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Friday, 20 December, 2024
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भारतीय शहरों में हो रही नई क्रांति, रिवरफ्रंट बनाने की देश में क्यों मची है होड़

2000 के शुरुआती सालों में हर शहर मॉल बनाने की होड़ में लगा था और फिर मेट्रो प्रोजेक्ट्स की दौड़ शुरू हुई लेकिन अब रिवरफ्रंट बनाने का दौर आ चुका है.

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कोटा: राजस्थान के कोटा शहर में इन दिनों सैकड़ों की संख्या में लोग एक ही काम में लगे नज़र आते हैं. ये परीक्षाओं की तैयारी या कोचिंग इंस्टीट्यूट से जुड़ा मसला नहीं है.

राज्य के कोटा के तनावग्रस्त शिक्षा केंद्र को एक पर्यटन शहर में बदलने और इसके निवासियों को एक नया सैरगाह और रिवरफ्रंट बनाने के लिए मजदूर तीन साल से मेहनत कर रहे हैं. दर्जनों अलंकृत स्तंभों, 8 मेहराबों, 22 घाटों और फव्वारों के साथ भव्य चंबल रिवरफ्रंट एक ऐसे बदलाव का गवाह बन रहा है जिसकी कोटा में बहुत कम लोगों ने कल्पना की थी.

रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट ने स्मार्ट सिटी कोटा का मूड बदल दिया है. 3 किमी लंबे बहुप्रतीक्षित चंबल रिवरफ्रंट तक जाने वाले रास्ते एकदम गुलजार नज़र आते हैं और इसके पास बने घर और दुकानों को एक जैसा हेरिटेज लुक दिया गया है, जो सुंदर धौलपुर पत्थरों से बना है जो कि राजस्थानी छत्री स्थापत्य शैली में बनाया गया है. रिवरफ्रंट से कुछ दूरी पर स्थित विवेकानंद सर्किल के पास लगे होर्डिंग जोर-शोर से घोषणा कर रहे हैं कि कोटा अब बेमिसाल शिक्षा नगरी से पर्यटन नगरी बनने जा रहा है.

रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट का काम अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (यूआईटी) देख रही है. यूआईटी के एक अधिकारी कमल मीणा ने बताया, “हम एक मॉडल शहर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. हम आश्वस्त हैं कि दुनिया भर से लोग इसे देखने यहां आएंगे.” हालांकि मीणा ने दावा किया कि कुछ लोग शहर के विकास को पसंद नहीं करते. उन्होंने कहा, “एक लॉबी है जो रिवरफ्रंट का विरोध कर रही है क्योंकि वे इसकी संभावनाओं को नहीं देख पा रहे हैं.”

1,200 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा चंबल रिवरफ्रंट महत्वाकांक्षी नदी नवीकरण परियोजनाओं की श्रृंखला में सबसे नया प्रोजेक्ट है. पिछले एक दशक में भारत की शहरी कल्पना पर नदी से जुड़ी परियोजनाओं ने काफी असर डाला है. भारतीय शहरों ने कई तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देखे हैं. 2000 के दशक की शुरुआत में हर शहर मॉल बनाने की होड़ में लगा था, फिर मेट्रो बनाने की कवायद शुरू हुई. अब यह रिवरफ्रंट परियोजनाओं का दौर है. और यह सब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान महत्वाकांक्षी लेकिन विवादास्पद साबरमती रिवरफ्रंट से शुरू हुआ. तब से, एक दर्जन से अधिक रिवरफ्रंट परियोजनाएं सामने आई हैं- जिनमें गोमती, झेलम, मुला-मुथा, सरयू, ब्रह्मपुत्र, अलकनंदा, तापी और मुसी शामिल हैं. हर प्रोजेक्ट का दावा है कि वह पिछले से बड़ा और भव्य है. यह नई मध्यवर्गीय शहरीयता का वादा करता है जो लंबे समय से भारतीय शहरों से गायब है.

पश्चिम के विपरीत, भारतीय शहरों के योजनाकारों ने नदियों को काफी हद तक नजरअंदाज किया, जो समय के साथ अधिक प्रदूषित होती चली गईं, जहां कूड़ा-कचरा फेंका जाने लगा और लोग अक्सर नहाने, धोने के लिए इन जगहों का इस्तेमाल करने लगे.

