1948 में जब इज़रायलियों ने अरबों को खदेड़ा था, तो उन्होंने यह नहीं सोचा था कि ये कटु शरणार्थी उनके नए राज्य के लिए एक स्थायी ख़तरा बन जाएंगे. यह एक भयावह ग़लतफ़हमी थी.
तमिलनाडु की एक फैक्ट्री से लेकर छिंदवाड़ा के क्लीनिकों तक, लगातार हुई विफलताओं ने 24 बच्चों की जान ले ली. कोल्ड्रिफ त्रासदी खराब निर्माण मानकों और नियामक लापरवाही को उजागर करती है.
बुज़ुर्गों की ज़िंदगी आसान बनाने के लिए लाई गई दिल्ली की लिफ्ट पॉलिसी ने पड़ोसियों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है. कुछ को चलने-फिरने के लिए लिफ्ट चाहिए, तो कुछ को रोशनी और प्राइवेसी खोने का डर है.
जब उस यूट्यूबर ने, जिसने CJI बी आर गवई के खिलाफ हंगामा मचाया, पुलिस स्टेशन जाने के बाद सोशल मीडिया पर घमंड करते हुए कहा कि ‘सिस्टम हमारा है’, तो दलितों के लिए क्या उम्मीद बचती है?
उत्तराखंड के पास भारत का पहला शून्य-गरीबी वाला राज्य बनने की तकनीक, धन और प्रशासनिक क्षमता है, जिससे यह पहले दो सस्टेनेबल डेवलमेंट गोल्स (SDGs) को पूरा कर सकता है.
रोबोटिक्स स्टार्टअप CynLr ने IISc के विज़न लैब के न्यूरोसाइंटिस्ट्स के साथ मिलकर ऐसे सहज रोबोट बनाए हैं जो ऑटोमेशन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं. इस साझेदारी से पीएचडी के लिए धन भी मिलेगा और नई प्रतिभाओं को प्रशिक्षण भी मिलेगा.
रिश्वत दिए बिना घर बनाना, व्यवसाय चलाना या कुछ भी करना मुश्किल है. फिर भी, इस खुले, अनियंत्रित भ्रष्टाचार के खिलाफ नागरिकों का गुस्सा अन्ना हज़ारे जैसी रैलियों में नहीं फूटेगा.
लद्दाख 24 सितंबर की हिंसा की त्रासदी से उबर रहा है, लेकिन राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग जारी है. लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान, भूमि अधिकार और पारिस्थितिक संतुलन के नुकसान का डर है.