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Tuesday, 26 March, 2024
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हरियाणा: वर्ल्ड कप की दावेदार लड़कियों का हो रहा यौन शोषण, खट्टर सरकार पैसे गिनने में व्यस्त

करीब 8 लड़कियों के साथ कथित यौन शोषण के मामले में नया मोड़ तब आया जब ऑडियो में दर्ज लड़कियों के नामों से ही एक नाबालिग लड़की ने कोच विनोद पर यौन शोषण की एफआईआर दर्ज करवाई.

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‘…कोच तुम लड़कियों के साथ नंगा सोता था कि नहीं?
हां.
कोच पेट पर हाथ फेरता था?
हां.
कोच ने कितनी लड़कियों के साथ किया है?
बताया तो था सब.
तेरे साथ भी किया था?
हां.
उसने तुम लड़कियों को गंदी फिल्म (पॉर्न) दिखाई?
हां.
ये भी कहा था कि अनीता की हाइट छोटी रह गई है, उसका भी पेट बढ़ाना पड़ेगा?
हां. मैं सब बता चुकी हूं तो फिर क्यों पूछ रहा है?’

हिसार से 35 किलोमीटर दूर सदलपुर गांव में एक लड़कीलड़के की उपरोक्त बातचीत के वायरल ऑडियो को लेकर हंगामा मचा हुआ है. इस ऑडियो के आने के बाद अगले साल भारत में हो रहे महिला अंडर 17 फुटबॉल वर्ल्ड कप में खेलने की दावेदार कम से कम 11 लड़कियों का भविष्य खतरे में है. गौरतलब है कि पिछले चार सालों से सदलपुर की लड़कियों ने फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर धमाल मचाया हुआ है.

इस ऑडियो में कथित तौर पर सदलपुर से पांच किलोमीटर दूर चूली बागडियान गांव के एक प्राइवेट फुटबॉल कोच विनोद लॉयल द्वारा कम से कम 8 लड़कियों के यौन शोषण का खुलासा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि ऑडियो में बोल रही लड़की सदलपुर गांव की है और लड़का चूली बागडियान गांव का.

10 जून 2019 के आसपास वायरल हुए इस ऑडियो को लेकर 15 जून को आदमपुर मंडी थाने में एफआईआर दर्ज हुई. थाना प्रभारी राजकुमार ने दिप्रिंट को बताया कि ऑडियो रिकॉर्ड करने वाले लड़के के खिलाफ लड़की को बदनाम करने, गांव की शांति भंग करने के आरोप में आईपीसी की धारा 354, 354 बी, 500 और 504 के तहत मामला दर्ज हुआ था.

थाना प्रभारी राजकुमार| फोटो- मनीषा मोंडल, दिप्रिंट.

अगले 10 दिन तक कोई गिरफ्तारी  होने पर 25 जून को दोनों गांवों के लोग एसपी और एसएचओ से मिले. दोनों गांवों की तरफ से लगातार बन रहे दबाव के बाद आदमपुर पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया. गांव वालों का पक्ष था कि ऑडियो में युवक ने बच्ची को डरा धमकाकर ये बातें बुलवाई थीं.

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ऑडियो के बाद कहानी खतरनाक हो गई

कुछ गांव वालों के मुताबिक शुरुआती तौर पर मुजफ्फरपुर बालिका गृह शोषण कांड की तरह गंभीर लगने वाले इस मामले को चूली बागडियान गांव के ही दो फुटबॉल कोच की आपसी लड़ाई के रूप में दिखाकर लीपापोती की गई. कहा गया कि कोच विनोद को बदनाम कराने के लिए एक दूसरे कोच ने ये षड़यंत्र रचा है.

लेकिन करीब 8 लड़कियों के साथ कथित यौन शोषण के मामले में नया मोड़ तब आया जब ऑडियो में दर्ज लड़कियों के नामों से ही एक नाबालिग लड़की (सदलपुर गांव) ने कोच विनोद पर यौन शोषण की एफआईआर दर्ज करा दी.

एफआईआर में लिखा गया है, ‘कोच पीड़िता पर शुरू से ही गलत नजर रख रहा था. वो खेलने के बाद बहाने बनाकर लड़कियों को अपने घर बुलाता रहता था. एक दिन जन्माष्टमी के दिन उसने सबको जागरण के बहाने देर रात तक रोककर अपने घर ही सुला लिया. जब सब लड़कियां घर के ऊपर बने कमरे में सो गईं तो विनोद ने आकर पीड़िता का हाथ पकड़ लिया. उसे ले जाने लगा तो उसने मना कर दिया. ऐसा कई बार हो चुका था. उसके बाद पीड़िता ने उससे ट्रेनिंग लेनी बंद कर दी. पिछले साढ़े तीन साल से पीड़िता और गांव की अन्य लड़कियां अपने ही गांव में खेल का मैदान बनवाकर खुद ही प्रैक्टिस कर रही हैं.’

