मोदी के चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत के योगदान संबंधी दावे को उनकी आदतन अतिशयोक्तियों में गिन सकते हैं. लेकिन इसकी संभावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए.
जिन घटनाओं पर विवाद हुए और जनता में गुस्सा भड़का, मोदी ने उनपर चुप्पी साध ली, लेकिन वे उन मुद्दों पर ज़रूर बोलते हैं जो लोगों के दिमाग को उत्तेजित करें.
वर्तमान बांग्लादेश को हेमलेट की तरह ही उस सवाल का सामना करना होगा जो उसे परेशान करता था. 1971 में 75 मिलियन सपनों से जन्मा बांग्लादेश बनना है या नहीं? या उसका व्यंग्य?