सूत्रों का कहना है कि जब अमरिन्दर सिंह ने केन्द्र को कनेडियन राजनितिज्ञों के खालिस्तानी अलगाववादियों को समर्थन देने के बारे में बताया तो केन्द्र ने उनका पक्ष लेने का निर्णय किया.
कन्नूर जिले में वर्ष 2000 से 2016 के बीच 69 राजनीतिक हत्याएं हुईं, जिनमें से 31 लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस)/भाजपा के थे और 30 लोग सीपीआई (एम) के थे.
धार्मिक नेता संभाजी भिड़े का सभी दलों में समर्थन है; मिलिंद एकबोटे पूर्व भाजपा पार्षद हैं, जो हिंदुत्व के अपने एजेंडे की वजह से सुर्खियों में रहते हैं.
भाजपा इस विवादास्पद विधेयक को राज्यसभा में बजट सत्र में लाने की सोच रही है, क्योंकि तब पार्टी को कांग्रेस के 'दोहरेपन' पर प्रहार करने का काफी मौका मिलेगा.