ब्रांड मोदी ने 2014 में जो उम्मीदें और आशाएं बेचीं उन्हें युवाओं ने खरीदा मगर अब उन्हें लग रहा है कि भाजपा सरकार में और इंदिरा युग की कांग्रेस सरकार में तो कोई फर्क नहीं ही है, ऊपर से गाय भी गले डाल दी गई है.
भारत में अभी भी दस्तावेज़ और डिजिटल सिस्टम तक पहुंच बराबर नहीं है. चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया किसी डराने या नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई में नहीं बदलनी चाहिए.