नीतीश कुमार के पास प्रचार अभियान के लिए अपने कार्यकाल की तुलना राजद के 'जंगल राज' से करने की देखी-परखी राजनीतिक पिच थी लेकिन तभी कोरोनावायरस आ गया, जिसने उनके सुशासन की पोल खोलकर रख दी.
कंगना रानौत को फिल्म मणिकर्णिका को दोबारा देखना चाहिए, खासकर लगभग 5 मिनट के उन सीन को जब पर्दे पर झलकारी बाई आती हैं, जो झांसी की सेना के कमांडरों में से एक थीं.
अधिकतर ताकतवर नेता विरासत में कमजोर अर्थव्यवस्था छोड़ जाने के लिए ही जाने जाते रहे हैं. मोदी चाहें तो इस जमात में गिने जाने से बच सकते हैं, लेकिन चुनौतियां उनके लिए बढ़ती जा रही हैं.
भारत आज कई गंभीर, आपस में जटिलता से उलझे हुए संकटों का सामना कर रह है, उसे राजनीतिक जमीन तथा भरोसे की जरूरत है, और यह मोदी और उनकी सरकार के ऊपर है कि वह इसे बनाने की ज़िम्मेदारी किस तरह निभाती है.
अपने जीते जी फिरोज ने न खुद को किसी कुल, गोत्र, वंश या पार्टी के खांचे में फिट किया, न ही उनकी राजनीति की. अपने उसूलों व नैतिकताओं की ही फिक्र करते रहे.
आज भी जब विश्व सम्प्रदायों और पंथो में बंटा हुआ है, अपनी मान्यताओं को दूसरों पर थोपने का प्रचलन चल रहा है.इस दौर में स्वामीजी का यह विश्व बंधुत्व का संदेश सबके लिए एक मार्ग है, जो विश्व के कल्याण की बात करता है, सभी को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है.
उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ के विघटन के दौर में भी पेंटागन की 1989 की रिपोर्ट उसकी ताकत का बखान कर रही थी. चीन की 'बढ़ती' शक्ति की बात खुद उसकी छेड़ी हुई है.
जब रणबीर कपूर को रामायण में कास्ट किया गया, तो PR टीम ने कहा कि वह शूटिंग के दौरान मीट खाना छोड़ देंगे - यह एक बेवकूफी वाली बात थी क्योंकि इससे मीट पुलिस हाई अलर्ट पर आ गई.