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Tuesday, 7 May, 2024
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उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ के बाद 16 मजदूरों को बचाया गया, 125 लोग अब भी लापता

प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में शाम को संवाददाताओं को बताया कि अभी तक आपदा में सात व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं .

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देहरादून/नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई. इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं.

प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में शाम को संवाददाताओं को बताया कि अभी तक आपदा में सात व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं .

मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और पुलिस के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं और तपोवन क्षेत्र में स्थित जिन दो सुरंगों में मजदूर फंसे हुए हैं वहां मुस्तैदी से बचाव कार्य चल रहा है.

मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार चार लाख रू का मुआवजा देने की भी घोषणा की.

इस बीच, एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. आइटीबीपी, औली के डिप्टी कमांडेंट एसएस बुटोला ने बताया कि सुरंग में फंसे 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.

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बाढ आने के समय 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा परियोजना और एनटीपीसी की 480 मेगावाट तपोवन— विष्णुगाड परियोजना में लगभग 176 मजदूर काम कर रहे थे जिसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं की.

इनके अलावा, ऋषिगंगा परियोजना में डयूटी कर रहे दो पुलिसकर्मी भी लापता हैं. हालांकि, इन 176 मजदूरों में से कुछ लोग भाग कर बाहर आ गए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक अनुमान के तहत लापता लोग सवा सौ के आसपास हो सकते हैं या इससे ज्यादा भी हो सकते हैं . जो कंपनी के लोग हैं वे भी कागज लापता होने की वजह से ज्यादा बता पाने की स्थिति में नहीं हैं.’

बाढ़ से दोनों पनबिजली परियोजनाओं को भारी नुकसान हुआ है. दोनों परियोजनाओं के शीर्ष अधिकारी नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं.

बाढ़ आने के बाद समूचे गढ़वाल क्षेत्र में स्थित अलकनंदा और गंगा नदियों के आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया. लेकिन शाम होते-होते बाढ़ग्रस्त ऋषिगंगा नदी में पानी में भारी कमी आई जिससे चेतावनी वाली स्थिति समाप्त हो गई.

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि अब खतरे की स्थिति नहीं है और अलकनंदा नदी में जलस्तर सामान्य है.

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में आई बाढ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी ने विकराल रूप घारण कर लिया था जिससे गढवाल क्षेत्र के कई हिस्सों में दहशत का माहौल पैदा गया था.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रातः अचानक जोर जोर की आवाजों के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा. पानी तूफान की शक्ल में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहा कर ले गया.

रैंणी में एक मोटर मार्ग तथा चार झूला पुल बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं. सात गांवों का संपर्क टूट गया है जहां राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए किया जा रहा है.

नयी दिल्ली में रविवार की शाम यहां हुई एक आपात बैठक में मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) को यह जानकारी दी गई कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है लेकिन निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है क्योंकि जल स्तर सामान्य हो गया है.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एनसीएमसी को यह भी बताया गया कि एक पनबिजली परियोजना सुरंग में फंसे लोगों को भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने बचा लिया है जबकि एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के प्रयास जारी है. अभियान का समन्वय सेना और आईटीबीपी द्वारा किया जा रहा है.

केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं है और जल स्तर में वृद्धि को नियंत्रित कर लिया गया है. पड़ोसी गांवों में भी कोई खतरा नहीं है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों की सुरक्षा की कामना की.

कोविंद ने ट्वीट किया, ‘उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने के कारण क्षेत्र में हुए नुकसान को लेकर काफी चिंतित हूं. लोगों की सुरक्षा और कुशलता की कामना करता हूं. पूरा विश्वास है कि वहां राहत एवं बचाव कार्य अच्छे ढंग से चल रहा होगा.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह राज्य में स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

मोदी ने कहा, ‘मैं उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं. भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं.’

पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आपदा से लड़ने के लिए हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया और कहा कि वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के लगातार संपर्क में हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की और उन्हें ग्लेशियर के टूटने और उससे उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया.

शाह ने कई ट्वीट करके कहा कि एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित लोगों के बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया गया है जबकि बल के अतिरिक्त जवानों को दिल्ली से हवाई मार्ग से रवाना किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है. सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं. एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्यों के लिए रवाना की गई हैं. देवभूमि को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी.’

शाह ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है.

उन्होंने कहा, ‘एनडीआरएफ की कुछ और टीमों को दिल्ली से हवाई मार्ग से उत्तराखंड भेजा जा रहा है. हम वहां के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.’

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनडीआरएफ की चार टीमें (लगभग 200 कर्मी) को हवाई मार्ग से देहरादून भेजा गया है और ये टीमें वहां से जोशीमठ जाएंगी.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से पुराने बाढ़ के वीडियो के जरिए अफवाह न फैलाने की भी अपील की.

एनसीएमसी की बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की संबंधित एजेंसियों को स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है. निगरानी के लिए डीआरडीओ की एक टीम को भी रवाना किया जा रहा है.

प्रवक्ता ने बताया कि एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक को तुरंत प्रभावित स्थल पर पहुंचने के लिए कहा गया है. एनडीआरएफ की दो टीमों को मौके पर भेजा गया है और गाजियाबाद में हिंडन वायुसेना अड्डे से तीन अतिरिक्त टीमों को भेजा गया है. सेना के जवान आज रात प्रभावित स्थान पर पहुंच जायेंगे. भारतीय नौसेना के गोताखोरों को भी विमान से वहां के लिए रवाना किया जा रहा है.


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