हाल ही में ईएसी-पीएम के वर्किंग पेपर से पता चला है कि देश के जीडीपी में योगदान के मामले में दक्षिणी राज्यों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. नई दिल्ली से रियायतों और नीतिगत समर्थन के इतिहास ने इसमें अहम भूमिका निभाई है.
श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन को सहजता से अंजाम दिया गया, जबकि बांग्लादेश में इसके विपरीत सत्तासीन नेता को देश छोड़ने पर मजबूर किया गया और ऐसे अ-राजनीतिक लोगों ने कमान थाम ली जो चुनाव जीतने के भी काबिल नहीं हैं.
अनुच्छेद-370 को हटाए जाने को लेकर कुछ हलकों में गहरा असंतोष है, लेकिन चुनावों का बहिष्कार करने के बजाय इसने कश्मीरियों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया है.
पिछले 42 दिनों की हड़ताल के दौरान, जूनियर डॉक्टरों को कोलकाता और उसके बाहर के लोगों से अभूतपूर्व समर्थन मिला और सीएम ममता बनर्जी की ओर से बहुत कम रियायतें दी गईं.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि खामेनेई इस तरह के भ्रामक ट्वीट के जरिए कुछ मुस्लिम समुदायों के साथ कम समय में राजनीतिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं, यह एक ऐसा खेल है जिसमें वे नए नहीं हैं.
नरेंद्र मोदी ने पुराने वामपंथियों और दक्षिणपंथियों को एक साथ ला दिया है. कभी कट्टर वैचारिक विरोधी रहे लोग हाथ मिला चुके हैं और भारत के अपने दृष्टिकोण को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
आगे का रास्ता मसले की गंभीरता के एहसास, सार्थक सुधारों को लागू करने और सभी भेदभाव से उठकर सबको सम्मान और न्याय देने की संस्कृति को बढ़ावा देकर ही निकल सकता है.
आरएसएस के सरसंघचालक अगर ‘मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने’ के बढ़ते दावों पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं तो इसके पीछे यह एहसास है कि यह मसला कहीं भाजपा सरकार के काबू से बाहर न हो जाए .
हुब्बली, 23 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को आरोप लगाया कि मौजूदा कांग्रेस पार्टी नकली ‘गांधी’ की अगुवाई वाली ‘फर्जी कांग्रेस’...