कि उसके खिलाफ लगे सभी आरोप झूठे हैं.

सितंबर 2021 में, बजिंदर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की तरफ से भी परेशानी का सामना करना पड़ा, जब उसके खिलाफ धर्मांतरण के उदेश्य से बच्चों का इस्तेमाल करने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी. हालांकि बच्चे के परिवार द्वारा मिनिस्ट्रीज के पक्ष में गवाही दिए जाने के बाद इस शिकायत को बंद कर दिया गया था.

जुलाई 2021 में, नई चंडीगढ़ के बूथगढ़ गांव, जहां बजिंदर ने अपने प्रार्थना सत्र चलाने के लिए जमीन का एक बड़ा सा टुकड़ा किराए पर लिया हुआ है, में मिनिस्ट्रीज के कर्मचारियों और किसानों के बीच एक हिंसक विवाद हुआ था. इस गांव के एक निवासी ने उनका नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘उसने अपने कर्मचारियों से कहा था कि जब तक वह मंच पर उपदेश दे रहा है, तब तक वे किसानों को अपने ट्रैक्टरों का उपयोग बंद करने के लिए कहें. इस बात पर किसानों ने विरोध किया और इसी को लेकर बजिंदर के आदमियों और किसानों के बीच हिंसक लड़ाई हुई. बाद में यह सारा मामला पुलिस थाने में सुलझा लिया गया था.’

बूथगढ़ गांव के इस निवासी ने आगे यह भी दावा किया कि बजिंदर के सत्र ‘गोपनीयता’ से सरोबार होते हैं और अधिकांश आगंतुक इस इलाके के से नहीं होते हैं. उन्होंने कहा,’वे (आगंतुक) रात में ठहरने के लिए जगह की तलाश में गांव में हमारे पास आते रहते हैं. हमें यह भी पता चला है कि जिन लोगों को अंदर जाने दिया जाता है, उनसे कहा जाता है कि वे अपने मोबाइल फोन बाहर छोड़ दें ताकि वे किसी असफल उपचार के अनुभव के बारे में, या तब जब कोई व्यक्ति उपचार के लिए पैसे देने के बारे में बोल रहा हो; वीडियो न बना पाएं.’

जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, न तो बजिंदर सिंह और न ही उसके प्रतिनिधियों ने एक साक्षात्कार के लिए दिप्रिंट के फोन कॉल और मोबाइल संदेशों का कोई जवाब दिया.

पादरी हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज पंजाब में इस तरह के सबसे पुराने प्रतिष्ठानों में से एक है. सिख धर्म से धर्मांतरित हरप्रीत के पिता हरभजन सिंह ने 1991 में कपूरथला के खोजेवाला गांव में ‘ओपन डोर चर्च’ की शुरुआत की थी.

पादरी हरप्रीत देओल और उनकी पत्नी से आशीर्वाद के लिए माता-पिता अपने बच्चों के साथ लाइन में खड़े हैं | फोटो: फेसबुक/पादरी देओल खोजेवाला

हरप्रीत देओल ने 2020 में दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘मेरे पिता 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे, जहां वे बीमार पड़ गए और फिर एक ईसाई पादरी ने उनका इलाज किया. इसके बाद वह ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गया और यीशु मसीह के वचनों का प्रचार करने और लोगों को चंगा करने के लिए भारत वापस आ गए.’ उन्होंने इसी साक्षात्कार में कहा था कि वह पहले तो मिनिस्ट्रीज में काम करने के प्रति अनिच्छुक थे लेकिन कुछ ‘असाधारण अनुभवों’ ने इस बारे में उनका विचार बदल दिया.

हरप्रीत देओल की पत्नी गुरशरण कौर भी उनके साथ ही काम करती हैं. वह उपदेश भी देती हैं और उपचार सत्र भी आयोजित करती हैं. वर्तमान में, देओल की मिनिस्ट्रीज उनके गांव में एक विशाल चर्च भवन का निर्माण कर रहा है.