कोटा को सभी रिवरफ्रंट की जननी माना जा सकता है. इसमें थीम आधारित घाट होंगे- साहित्य घाट, बाल घाट, हाड़ोती घाट, 40 मीटर ऊंची चंबल माता की विशाल मूर्ति, बार्सिलोना के मोंटजुइक के मैजिक फाउंटेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगीतमय फव्वारा, राजस्थान में महाराणा प्रताप की सबसे बड़ी प्रतिमा और दुनिया की सबसे बड़ी घंटी, जिसका वजन 82,000 किलोग्राम है.

और इसका एक अनोखा लुक-आउट पॉइंट भी है, जो कि जवाहरलाल नेहरू की नज़र है, जिसके जरिए यहां घूमने आने वाले लोग पूरे रिवरफ्रंट का नजार देख पाएंगे.

जवाहरलाल नेहरू का एक विशाल मेटल फेस बनाया गया है जिसके जरिए लोग पूरा रिवरफ्रंट देख पाएंगे | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

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कोटा का पर्यटन के मानचित्र पर उभरने का प्रयास

जून की भयानक गर्मी में 42 साल के सीताराम और 25 वर्षीय रामलखन इन दिनों कड़ी मेहनत कर धोलपुर के पत्थरों को तराशने के कामों में लगे हैं. रिवरफ्रंट की जगह पर सिर्फ मशीनों की ही आवाज सुनाई पड़ती है. रामलखन का शरीर पत्थरों की घिसाई से निकलने वाली धूल से पटा पड़ा नजर आता है और वे काम में इतने मग्न दिखते हैं कि मुंह पर लगा रूमाल नीचे कब खिसक जाता है, पता भी नहीं चलता. उन्होंने कहा, “हमें रात-दिन काम करना पड़ता है क्योंकि रिवरफ्रंट के काम को समय से पूरा करना है.”

चंबल रिवरफ्रंट पहले ही मार्च 2022, दिसंबर 2022, मार्च 2023 और मई के सबसे हालिया डेडलाइन को पार कर चुका है. अब, अधिकारी इसे जुलाई के अंत तक पूरा करना चाहते हैं. राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भव्य उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने की भी योजना है.

चंबल रिवरफ्रंट को एक साल पहले ही तैयार हो जाना था लेकिन अब उम्मीद है कि जुलाई में इसका उद्घाटन हो जाएगा | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

छात्रों की आत्महत्या की लगातार खबरों वाला राजस्थान का सबसे तनावग्रस्त शहर कोटा, कोचिंग उद्देश्यों के लिए हर साल दो लाख से अधिक छात्रों को आकर्षित करता है. पूरा शहर विभिन्न कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन वाले पोस्टरों से पटा पड़ा रहता है. पिछले तीन वर्षों में, कोटा बदलाव का प्रयास कर रहा है. इसने निर्बाध आवागमन अनुभव लाने के लिए सभी ट्रैफिक लाइटों से छुटकारा पा लिया, सुंदर शाही सिटीलाइट्स, शानदार चौराहे, यू-आकार के फ्लाईओवर, हेलिकल क्लोवर ब्रिज और गांधी-नेहरू-पटेल की मूर्तियां स्थापित कीं. कोटा एक आधुनिक शहर के तौर पर आकार ले रहा है, जिसका टैगलाइन है: सुंदर सुगम कोटा.

चंबल रिवरफ्रंट ने शहर की सुंदरता को बढ़ा दिया है. हालांकि सेवन वंडर्स पार्क, किशोर सागर झील पर तैरते घोड़ों की मूर्ति, चंबल गार्डन और सिटी पार्क, एक नया फैंसी ऑक्सीज़ोन पार्क पहले से ही इस शहर के मुख्य पर्यटन स्थल रहे हैं. अंटाघर सर्किल पर लोंगेवाला विजय दृश्य बनाकर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए सड़कों का सौंदर्यीकरण किया गया है. नई सीवर लाइनें बनाई गई हैं, सड़कों के दोनों किनारों पर हरियाली है, सड़कों के किनारे छोटे पार्क बनाए गए हैं और इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विशाल मूर्तियां सड़कों पर नजर आ जाती हैं. राजीव गांधी को हाथ में एक कंप्यूटर के साथ दर्शाया गया है.

शहर के वरिष्ठ नगर योजनाकार महावीर सिंह मीणा ने कहा, “लक्ष्य कोटा को एक पर्यटन स्थल बनाना है.” उन्होंने कहा, “पर्यटन आज राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है. यह रिवरफ्रंट हर किसी को अचंभित कर देगा.”

