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Sunday, 3 November, 2024
होमशासनआपस में लड़ रहे सीबीआई के आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की छुट्टी

आपस में लड़ रहे सीबीआई के आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की छुट्टी

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सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से बनाया गया अंतरिम निदेशक. गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र कुमार भी निलंबित किए गए.

नई दिल्ली: सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की आंतरिक कलह पर सरकार हरकत में आ गई है. सरकार ने तत्काल प्रभाव से आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया है और संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक ​बना दिया गया है. राव अगले आदेश तक सीबीआई निदेशक का चार्ज संभालेंगे.

दिप्रिंट को उच्च पदस्थ सूत्रों से प्राप्त सूचना के मुताबिक, आलोक वर्मा से छुट्टी पर जाने और अगले आदेश का इंतजार करने को कहा गया है. इसके अलावा राकेश अस्थाना को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है और उनसे सभी चार्ज वापस ले लिए गए हैं. वे कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच कर रहे थे.


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सीबीआई ने मंगलवार को अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया. देवेंद्र को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया था, कोर्ट ने उन्हें सात दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है.

कार्मिक विभाग की ओर से जारी नोटिफिकेशन में 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव से निदेशक पद का चार्ज लेने को कहा गया है. सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के ​बाद लिया गया है. सीबीआई कार्मिक विभाग के ​तहत आती है जिसके प्रभारी प्रधानमंत्री होते हैं.

सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र भी निलंबित

सीबीआई ने मंगलवार को अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया. मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ आरोपों की जांच के दौरान दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में देवेंद्र को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘देवेंद्र कुमार को ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया है.’

धन शोधन और भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों का सामना कर रहे कुरैशी के खिलाफ मामले की जांच कर रहे कुमार को दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई ने रविवार को अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, कुमार और दो अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. एक अदालत ने कुमार को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.

सीबीआई ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2017 और इस वर्ष अक्टूबर में कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई.

गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर कुरैशी मामले में जांच का सामना कर रहे एक व्यापारी से जांच में राहत देने के लिए दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इस मामले की जांच अस्थाना के नेतृत्व में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा था.

अस्थाना को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मौजूदा जांच के संबंध में यथास्थिति बनए रखने का आदेश दिया और सोमवार तक उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की. ‘यथास्थिति’ का मतलब सामान्यत: मामले की मौजूदा स्थिति या परिस्थिति को कहा जाता है और अब विवाद में संलिप्त दोनों पक्ष मामले की अगली सुनवाई तक कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकेंगे.

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने सीबीआई को एजेंसी के उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार द्वारा उनके खिलाफ दायर एफआईआर को निरस्त करने की याचिका के संबंध में प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को मुकर्रर की है.

अदालत ने अस्थाना को सभी इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड की सुरक्षित निगरानी सुनिश्चित करने का आदेश दिया. कुमार और अस्थाना ने अपनी याचिका में अदालत से मामले के संबंध में दस्तावेज मंगवाने का आग्रह किया है.


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कुमार ने उच्च न्यायालय से कहा कि मामले की जांच में उनका जबरदस्त रिकार्ड होने के बावजूद उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें फर्जी, तुच्छ और बाद में सोच समझकर मामले में फंसाया गया है.

उन्होंने खुद के विरुद्ध एफआईआर को मामले में अचंभित करने वाली स्थिति बताया और खुद के विरुद्ध शिकायत को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया.

सीबीआई ने सोमवार को कुमार को अस्थाना के विरुद्ध घूस मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया था. सीबीआई के अनुसार, धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे मांस व्यापारी मोइन कुरैशी ने खुद पर चल रहे मामले को निपटाने के लिए उन्हें घूस दी थी.

सीबीआई के अनुसार, कुमार ने कुरैशी मामले में एक गवाह सतीश साना के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि उसने बयान दिल्ली में 26 सितंबर 2018 को दर्ज कराया था. हालांकि जांच से यह खुलासा हुआ कि साना दिल्ली में उस दिन था ही नहीं. उस दिन वह हैदराबाद में था और 1 अक्टृूबर 2018 को वह जांच में शामिल हुआ था.


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एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई.

गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर एक व्यापारी से दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप है, जो कुरैशी मामले में जांच को ‘नुकसान’ पहुंचाने के तहत जांच के घेरे में है. इस मामले की जांच अस्थाना की अगुवाई में गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही थी.

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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