एफआईआर की कॉपी.

मामले को शुरुआत से देख रहे थाना प्रभारी राजकुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘3 जुलाई को विनोद कोच के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर में पॉक्सो एक्ट लगाया गया है. अभी वो फरार चल रहा है. 4 जुलाई को विनोद के परिवार की तरफ से काउंटर एफआईआर दर्ज करवाई गई है. मामला दर्ज कराने वाली महिला खिलाड़ी के पिता पर विनोद की 14 साल की बेटी के साथ छेड़छाड़ को लेकर पॉक्सो के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है. हिसार महिला पुलिस ने एक स्पेशल जांच टीम गठित की है जो पूरे मामले की जांच करेगी. पीड़िताओं के बयान दर्ज किए गए हैं. बाकी खिलाड़ी लड़कियों ने पुलिस के सामने कोच विनोद की छेड़खानी की बात नहीं कही है.’

दोनों गांवों के लोगों ने विनोद के बारे में किए चौंकाने वाले खुलासे

2012 में गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल में विनोद फुटबॉल ट्रेनर के तौर पर आया था. शुरुआती दो साल लड़कों को ट्रेनिंग देने के बाद उसने स्कूल की लड़कियों को फुटबॉल खेलने के बारे में बताया. विनोद को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खबरें भी बनीं. पर अब मामला अलग मोड़ ले चुका है.

विनोद के बारे में 16 वर्षीय अमिता (परिवर्तित) बताती हैं, ‘जब कोच ने समझाया कि हमारी खेलकर नौकरियां लग सकती हैं तो हमने घर पर आकर सबसे पहले मम्मी को बताया. पापा को जब पता चला तो उन्होंने मना कर दिया. लेकिन मम्मी ने जब पापा दोपहर को सो जाते तो हमें प्रैक्टिस करने चारपांच दिन तक भेजा. हमें अच्छा लगने लगा. फिर पापा को भी मना लिया. तब तक दंगल फिल्म नहीं आई थी. हमने लंबी चोटियां कटवा कर ब्वॉय कट कराया. शुरू में खेतों का काम और भैंसों का काम करते थे लेकिन फिर घर वालों ने कहा कि प्रैक्टिस पर ही ध्यान दो. सूट पहनकर खेलते थे तो वो ज्यादा गंदे हो जाते थे. हमें ट्रैक सूट दिलवाया गया. आजादी सी महसूस हुईलगा कि हम भी कुछ कर सकते हैं.’

17 वर्षीया शर्मिला (परिवर्तित) बताती हैं, ‘कोच के बारे में हम आपस में बात किया करते थे. जब वो हमें साथ बाहर ले जाने लगा तो खुद और चारपांच अपनी पसंद की लड़कियों को अलग कमरे में अपने साथ सुलाता था. मुझे खांसी हुई तो उसने कोई दवाई लाकर दी. कई दिन पीने के बाद भी खांसी ठीक नहीं हुई तो मैंने चंड़ीगढ़ के ही एक कोच को दवाई दिखाई तो उन्होंने पता लगवाया कि ये नींद की दवाई है. कोच कई लड़कियों को ऐसी दवाई देता था. जब भी हम नेशनल लेवल पर खेलने जाते वो इस तरह की हरकत जरूर करता.’

इस गांव की दो लड़कियां अभी हाल ही में चीन में फुटबॉल खेल कर लौटी हैं. दोनों ही 2020 में होने वाले अंडर 17 फुटबॉल वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुट गई हैं. इनका कहना है कि सदलपुर गांव की इन खिलाड़ियों के आधार कार्ड से लेकर बैंक खातों की कॉपियां भी विनोद के पास ही जब्त हैं. इनके परिवारों ने दिप्रिंट को बताया कि पहले खेले गये टूर्नामेंट की ईनामी राशि में से इन्हें कुछ नहीं दिया गया है. यहां तक कि इनके मेडल भी कोच के पास ही हैं. कुछ परिवारों के पास नाममात्र के मेडल और सर्टिफिकेट दिए हुए हैं.

विनोद कोच के गांव के लोग| फोटो- मनीषा मोंडल, दिप्रिंट.