मीणा ने रिवरफ्रंट का वर्णन करने के लिए एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक बोला: ‘न भूतो न भविष्यति (ऐसी चीज़ पहले कभी न बनाई गई है और न ही भविष्य में कभी बनाई जाएगी).’

चंबल नदी के दोनों किनारों पर रिवरफ्रंट तैयार किया गया है | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

चंबल नदी कोटा शहर से होकर गुजरती है, जो बूंदी के राजपूत साम्राज्य का हिस्सा था. अपनी असंख्य छतरियों और महलों वाले इस शहर को वास्तव में पर्यटन का वह टैग कभी नहीं मिला जो अन्य बड़े राजस्थानी शहरों को मिला. अब, स्मार्ट बनने के नए प्रयास में, नए मॉल, होटल और सड़कों का निर्माण हो रहा है. और इन सबके बीच चंबल रिवरफ्रंट कोटा का ‘मुकुट रत्न’ होगा.

यूआईटी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कमल मीणा ने बताया, “चंबल रिवरफ्रंट का 95% काम पूरा हो चुका है. रिवरफ्रंट से पहले इस जगह की बुरी स्थिति थी जिसे अब स्वर्ग बना दिया गया है.” उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में इस तरह का कोई भी रिवरफ्रंट नहीं है.” पहले आस-पास की बस्ती के नाले सीधा नदी में जाकर गिरते थे और नदी तट पर कूड़ा फैला रहता था और बड़े-बड़े चट्टान हुआ करते थे, जिसे अब समतल कर दिया गया है.

कोटा शहर के योजनाकारों को उम्मीद है कि उनका रिवरफ्रंट भी अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट की तरह सबसे ज्यादा देखा जाने वाला, सेल्फी और रील स्पॉट बन जाएगा, जिसका उद्घाटन 2012 में हुआ था. साबरमती रिवरफ्रंट पीएम मोदी की विजुअल थिएटर और भव्यता की राजनीति का हिस्सा है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मोदी ने यहीं रात्रिभोज दिया था. 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान सी-प्लेन पर चढ़ना, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न और मोदी के 2014 के लोकसभा चुनाव अभियान का भी यह हिस्सा था.

भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी एक दशक से लाहौर में रावी नदी पर रिवरफ्रंट बनाने की कोशिश कर रहा है. 2014 में तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने साबरमती रिवरफ्रंट देखने के लिए एक टीम भारत भेजी थी.

भारत में बन रहे लगभग सभी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के लिए साबरमती रिवरफ्रंट ही प्रेरणा रहा है | फोटो: ट्विटर/@SRFDCL

इंडियन नेटवर्क ऑफ एथिक्स एंड क्लाइमेट चेंज की संयोजक प्रियदर्शिनी कर्वे ने कहा, “रिवरफ्रंट डेवलपमेंट (आरएफडी) विचार, जिसे वर्तमान में केंद्र सरकार कई शहरों में आगे बढ़ा रही है, मूल रूप से साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट की कॉपी-पेस्ट है.”

साबरमती रिवरफ्रंट की वेबसाइट के अनुसार, “परियोजना का लक्ष्य नदी के आसपास अहमदाबाद की पहचान को फिर से परिभाषित करना है. यह परियोजना शहर को नदी से फिर से जोड़ने और रिवरफ्रंट के उपेक्षित पहलुओं को सकारात्मक रूप से बदलने का लक्ष्य रखती है.”


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चंबल रिवरफ्रंट में क्या है खास

आर्किटेक्ट अनूप बरतारिया द्वारा डिजाइन किया गया कोटा का चंबल रिवरफ्रंट, कोटा उत्तर से विधायक और अशोक गहलोत सरकार में शहरी विकास और आवास विभाग मंत्री शांति धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य कोटा को बाढ़ के खतरे से बचाना है. भारत की रिवरफ्रंट परियोजनाओं के कई लक्ष्य हैं- पर्यटन से लेकर, सार्वजनिक स्थान के निर्माण से लेकर धार्मिक पुनरुद्धार तक. प्रत्येक नदी के किनारे सदियों से धार्मिक मान्यताएं जुड़ी रही हैं, जैसे की सरयू, गोमती, गंगा, संगम, अलकनंदा. लेकिन हाल के दशकों में, जल निकायों के साथ शहरों का संबंध कमजोर होता गया है. मंत्री धारीवाल ने यहां तक ​​कह दिया कि गहलोत सरकार अपनी कैबिनेट बैठक रिवरफ्रंट पर कर सकती है.

