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Thursday, 25 April, 2024
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बस्तर निवासियों को बघेल सरकार का तोहफा, नगरनार स्टील संयंत्र का अगर केंद्र ने किया ‘निजीकरण’ तो खरीद लेंगे

 भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण न करने की मांग करते हुए कहा डिस्इंवेस्टमेंट की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार इस संयंत्र को खरीदने के लिए तैयार है. प्लांट को निजी हाथों में नहीं जाने देगी.

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रायपुर: भारत सरकार द्वारा बस्तर में निर्माणाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण किए जाने के एलान के बीच छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सोमवार को कहा है कि वह संयंत्र को निजी हाथों में नहीं जाने देगी और वह इसे खरीदेगी.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छ्त्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सरकार द्वारा लाये गए संकल्प पर चर्चा के दौरान यह घोषणा की.

सदन में बोलते हुए बघेल ने कहा, ‘इस संयंत्र को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे. छ्त्तीसगढ़ सरकार इसे स्वयं चलाएगी. सवाल छत्तीसगढ़ की अस्मिता का है, बस्तर के आदिवासियों का है. बस्तर के लोगों का इससे भावनात्मक लगाव रहा है.’

बघेल ने केंद्र से नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण न करने की मांग करते हुए कहा, ‘डिस्इंवेस्टमेंट की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार इस संयंत्र को खरीदने के लिए तैयार है.’

बघेल ने कहा कि राज्य सरकार और स्थानीय जनता ने अपनी जमीन सार्वजनिक उपक्रम एनएमडीसी को यहां स्टील प्लांट लगाने के लिए दिया था.

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, ‘निजीकरण के खिलाफ लगातार आंदोलन हो भी रहे हैं लेकिन भारत सरकार इस संयंत्र के विनिवेश की तैयारी कर रही है और सितम्बर 2021 तक इसे पूर्ण करने का इरादा है. खदान को एनएमडीसी से डिमर्ज कर दिया गया है. ऐसे में यह प्रस्ताव बहुत आवश्यक था.’


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सर्वसम्मति से हुआ संकल्प पारित

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सदन में लाया गया संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया. संकल्प में कहा गया है, ‘यह सदन केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करता है कि भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी द्वारा स्थापनाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र, जिला बस्तर का केन्द्र सरकार द्वारा विनिवेश न किया जाए. विनिवेश होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ शासन इसे खरीदने हेतु सहमत है’.

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि नगरनार के मामले में भारत सरकार के आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने नवंबर 2016 में एनएमडीसी की नगरनार स्टील प्लांट के 51 प्रतिशत शेयर निजी क्षेत्र को बेचने की सहमति दी. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था कि अगर विनिवेश किया गया तब नक्सल गतिविधियों को नियंत्रित करना मुश्किल होगा.’

भाजपा पर निशाना साधते हुए बघेल ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी घाटे में चल रही थीं, उनका विनिवेश किया गया था. जबकि केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार उस संयंत्र का विनिवेश कर रही है जिसे अभी तक प्रारंभ ही नहीं किया गया है.

बघेल ने कहा कि यदि नगरनार इस्पात संयंत्र का विनिवेश किया जाता है तब उनकी सरकार संयंत्र को खरीदने के लिए तैयार है. क्या भारतीय जनता पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है? तब विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और भाजपा के अन्य विधायकों ने कहा कि यदि सरकार संकल्प की भाषा को संशोधित रूप में प्रस्तुत करती है तब इस संकल्प का वह समर्थन करेंगे.

बघेल ने कहा, ‘एनएमडीसी को खदान की लीज इस शर्त पर दी गई थी कि वह नगरनार स्टील प्लांट लगाएगा लेकिन केंद्र द्वारा इसी वर्ष निर्माणाधीन प्लांट के डिमर्जर का निर्णय लेकर संयंत्र को अलग यूनिट मान लिया गया.’

बघेल के अनुसार ‘भारत सरकार के विधि सलाहकार, परिसंपत्ति मूल्यांकन-कर्ता द्वारा भी बार-बार आपत्ति दर्ज कराई गई कि इस संयंत्र को नहीं बेचा जाना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जो बना ही नहीं है उसे बेचने की तैयारी हो रही है. यह बहुत दुर्गर्भाग्यपूर्ण है.’

बता दें कि निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट की लागत करीब 20 हजार करोड़ है. यह पूर्णतः केंद्र का उपक्रम है. इसे 2019 में ही कमीशन होना था लेकिन यह कार्य करीब दो वर्ष पीछे हो गया है. अब यह प्लांट अगले वर्ष कमीशन होना है.

बस्तर जिले के नगरनार क्षेत्र में 1980 एकड़ भूमि में स्थापित होने वाले इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता तीन मिलियन टन प्रतिवर्ष होगी.

बघेल ने कहा, ‘हम बस्तर के आदिवासियों और परंपरागत निवासियों, सबका विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं. इसका परिणाम है कि नक्सली आज राज्य में पाकेट्स में सिमट गए हैं.’

शीतकालीन सत्र दो दिन पहले समाप्त

छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र अपने तय समय से दो दिन पहले ही समाप्त हो गया.

विधानसभा में सोमवार को उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने शीतकालीन सत्र के समाप्त होने की घोषणा की और कहा कि छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा का यह सत्र 21 दिसम्बर से 30 दिसम्बर के मध्य आहूत था लेकिन आज उसका समापन हो रहा है.

मंडावी ने बताया कि इस सत्र की कुल पांच बैठकों में लगभग 21 घंटों की चर्चा हुई है. इस सत्र में तारांकित प्रश्नों की 505 और अतारांकित प्रश्नों की 456 सूचनाएं प्राप्त हुईं जिसमें से 22 प्रश्नों पर सभा में अनुपूरक प्रश्न पूछे गए.


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