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विनोद के गांव वालों ने दिप्रिंट को चौंकाने वाली बातें बताईं. ब्लॉक समिति के पूर्व सदस्य ने नाम  छापने की शर्त पर बताया, ‘ये राम रहीम से कम मामला नहीं है. हम शुरू से ही कह रहे हैं. ये 10वीं पास भी है या नहीं, कोई पक्का नहीं है.  ही कोई नेशनल लेवल का खिलाड़ी रहा है. कैसे फुटबॉल का कोच बन गया? कोई महिला कोच क्यों नहीं दी जा रही इन लड़कियों के लिए? ये बिना किसी डिग्री के कैसे लड़कियों का कोच बना हुआ है? ये सदलपुर गांव के लोगों का चढ़ाया हुआ है. इसने हमारे गांव का माहौल भी खराब कर दिया है.’

ब्लॉक समित के एक और सदस्य बताते हैं, ‘लड़कियों के परिवार वाले तीन कारणों से मामला दबा रहे हैं. पहला तो ये कि इसने लड़कियों की जन्म प्रमाण पत्र में धांधलेबाजी की हुई है. दूसरा, ये उनके सारे कागज अपने पास रखता है. और तीसरा इसके पास इन लड़कियों के वीडियोज हैं जिनके दम पर ये ऐंठ में है कि इसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.’

विनोद से ही फुटबॉल की कोचिंग ले रही 14 वर्षीय एक लड़की के माता पिता ने बताया, ‘अगर कोई लड़कियों की बात को आगे कोर्ट तक ले जाना चाहे तो किसी के पास कोई सबूत नहीं है. तीन साल पहले की गई हरकत का क्या सबूत देगा कोई? अगर ये वहां से छूट गया तो बच्चियों की जिंदगी बर्बाद है. इनकी शादियां भी करनी है इसलिए ज्यादातर मां बाप कह रहे हैं कि कोच ने कुछ नहीं किया और हमारी बेटी सोने की तरह पवित्र है. लेकिन इस खुलासे के बाद धीरेघीरे लड़कियों का खेलना बंद हो जाएगा.’

विनोद को सदलपुर गांव में लाने वाले स्कूल प्रिंसिपल का पक्ष

समराथल हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने दिप्रिंट को बताया, ’2012 में जब ये मेरे पास आया था तो मैंने इसे 10 हजार की पगार पर रखा था. दो साल बाद इसने कहा कि ये लड़कियों को खेलना सिखाएगा. लड़कियों के फुटबॉल में कंपिटिशन कम है. मैंने हां कह दी. उसके बाद ये लड़कियों को बाहर लेकर जाने लगा. लेकिन इसके बारे में मुझे लगातार खराब बातें पता चलती रहीं. फाइनली मैंने अगस्त 2016 में चंडीगढ़ में इसका पीछा किया. जिस धर्मशाला में लड़कियों को रुकना था, उसकी बजाय उनको ये किसी होटल में लेकर जा रहा था. इस घटना के बाद मैंने इसे निकाल दिया. बाद में इसने लड़कियों के परिवार वालों को भड़काकर मेरे स्कूल से उनके दाखिले कटवा दिए. मैं 1988 से ये स्कूल चला रहा हूं. अभी कुल 500 बच्चे पढ़ते हैं. वो इनकी पढ़ाई का सत्यानाश भी करा देता था. दिन के 11 बजे तक प्रैक्टिस कराता और फिर 4 बजते ही फिर बुला लेता. अब इन बच्चियों का भविष्य अंधेरे में है. 5 साल से पढ़ाई भी छूट गई है और अब ये खेल भी छूट जाएगा.’

गांव के एक और व्यक्ति ने बताया, ’लड़कियों के मातापिता कुछ नहीं कह पाएंगे क्योंकि सबको उम्मीद है कि ये बच्चियां जीतकर सरकारी नौकरी पाएंगी. ज्यादातर के परिवार गरीब ही हैं. विनोद ने सबको झांसा दे रखा है कि उसके सिखाए बच्चे सरकारी नौकरी पा जाते हैं खेल कोटे से. लेकिन सच ये है कि अब तक एक भी लड़की को नौकरी नहीं मिली है. पहले कुछ लड़कों को नौकरी मिली थी, लेकिन वो इससे ट्रेनिंग नहीं लेते थे.’

चूली बागडियान गांव का खेल का मैदान| फोटो- मनीषा मोंडल, दिप्रिंट.

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कहां है कोच विनोद और क्या कह रहा है उसका परिवार?

