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सोमवार, 5 मई, 2025
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नेहरू से लेकर मोदी तक किसी ने सरदार पटेल की चीन नीति को नहीं समझा

चीन के विस्तारवाद के खिलाफ भारत का बेहद सख्त रुख चाहते थे सरदार पटेल. उन्होंने कहा था कि भारत को एक साथ दो मोर्चों- चीन और पाकिस्तान पर भिड़ना है. खासकर तिब्बत संबंधी चीन की नीति को लेकर वे सशंकित थे.

गलवान संघर्ष एक निर्णायक मोड़ है जब भारतीय सैनिकों ने चीनियों के छक्के छुड़ा दिए

भारतीय लोकतंत्र की अराजक प्रकृति ने 19 जून की सर्वदलीय बैठक में दिए गए भ्रामक संदेशों के बवंडर से प्रधानमंत्री मोदी को बचा लिया, लेकिन गलवान संघर्ष के दो संदेश दुनिया तक पहुंच चुके हैं.

भारत में लॉकडाउन के समय का अनुशासन ढीला पड़ रहा है, कोविड से लड़ाई में लापरवाही भी बढ़ रही है

जीत से पहले जश्न मनाना और ‘कामयाबी’ की कहानियों पर ज्यादा कान देना खतरनाक हो सकता है. कोरोनावायरस जब तक पूरी तरह खत्म नहीं होता उसे खत्म हुआ मत मानिए.

मिलेनियल्स ने इंडिया शाइनिंग देखा है, वो 70 साल के नहीं बल्कि 30 साल के भारत पर मोदी को जज करेंगे

अधिकांश भारतीय मिलेनियल्स की राजनीतिक स्मृति अटल बिहारी वाजपेयी से शुरू होती है, जवाहरलाल नेहरू से नहीं. इसलिए, प्रधान मंत्रीनरेंद्र मोदी को पिछले 30 वर्षों के संदर्भ में आंका जाएगा, और निश्चित रूप से 70 वर्षों से फर्क नहीं पड़ने वाला.

मोदी पर वर्तमान मेहरबान है लेकिन भविष्य उन्हें इस रूप में नहीं देखेगा

वर्तमान, प्रधानमंत्री मोदी पर मेहरबान है. लेकिन भविष्य में उन्हें किस चीज़ के लिए याद किया जाएगा और वो अपने पीछे क्या विरासत छोड़कर जाएंगे?

1962 की चीन से लड़ाई में अटल ने नेहरू को घेरा था तो लद्दाख मामले में विपक्ष क्यों ना करे मोदी से सवाल

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी आज हमारे बीच होते तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी सरकार, पार्टी और समर्थकों के इस रवैये को लेकर क्या सोचते? इस पर भी सोचिये जरा.

1962 का रोना रोने या मोदी सरकार और सेना की आलोचना करने से चीन का ही हित सधता है

अपने ड्राइंग रूम में बैठकर मोदी सरकार और सशस्त्र सेनाओं पर दबाव डालना, ये जाने बिना कि 15,000 फीट की ऊंचाई वाली एलएसी पर क्या चल रहा है, गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार है.

मोदी की डोकलाम त्रिमूर्ति जयशंकर-डोभाल-रावत ने उन्हें निराश किया है लेकिन उनके पास अभी विकल्प बाकी हैं

शनिवार को एक दुर्लभ घटना हुई— सरकार ने शुक्रवार की सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों पर स्पष्टीकरण जारी किया. यह उनकी इस टिप्पणी की ‘शरारात भरी व्याख्या’ का खंडन था कि 'हमारी जमीन पर कोई घुसपैठ नहीं हुई है'.

एलएसी पर मोदी की सर्वदलीय बैठक विपक्ष को ख़ामोश करने के लिए थी, खुली चर्चा के लिए नहीं

ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इस हालिया कूटनीतिक संकट से पीछा छुड़ाना चाह रही है, जो न सिर्फ चीन, बल्कि नेपाल के साथ भी खड़ा हो गया है.

भारत में जाति विरोधी आंदोलन को बढ़ावा देने लिए ब्लैक लाइव्स मैटर जैसी आग चाहिए, तभी वह मुख्य विलेन से लड़ पाएगा

भारत में एक राष्ट्रव्यापी शांतिपूर्ण आंदोलन वक्त की ज़रूरत है, जातीय संबंधों में बदलाव लाने और मनु को मुख्य खलनायक का दर्जा दिलाने के लिए इस आंदोलन को 'कलर रिवॉल्यूशन' से प्रेरणा लेनी होगी.

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ग्वालियर, पांच मई (भाषा) मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने ग्वालियर के एक रेस्तरां में हंगामा करने के आरोपों को खारिज करते...

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