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शुक्रवार, 30 मई, 2025
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राजनीति

मेनका गांधी हो सकती हैं प्रो- टेम स्पीकर, वरुण गांधी को मोदी कैबिनेट नहीं मिली जगह

वरुण गांधी के लिए सर्वविदित है कि उनके पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ अच्छे तालमेल नहीं हैं.

जानें किस राज्य को नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में क्या मिला

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अकेले 303 सीटें मिली हैं. इस बार एनडीए को कुल 353 सीटें मिली हैं.

झोपड़ी में रहने वाले सारंगी जो धन्नासेठों को हराकर बने मंत्री

आज मोदी मंत्रिमंडल में शपथ लेते समय मोदी, शाह और ईरानी के अलावा अगर किसी व्यक्ति ने ताली बटोरी तो वो थे एक दुबले पतले सफेद बाल और दाड़ी वाले व्यक्ति ने.

मोदी सरकार 2.0 में भी अहम चेहरा बने भाजपा के मुखर प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद

रविशंकर प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके डिप्टी एल.के. आडवाणी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र साथी रहे हैं.

मोदी कैबिनेट में फिर आपराधिक मामलों से घिरे सांसद हुए शामिल

2014 के लोकसभा चुनाव में 185 सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. तो 2009 के लोकसभा चुनाव में 160 उम्मीदवारों पर.

मोदी कैबिनेट-2 में यूपी के इन सांसदों को मिली जगह, कई चेहरे जीतकर भी चूक गए

प्नधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली. इस दौरान यूपी से बने सांसदों ने भी शपथ ली. हालांकि कई बड़े चेहरों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली.

अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी मोदी कैबिनेट-2 में किस मंत्रालय में छोड़ेंगी अपनी छाप

स्मृति शपथ लेने के लिए जब पहुंची तब उन्होंने मेहमानों की सबसे अधिक तालियां बटोरी. ईरानी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को उनकी पुश्तैनी सीट अमेठी से हराकर सदन में पहुंची है. 

शपथग्रहण समारोहः करण जौहर, कंगना रानौत से लेकर योग गुरू जग्गी वासुदेव हुए शामिल

16वीं लोकसभा में भी नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में सलमान खान के अलावा विनोद खन्ना, हेमा मालिनी, किरण खेर, जावेद अख्तर, ऋतिक रोशन और शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए थे.

वह 6 योजनाएं जिनके सहारे दुबारा पीएम बने मोदी, अब क्या नया लाएंगे

पीएम मोदी अब कौन सी योजनाएं लांच करेंगे जो आम लोगों से जुड़ी होगी और इसका प्रभाव सीधा आमलोगों पर पड़ेगा. 

राष्ट्रपति भवन में 250 अतिथियों के लिए ‘काशी संकुल’

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपतियों, उद्योगपतियों, काशी विद्वत परिषद के प्रमुख व स्थानीय गणमान्य लोग भी आमंत्रित लोगों में शामिल हैं.

मत-विमत

बांग्लादेश में यूनुस की ‘पहले सुधार, फिर चुनाव’ योजना को नहीं मिला समर्थन — अब फैसला ज़रूरी

अवामी लीग पर प्रतिबंध बांग्लादेश में गहरी राजनीतिक अस्थिरता के संकेत देते हैं. हाल में जो घटनाएं घटी हैं उनके कारण बड़ी चिंता यह उभरी है कि अंतरिम सरकार बच पाएगी या नहीं.

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