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राजनेता चाहते हैं ‘आशीर्वाद’

राज्य में चुनाव काफी नजदीक हैं और, पंजाब में कई शीर्ष राजनेता अपने राजनीतिक संपर्क के प्रयासों के तहत प्रमुख मिनिस्ट्रीज के ‘प्रार्थना और उपचार’ सत्रों, शाखा-उद्घाटन समारोहों और क्रिसमस पूर्व समारोहों में दिखाई दिए हैं.

14 दिसंबर को, उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने गुरदासपुर के कलानौर (जो रंधावा के निर्वाचन क्षेत्र, डेरा बाबा नानक का हिस्सा है) में अपोस्त्ले अंकुर योसेफ नरूला मिनिस्ट्रीज के एक विशेष सत्र में भाग लिया. हजारों की संख्या में उपस्थित भीड़ के सामने ही नरूला ने रंधावा को ‘आशीर्वाद’ दिया, जिन्होंने उत्साही हलेलुजाहों के साथ इसका जवाब दिया और कृतज्ञता में अपना सिर झुका लिया. रंधावा के सार्वजनिक फेसबुक पेज पर उपलब्ध इस सारी कार्यवाही के वीडियो में नरूला को सत्ता पर काबिज लोगों के लिए ‘विशेष प्रार्थना’ करते हुए दिखाया गया है, जबकि डिप्टी सीएम उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े दिखते हैं.

14 दिसंबर को सुखजिंदर रंधावा के साथ अंकुर नरूला | फेसबुक वीडियो/सुखजिंदर रंधावा से स्क्रीनग्रैब.

20 नवंबर को, रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के साथ, प्रॉफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज की अमृतसर शाखा के उद्घाटन में भी शामिल हुए.

रंधावा का बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज के साथ पुराना इतिहास रहा है. जुलाई 2019 में, जब वह कैबिनेट मंत्री थे, तो उन्हें बजिंदर सिंह का आशीर्वाद मिला था. इसके बाद, बजिंदर ने सितंबर 2021 में रंधावा के डिप्टी सीएम के रूप में पदोन्नत करने पर अपना श्रेय लेना सुनिश्चित किया.

दिप्रिंट ने इन कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी पर एक टिप्पणी के लिए कई फोन कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से रंधावा तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी.

इसी तरह, 30 नवंबर को, कैबिनेट मंत्री और कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने पादरी हरप्रीत सिंह देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज द्वारा आयोजित पेंटेकोस्टल क्रिश्चियन प्रबंधक कमेटी (पीसीपीसी) के ‘भव्य उद्घाटन समारोह’ में भाग लिया था .

राणा ने वहां जुटी एक विशाल भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने पादरी देओल के साथ दो घंटे से अधिक समय बिताया है और मैं आपको बता दूं कि उनके बारे में कुछ तो खास है. मैं भी धीरे-धीरे उनका प्रशंसक बन रहा हूं. सभी धर्म एक भगवान की ओर ले जाते हैं, चाहे हम कोई भी रास्ता चुने’.

राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इमानुएल नाहर भी वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा, ‘पंजाब में कभी कोई ईसाई विधायक या सांसद नहीं बना है. इसे बदलने की जरूरत है. हमें बेहतर प्रतिनिधित्व की जरूरत है.’

इन मिनिस्ट्रीज में नेताओं की अन्य उल्लेखनीय यात्राओं में जलालाबाद के विधायक रमिंदर सिंह आवला और फिरोजपुर के पूर्व कांग्रेस सांसद शेर सिंह गुबया द्वारा फाजिल्का में बजिंदर सिंह के ‘उपचार सत्र’ में 10 दिसंबर की उपस्थिति और पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह की ट्रैकसूट पहने अंकुर नरूला से क्रिसमस के अवसर पर हुई ‘शिष्टाचार भेंट‘, शामिल हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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