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Saturday, 8 November, 2025
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मत-विमत

इतना हंगामा क्यों है भाई, नसीरुद्दीन शाह ने सच ही तो बयान किया है

मोहल्लों की दुनिया बदल रही है. जहां सब बच्चे आपस में मिल-जुलकर खेलते थे, गलबहियां करते थे, आज उनमें दूरियां बढ़ती जा रही हैं.

क्या नरेंद्र मोदी और कोई चमत्कार दिखा सकते हैं?

लोगों को चौंकाना मोदी सरकार की सनक है. यह पूर्वाभासी नहीं दिखना चाहती.

मणिकर्णिका में कंगना का किरदार मोदी के न्यू इंडिया की ‘भारत माता’ जैसा है

मणिकर्णिका ट्रेलर में, जब खून से लथपथ चेहरे वाली कंगना रनौत हर-हर महादेव का जयकारा लगाती हैं, कोई यह सोच सकता है कि बस बाबरी मस्जिद गिरने वाली है.

महागठबंधन एक भीड़ भरी ट्रेन है, जिसमें पासवान के लिए जगह नहीं है

रामविलास पासवान के कदमों से लगता है कि वे अपने विकल्प खुले रखना चाहते हैं. लेकिन क्या उनके सामने मौजूद दूसरे विकल्प के दरवाजे उनके लिए खुलेंगे?

मौत से न डरने वाले युवा कश्मीर में सबसे बड़ी चुनौती हैं

बेशक, जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा रहेगा. पर सवाल ये है कि क्या हम वहां की आबादी की परवाह किए बिना नियंत्रण में रखने को लेकर निश्चिंत हो गए हैं?

शाकाहारियों की सरकार आपको शाकाहारी बनाना चाहती है!

भारत के 70% से ज्यादा लोग मांसाहारी हैं, लेकिन सरकार उन्हें शाकाहारी बनाने पर तुली हुई है! बीजेपी सरकारें मिड-डे मील में अंडा देने से बचती हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय बताता है कि मांसाहार सेहत के लिए ठीक नहीं है!

आहत हिन्दू मन और मोदी

मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर उभारने में ऐसे अनेक हिन्दूवादियों की भूमिका रही है, जो उनके भीतर हिन्दुत्व का नया नायक खोज रहे थे. ऐसे लोग अब क्या सोच रहे हैं?

देश के किसान क्यों हैं कर्जमुक्ति के हकदार ?

कर्जमाफी और कर्जमुक्ति में अन्तर करने की जरूरत है. राजनीतिक दल और सरकारें कर्जमाफी की बात करती हैं जबकि किसान-आंदोलन का प्रस्ताव कर्ज से मुक्ति का है.

उच्च जातियों के अमीर होते चले जाने की वजहें

आरक्षण के बावजूद नहीं घट रहा है ऊंची और नीची जातियों के बीच अमीरी का फासला. सामाजिक असमानता दूर करने के लिए सरकार को करना होगा हस्तक्षेप.

आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को मुंह की खानी पड़ सकती है

तीन राज्यों के चुनाव परिणामों ने इस संभावना को बढ़ा दिया है कि नरेंद्र मोदी शायद अगले छह महीनों में प्रधानमंत्री नहीं रहें. इसका मतलब ये नहीं है कि परिणाम तय हैं, पर आखिरकार खेल दिचलस्प हो गया है.

मत-विमत

बिहार—जहां सिर्फ राजनीति ही आगे बढ़ी, बाकी सब कुछ ठहरा रह गया

बिहार के पास ऐसी उपजाऊ ज़मीन है जो पूरे भारत में सबसे ज्यादा क्रांतियों को जन्म देने वाली रही है. इसके बावजूद बिहार इतना पीछे क्यों रह गया? राजनीति का स्थायी जुनून ही उसके विनाश की मूल वजह है.

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मुख्यमंत्री नायडू ने कुप्पम में 2,203 करोड़ रुपये की औद्योगिक परियोजनाओं की नींव रखी

अमरावती, आठ नवंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को यहां कुप्पम में 2,203 करोड़ रुपये के निवेश वाली...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.