विनोद की पत्नी ने सारे आरोपों को झूठा बताया है. वह दिप्रिंट को बताती हैं, ‘मेरे पति ने बीए या एमए किया है. मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं हूं इसलिए पता नहीं है. मेरे पति ने इतना नेक काम किया है जिनकी बेटियां कभी ऊंट पर भी नहीं बैठी उनको जहाज में बैठाया. लेकिन कुछ अपनी रंजिश के चलते मेरे पति पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं. अभी भी हमारे पास 30 लड़कियां खेलने रही हैं. उनसे पूछा जाए कि ऐसा कभी हुआ है क्या?’

अपनी बच्ची के साथ हुई छेड़खानी की एफआईआर पर उनका कहना है, ‘बच्ची उस वक्त हमारी छोटी थी. इसलिए बताया नहीं. उन लड़कियों का चरित्र भी खराब था और एफआईआर कराने वाली लड़की के पिता का भी. इसलिए विनोद ने कोचिंग देनी बंद कर दी थी.’

वहीं, पीड़ित खिलाड़ी की मां कहना है, ‘साढ़े तीन साल पहले जब हमें पता चला कि ये लड़कियों को नशे की दवाइयां दे रहा है तो हमने उनसे नाता तोड़ लिया. फिर विनोद और उसकी मां हमारे घर आए थे और माफी भी मांगी थी. उस वक्त पंचायत ने मामला सुलटा दिया और उसे गांव में ट्रेनिंग देने से मना कर दिया. उसके बाद से गांव दो खेमों में बंट गया. कुछ परिवार वालों ने अपनी लड़कियों विनोद कोच के पास ही भेजा. हमारी बच्चियां खुद से प्रैक्टिस करने लगीं. इनको हरपाल कोच ने ट्रैनिंग देनी शुरू कर दी.’

खिलाड़ियों को ईनाम में मिलने वाले ट्राउजर्स.

कैसे सदलपुर गांव लड़कियों के फुटबॉल का हब बना?

2012 में सदलपुर आने के बाद विनोद ने पहले लड़कों को फुटबॉल की प्रैक्टिस कराई. फिर दो साल बाद लड़कियों को भी प्रेरित किया. पहले ये लड़कियां कब्रिस्तान के पास खेलती थीं. चूंकि गांव का बिश्नोई समाज मृत व्यक्ति को दफनाता है, इसलिए किसी की मौत होने पर कुछ दिनों के लिए लड़कियों की प्रैक्टिस भी छूट जाती थी. 2016 में विनोद ने बच्चियों को चंड़ीगढ़ के एक स्कूल में एडमिशन करा दिया और वहां की टीम से खेलते हुए लड़कियों ने मध्य प्रदेश में हुए नेशनल स्कूल गेम्स में अंडर 14 में गोल्ड मेडल जीता. 18 लड़कियों की जीतने वाली इस टीम से 11 लड़कियां सदलपुर गांव की थी. छोटीछोटी जीत बड़ी साबित हुईं और ग्राम पंचायत ने लड़कियों के लिए खेल का मैदान बनवाया.


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इस गांव की 6 लड़कियां इंटरनेशनल लेवल पर खेल चुकी हैं और दर्जन भर नेशनल स्तर पर. 2018 में भूटान में हुए सैफ खेलों में अंडर 15 की महिला टीम में इस गांव की 8 लड़कियां चयनित हुई थीं. राष्ट्रीय स्तर के मीडिया में इन लड़कियों की प्रेरणादायक कहानियां प्रमुखता से छापी गईं. साथ ही कोच विनोद लॉयल के इंटरव्यूज भी. अभी 2020 में भारत में होने वाले अंडर-17 वुमन्स वर्ल्ड कप में भारत की टीम में भी इस गांव की लड़कियों का चयन हुआ है. 2014 से ही खेलते हुए इन लड़कियों का सपना अंडर 14, अंडर 15 और स्कूल स्तर पर खेलते हुए अब वर्ल्ड कप तक जा पहुंचा है. लेकिन एक अलग तरीके का खतरनाक ग्रहण यहां की लड़कियों पर लग चुका हैयौन शोषण के रूप में.

गांव के एक व्यक्ति सुरेश ने दिप्रिंट से कहा, ’ये मामला इतना खतरनाक है कि सीबीआई द्वारा जांच होनी चाहिए. पुलिस तो लीपापोती कर देगी. इतनी लड़कियों के यौन शोषण का मामला किसी शरारत की तरह दब जाएगा जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं था. लेकिन सरकार तो बजरंग पुनिया और फोगाट के ईनामी पैसे गिनने में व्यस्त है.’

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