अयोध्या स्थित सरयू नदी पर बना घाट | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

यूआईटी के पूर्व चेयरमैन रवीन्द्र त्यागी ने कहा कि चंबल के किनारों का कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था और वो जर्जर स्थिति में थी. उन्होंने कहा, “चंबल रिवरफ्रंट बनने से आसपास की बस्तियां भी सुरक्षित होगी. आज सब जगह कोटा की चर्चा हो रही है. अद्वितीय और अविस्मरणीय चीज बन रही है. रिवरफ्रंट का हेरिटेज लुक एक रिकॉर्ड बनाएगा जो पूरे देश में कोटा की छाप छोड़ेगा. एक तरह से यह देश को तोहफा है.”

उन्होंने कहा कि रिवरफ्रंट पर कैफे, हस्तशिल्प बाजार और कई महत्वपूर्ण स्मारकों के लघुचित्रों भी यहां नजर आएंगे.

नदी के किनारे के कई घरों को शहर से लगभग 5 किमी दूर नांता क्षेत्र में एक बेहतर स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है. लेकिन नदी के किनारे रहने वाले ज्यादातर गरीब मुस्लिम मजदूरों के परिवार हैं, साथ ही कुछ सरकारी नौकरियों में और कुछ कुशल श्रम में लगे हुए हैं. इनकी शिकायत है कि पहले ये सीधे चंबल नदी को अपने घरों से देख सकते थे लेकिन अब ऐसा नहीं रहा.

रिवरफ्रंट के ठीक पीछे के मोहल्ले लाड़पुरा में रहने वाले मोहमद्दीन ने कहा, “यहां की आम जनता को इससे कोई फायदा नहीं है. नदी से जो हमारा आत्मिक लगाव था उससे हमें दूर कर दिया गया है. हम पहले कभी भी नदी के पास जा सकते थे, शुद्ध हवा हम तक पहुंचती थी लेकिन सरकार ने इस पर पहरा लगा दिया है.” इन मोहल्लों के पास बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी गई हैं जिससे अब इन इलाकों में सूरज ढलने से पहले ही शाम हो जाती है.

यूआईटी ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता राहुल सूद को चंबल रिवरफ्रंट के लिए प्रमोशनल वीडियो बनाने का जिम्मा सौंपा है. उन्होंने कहा, “इन दिनों मैं मल्टिपल कैमरा और ड्रोन्स के जरिए रिवरफ्रंट की खूबसूरती को कैद कर रहा हूं. शूटिंग के लिहाज से ये बहुत सुंदर जगह है. राजस्थान के लिए इसे सौगात कहा जा सकता है.”

3 जुलाई को मंत्री धारीवाल ने सूद की टीम द्वारा बनाया गया दो मिनट का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें नदी के किनारे स्थित धार्मिक स्थल छोटी समध और बड़ी समध का मनोरम दृश्य कैद किया गया है. धारीवाल ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए वीडियो का कैप्शन दिया, “दुनिया का पहला हेरिटेज रिवरफ्रंट आध्यात्मिकता का भी बड़ा केंद्र बनने जा रहा है.”

चंबल रिवरफ्रंट पर थीम आधारित घाट बनाए गए हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
चंबल रिवरफ्रंट पर चारों तरफ पत्थरों का ही काम देखा जा सकता है. हरियाली की यहां घोर कमी है | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

कोटा दक्षिण से भाजपा विधायक संदीप शर्मा ने कहा, “इस प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है.”

चंबल रिवरफ्रंट भारत का पहला रिवरफ्रंट है जो किसी बांध के पास बनाया गया है. पर्यावरणविद इसे खतरा मानते हैं क्योंकि भारी बारिश के दौरान बांध से तेजी से पानी छोड़ा जाता है. कोटा के वन्यजीव संरक्षणवादी सुधीर गुप्ता ने कहा कि सीमेंट से बनी संरचनाएं नदी के किनारों को नुकसान पहुंचाएंगी.

