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Thursday, 11 December, 2025
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बच्चों को फेल करने के बजाय शिक्षा का अधिकार नीति को पूरी तरह लागू करना ज़्यादा ज़रूरी क्यों?

संसद ने शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 (संशोधन) को पास करके नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है, जिसके तहत आठवी तक बच्चों को फेल नहीं किया जाता था.

मधु लिमये: संसदीय राजनीति और समाजवाद का बड़ा पहरुआ

भारत की समाजवादी राजनीति के प्रतिनिधि नेता मधु लिमये ने चार दशक तक देश की राजनीति को कई तरीकों से प्रभावित किया. वे प्रखर वक्ता और सिद्धांतकार थे.

क्या आरक्षण दोबारा सवर्णों में बीजेपी के लिए जगायेगा उत्साह

पिछले तीन दशक में बीजेपी के उभार और एक बड़ी पार्टी बनने में सवर्ण, खासकर ब्राह्मण, बनिया और राजपूतों का बड़ा योगदान रहा है.

भाजपा का 10% सवर्ण आरक्षण वोटबैंक की राजनीति, लेकिन राह में हैं कानूनी अड़चनें

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पास किए गए इस वोट बटोरने वाले प्रस्ताव को लागू करने के लिए सरकार को बहुत ही शातिर राजनीतिक चालें चलनी होंगी.

क्यों नितिन गडकरी भारत के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं

2014 के आम चुनाव से पहले ‘160 क्लब’ की चर्चा थी. विचार था कि अगर भाजपा की सीटें 160 के आसपास रहीं, तो पार्टी में मोदी के दुश्मन उन्हें पीएम बनने नहीं देंगे.

दलितों-वंचितों को संगठित कर रहा है इंटरनेट और सोशल मीडिया!

दलितों, आदिवासियों और ओबीसी की इस तरह की दशा की वजह उनमें आर्थिक और राजनैतिक जागरूकता का अभाव तथा एकजुटता की कमी है.

शुभकामनाएं कि आप गरीबों की योजनाओं, दवाओं और राशन कार्डों वगैरह की लूट में शामिल होते थोड़ा शरमायें!

एक दिन आपके अखबार में यह खबर भी आये कि कम्बल बांटने चले नेता जी अपनी करुणा के प्रदर्शन के लिए एक भी कांपता हुआ आदमी नहीं ढूंढ़ पाये.

जयपाल सिंह मुंडा के साथ इतिहासकारों ने न्याय नहीं किया

भारत के आधुनिक इतिहास के सबसे चमकदार व्यक्तियों में से एक जयपाल सिंह मुंडा को जिस फ्रेम में समझने की कोशिश होती है, वही गलत है. उन्हें समझने के लिए आदिवासियत को समझना होगा.

‘वीमेन वाल’ पर पितृसत्ता के ये प्रहार उसकी बेचारगी के प्रतीक हैं

सबरीमाला में महिलाओं ने उन धर्मांध, पितृसत्तावादी संगठनों को उन्नीस साबित कर डाला है, जो सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद उनके भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की राह में आ रहे थे.

देश के मुसलमानों को ओवैसी की राजनीति क्यों नापसंद है?

ओवैसी की राजनीति के विफल होने का दूसरा कारण यह है कि ओवैसी के नाम से ही धर्मनिरपेक्ष मुसलमानों के साथ-साथ अन्य वर्ग का दूर रहना.

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भारत की माओवादियों से लंबी जंग में एक ऐसा खालीपन है जिसे मौतों का आंकड़ा भी नहीं भर सकता है

कमज़ोर शासन, भ्रष्टाचार और गरीबी भारत में आदिवासी जीवन की पहचान बने हुए हैं. इंडस्ट्रियल और माइनिंग प्रोजेक्ट्स शुरू होने से आदिवासियों के मुकाबले ठेकेदारों, नेताओं और अधिकारियों को ज़्यादा फायदा हुआ है.

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दिल्ली के सदर बाजार में गोदाम में आग लगी

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) दिल्ली के सदर बाजार में पुलिस थाने के पास एक बहुमंजिला इमारत में बुधवार देर रात को आग...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.