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Saturday, 20 April, 2024
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सीबीआई की कलह से मोदी की छवि को लग रहा है बट्टा, भाजपा चिंतित

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सीबीआई में छिड़ा आंतरिक घमासान विपक्षी दलों और प्रतिद्वंद्वियों को भाजपा सरकार पर हमला करने का मौका दे रहा है, जिससे बीजेपी नेतृत्व चिंतित है.

नई दिल्ली: जैसे-जैसे सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की आंतरिक कलह तेज़ होती जा रही है. सत्तारूढ़ भाजपा इसको लेकर चिंतित है कि कैसे यह नरेंद्र मोदी की मज़बूत, दृढ़ और निर्णायक नेता की छवि को धूमिल करेगा. यह मुख्य चुनावों से पहले एक बड़ा झटका है.

पार्टी का एक तबका यह मानता है कि यह भाजपा की आतंरिक फूट को उजागर करेगा. पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं.


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सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राकेश अस्थाना जो इस समय कठिन स्थिति में हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी रहे हैं.

विवादास्पद भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को अपने ट्वीट में इसका संकेत दिया.

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स्वामी ने लिखा, ‘चार अधिकारियों का गैंग भले ही नरेंद्र मोदी द्वारा नियुक्त किया गया हो लेकिन उनका उद्देश्य है कि मुख्य संस्थानों- सीबीआई, ईडी, आईटी, रॉ और आरबीआई आदि के पदों पर उनका कब्जा हो. अगर मार्च 2019 में भाजपा को 220 से कम सीटें आती हैं तो पार्टी के अंदर के किसी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाए जो कांग्रेस के प्रति नरम हो.’

स्वामी लगातार वित्तमंत्री अरुण जेटली और पीएमओ के कुछ शीर्ष अधिकारियों पर हमला बोलते रहे हैं. इसे लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के भीतर टूट की तरह देखा जा रहा है.

छवि का मुद्दा

बीजेपी के उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई विवाद में निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक अस्थाना के बीच का तनाव सार्वजनिक रूप से तमाशा बनता जा रहा है, जिससे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चिंतित है. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे जो छवि बनाई गयी थी. जिससे उनको जीत मिली लेकिन अब खामियाज़ा उठाना पड़ेगा.

सीबीआई ने कथित रूप से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत स्वीकार करने के आरोप में 15 अक्टूबर को अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार का जिक्र किया था.

सोमवार को एक अभूतपूर्व कदम के तहत सीबीआई ने अपने मुख्यालय पर छापा मारा.

सीबीआई में चल रहे घमासान ने पीएमओ को कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया, मोदी ने खुद सीबीआई प्रमुख से मुलाकात की है.


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पहचान न बताने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि ‘सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों के बीच की जंग देखकर ऐसा लगता है कि यह सरकार नियंत्रण में नहीं है. यह प्रधानमंत्री के छवि को दर्शाता है जिन्हें हमेशा मज़बूत, दृढ़ और नियंत्रक शासक के रूप में जाना जाता है.

सूत्र ने बताया कि ‘वास्तव में मतदाताओं से आह्वान रहेगा कि विद्रोही विपक्ष के खिलाफ इस छवि के आधार पर मतदान करे. आने वाले प्रमुख चुनावों में हम इस विचार को उभरने और बढ़ने की अनुमति नहीं देंगे.

फायदे में विपक्ष

पार्टी के नेताओं ने यह भी कहा कि मोदी और भाजपा ने हमेशा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सत्ता पर नियंत्रण नहीं रख पाने का कैसे मखौल उड़ाया था. लेकिन हालिया सीबीआई विवाद विपक्षी दलों को मोदी के खिलाफ आरोप लगाने का पर्याप्त मौका दे रहा है.

इसके अलावा भाजपा के साथ-साथ मोदी ने हमेशा कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में सीबीआई के संचालन की निंदा की थी.

जून 2013 में मोदी ने भी ट्वीट किया था, ‘सीबीआई कांग्रेस जांच ब्यूरो बन गई है. राष्ट्र को इसमें कोई भरोसा नहीं है.’

पहचान न बताने कि शर्त पर पार्टी के एक नेता ने कहा कि ‘पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चिंतित कि अब विपक्ष सीबीआई के संचालन को लेकर मोदी पर वार करेगा क्योंकि उन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. हम यह भी नहीं जानते कि यह कहां खत्म होगा और किसको नुकसान पहुंचाएगा.’

पार्टी के दूसरे नेता ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि यह सरकार की छवि को किस हद तक धूमिल करेगा.’

जबकि पार्टी नेतृत्व मोदी की छवि के नुकसान को लेकर चिंतित है. लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा अस्थाना का लगातार समर्थन भी उल्लेखनीय है.

अक्टूबर 2017 में मोदी सरकार ने वर्मा के विरोध के बावजूद अतिरिक्त निदेशक के पद से उन्हें बढ़ावा देकर विशेष निदेशक के रूप में अस्थाना नियुक्त किया. जबकि वह स्टर्लिंग बायोटेक मामले में जांच दायरे में थे.

विशेष रूप से लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (तीन सदस्यीय चयन समिति का हिस्सा) ने भी इस आधार पर अस्थाना की नियुक्ति का विरोध किया कि उन्हें अनुभव की कमी है.

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