हालांकि, यूआईटी अधिकारियों ने रिवरफ्रंट परियोजना की सुरक्षा के संबंध में किसी भी चिंता को खारिज कर दिया है. मीणा ने कहा कि डिजाइन बनाने से पहले कोटा बैरेज के अधिकारियों से बात की गई थी. नदी की वेलोसिटी (गति) के आधार पर ही स्ट्रक्चर बनाए गए हैं. भविष्य में हल्का-फुल्का डिस्ट्रक्शन हो सकता है लेकिन कोई बड़ी क्षति नहीं होगी.

पिछले दो दशकों से चंबल नदी से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे चंबल संसद के संयोजक ब्रिजेश विजयवर्गीय ने कहा कि नदी में ऑक्सीजन का स्तर (बीओडी) काफी कम हो गया है. उन्होंने कहा, “चंबल नदी आईसीयू में है. इसका इलाज करने की जगह रिवरफ्रंट बनाकर कॉस्मेटिक सर्जरी की जा रही है.”


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एक राष्ट्रव्यापी लहर

पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के बावजूद छवि में बदलाव एक ऐसी चीज है जिसकी कोटा को सख्त जरूरत है. हाल के दशकों में प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए कोचिंग केंद्र के रूप में शहर की पहचान बनती चली गई. लेकिन समय के साथ ये अति-महत्वाकांक्षी छात्रों के लिए एक उच्च दबाव वाली प्रयोगशाला में बदल गया है. छात्रों की आत्महत्या की खबरें काफी आने लगी. 2023 में 16 मौतें हुईं, जिनमें अकेले मई और जून में नौ मौतें शामिल हैं. यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष त्यागी का कहना है कि रिवरफ्रंट छात्रों को टहलने के लिए खुली जगह देगा जो उनके तनाव को कम करेगा. यूआईटी का अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग 1,500 लोग रिवरफ्रंट देखने आएंगे.

कोटा में चंबल नदी पर जल्द ही रिवरफ्रंट बनकर तैयार हो जाएगा | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

ये रिवरफ्रंट पुनर्विकास की परियोजनाएं केवल गर्व करने का मौका नहीं देती बल्कि ये पीएम मोदी के शहरी दृष्टिकोण का एक हिस्सा है. 2021 में जल शक्ति मंत्रालय ने एक महत्वाकांक्षी नदी शहर गठबंधन लॉन्च किया, जो भारत में शहरी नदियों के स्थायी प्रबंधन के लिए एक मंच प्रदान करता है. मोदी की प्रमुख परियोजनाओं में से एक काशी (वाराणसी) का शानदार पुनर्विकास, वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा किया गया जिसका 2021 में उद्घाटन किया गया. रिवरफ्रंट परियोजनाएं केवल सौंदर्यीकरण के बारे में नहीं हैं बल्कि सरकार ने लोकसभा में कहा था कि वे एक व्यावहारिक उद्देश्य भी पूरा करते हैं.

उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में कई रिवरफ्रंट परियोजनाओं की योजना बनाई गई है या चल रही है, जहां सरयू, प्रयागराज, हिंडन, यमुना (वृंदावन), और गंगा (कानपुर) रिवरफ्रंट के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है. इस साल मई में बिहार के धार्मिक केंद्र सिमरिया धाम में एक रिवरफ्रंट परियोजना की आधारशिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी. पुणे के मुला-मुथा रिवरफ्रंट को बिमल पटेल की कंपनी, एचसीपी डिज़ाइन द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसने सेंट्रल विस्टा, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और साबरमती रिवरफ्रंट परियोजनाओं पर भी काम किया है. पटेल को मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए एक कुशल वास्तुकार माना जाता है.

हालांकि, कुछ रिवरफ्रंट परियोजनाएं चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. एनजीटी द्वारा उठाई गई पर्यावरणीय चिंताओं के कारण वृंदावन में यमुना रिवरफ्रंट परियोजना रुकी हुई है. कटक में ओडिशा सरकार की महत्वाकांक्षी बाली जात्रा रिवरफ्रंट परियोजना भी बाढ़ क्षेत्र में निर्माण पर आपत्तियों के कारण आगे नहीं बढ़ पाई है.

मोदी सरकार ने नदियों की व्यावसायिक क्षमता को पहचाना है और परिवहन के लागत प्रभावी साधन के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग को बढ़ावा देते हुए माल और यात्री जहाज पारगमन के लिए 23 नदी प्रणालियों को विकसित करने का लक्ष्य रखा है. देश भर में 111 नदियों को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक 2015 पारित किया गया था.

