राजपूतों की शौर्य गाथाएं उनकी हार को भी स्वीकार्य दिखाती हैं और जब उनकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाए जाते हैं तो लगता है कि उनके जीवन के सबसे सुनहरे दिन बीते चुके हैं।
हाल के वर्षों में बलूचिस्तान में कई नए लोकतांत्रिक आंदोलन हुए हैं. पाकिस्तानी सेना यह तो नहीं चाहेगी कि कोई नई बगावत फूटे. हालांकि, अपनी ताकत को चुनौती दिए जाने की जगह वह इसे ही पसंद करेगी.