पहली ही नज़र में, प्रधानमंत्री मोदी के योगा प्रमोशन प्रोजेक्ट के लिए गौड़ा और कुमार की प्रतिक्रियाओं ने गलत शरीरों में जकड़ी अधीर आत्माओं वाली छाप छोड़ी है। लेकिन क्या वे हैं?
जब कोई राजनीतिक संगठन बहुत बड़ा बन जाए, तब उस की अपनी दुनिया, ढर्रा, जरूरतें, निहित स्वार्थ, जड़ता, विवशता, आदि हो जाती है। इसलिए भी वह सुबुद्धि के सामने छोटा है।