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित शहरी नियोजन पर उच्च स्तरीय समिति ने देश भर में रिवरफ्रंट परियोजनाओं की सिफारिश की है. इसने 25 शहरों की पहचान की है जिन्हें अपने संबंधित रिवरफ्रंट को फिर से जीवंत करने के लिए फंड दिया जाएगा.

रिवरफ्रंट परियोजनाएं अब चुनाव अभियान की उपलब्धियों में भी शामिल हैं और भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप में भी उलझी हुई हैं. लखनऊ में अखिलेश यादव सरकार द्वारा शुरू की गई गोमती रिवरफ्रंट परियोजना की फिलहाल सीबीआई जांच चल रही है. गोमती रिवरफ्रंट परियोजना से पहले जुड़े एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगा है लेकिन सीबीआई जांच के कारण मामला लटका हुआ है.

इसी तरह, राजस्थान में द्रव्यवती रिवरफ्रंट परियोजना, जिसका उद्घाटन 2018 में वसुंधरा राजे सरकार ने किया था, को नए प्रशासन के तहत उपेक्षा का सामना करना पड़ा है. राजे ने इस बात पर जोर दिया कि रिवरफ्रंट परियोजनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखने के बजाय जनहित के नजरिए से देखा जाना चाहिए.

ब्रह्मपुत्र रिवरफ्रंट परियोजना की कल्पना स्मार्ट सिटी मिशन के तहत की गई थी, जिसे 2015 में पीएम मोदी ने लॉन्च किया था, जबकि पिछले महीने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में झेलम रिवरफ्रंट का उद्घाटन किया. दिल्ली के मेकओवर प्लान के तहत, एलजी वीके सक्सेना ने साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर यमुना रिवरफ्रंट को विकसित करने की योजना पर जोर दिया.

श्रीनगर में हाल ही में झेलम रिवरफ्रंट बनकर तैयार हुआ है | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

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रिवरफ्रंट या नदी पुनर्जीवन?

जिस तरह पर्यावरणविदों ने रिवर बेड के कटाव और जल प्रवाह में कमी की चिंताओं को लेकर साबरमती रिवरफ्रंट परियोजना का विरोध किया, उसी तरह नई रिवरफ्रंट परियोजनाएं भी याचिकाओं और आलोचनाओं से घिरी हुई हैं.

वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह ने कहा, “हमें समझना होगा कि नदियां तीर्थाटन के लिए है न कि पर्यटन के लिए. नदियों को हम माई कहते हैं तो फिर उनसे कमाई करने पर क्यों लगे हैं?”

लेकिन भारत में रिवरफ्रंट क्रांति अब रुकने वाली नहीं है. भारत के मध्यम वर्ग के जीवन में ये परियोजनाएं चकाचौंध लेकर आई है. कोटा के लोगों का कहना है कि वे अपने परिवार को नदी के किनारे इत्मीनान से सैर पर ले जाने को लेकर उत्साहित हैं और अपने शहर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर देखने का सपना देखते हैं.

मध्य प्रदेश और राजस्थान के मजदूर दुनिया के सबसे खूबसूरत रिवरफ्रंट की कल्पना को साकार करने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं लेकिन उन्हें इसकी भव्यता देखने का शायद ही कभी मौका मिले. लेकिन उनके बच्चे पिछले तीन वर्षों में रिवरफ्रंट निर्माण की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच बड़े हुए हैं. वे इस स्थान पर लौटना जरूर चाहेंगे जिसे उनके मां-बाप नदी के किनारे के इतिहास की सबसे खूबसूरत कलाकृति तैयार करने में अपना खून-पसीना बहा रहे हैं.

जून की चिलचिलाती गर्मी में, जैसे ही घड़ी में दोपहर के एक बजते हैं, रिवरफ्रंट पर काम करने वाले सैकड़ों मजदूर अपने औजार एक तरफ रखकर छाया की तलाश में लग जाते हैं. अपने बच्चों को कंधे पर और हाथ में टिफिन बॉक्स लिए हुए पुरुष और महिलाएं दूर से ही देखे जा सकते हैं. थकान के बावजूद, हर किसी के चेहरे पर संतुष्टि का भाव झलकता है और ये संतुष्टि है मेहनत की रोटी कमाने की.

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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