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शनिवार, 5 जुलाई, 2025
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मत-विमत

योगी आदित्यनाथ पहले नहीं हैं, शैव साधु एक हजार साल से राजनीति में हैं

अपने बौद्ध और जैन पूर्ववर्तियों की तरह, मध्यकालीन शैव मठों ने प्रतिद्वंद्वियों को हराने और अनुयायियों को बनाने के लिए अपने शाही संबंधों का इस्तेमाल किया.

न्याय किया जाए तो वो मिलता हुआ दिखना भी चाहिए

कहने की जरूरत नहीं कि जो न्यायप्रणाली चीफ जस्टिस तक के लिए अफसोसनाक हो जायेगी, वह खुद में लोगों का विश्वास तो घटायेगी ही, कानून हाथ में लेकर अपराधियों से मौके पर ही हिसाब बराबर कर लेने को ललचायेगी भी.

भागलपुर से प्रयागराज तक, भारत को पुलिस एनकाउंटर से इतना खतरनाक प्यार क्यों?

पंजाब, कश्मीर के छोटे-छोटे युद्धों में जिन अपवादों को उचित ठहराया जा सकता था, वे पुलिसिंग के सामान्य ताने-बाने का हिस्सा बन गए हैं. इमरजेंसी रोज की बात हो गई है.

अतीक-अशरफ की हत्या का प्लॉट आईएसआई की किताब के पन्ने से लिया गया?

यह सारा कुछ बड़े सुनियोजित ढंग से किया गया कत्ल है जिसमें असली मुजरिम ने पीछे रहकर बड़ी सफाई से इतना बड़ा कांड करवा दिया.

नागालैंड हत्याकांड में सैनिकों को राहत अच्छा फैसला है मगर कई सवाल अभी भी चिंताजनक हैं

आरोपी सैनिकों को राहत देने की असली वजह कभी मालूम नहीं हो पाएगी क्योंकि पुराने फैसलों के बारे में आरटीआई कानून के तहत जानकारी हासिल करने की कोशिशों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर विफल किया जा चुका है.

लागत कम करने का Blinkit जैसा एप्रोच इकॉनमी के लिए ठीक नहीं, इनोवेशन के जरिए बढ़ाना होगा रेवेन्यू

लेबर फोर्स को बढ़ाने के बजाय अधिक पूंजी में निवेश करना ज्यादातर देशों में काम कर सकता है. लेकिन भारत आंख बंद करके विकसित अर्थव्यवस्थाओं को फॉलो नहीं कर सकता है और काम करने वालों की संख्या को कम करना ठीक नहीं होगा.

अहमदाबाद से प्रयागराज तक- कैसे बाहुबलियों ने बीजेपी को आगे बढ़ाने में मोदी और योगी की मदद की

विपक्षी राजनेताओं और वामपंथी और उदारवादी बुद्धिजीवियों ने अतीक अहमद की हत्या पर काफी सवाल खड़े किए हैं, लेकिन योगी के वोटर्स कुछ और ही सोचते हैं.

न्यूट्रल से नाटो: क्या रूस- यूक्रेन युद्ध ने फिनलैंड की तटस्थता नीति को बदल दिया ?

फिनलैंड के पास अपेक्षाकृत छोटा लेकिन सक्षम सैन्य शक्ति है. नाटो में इसका समावेश निश्चित तौर पर नार्डिक क्षेत्र में पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव को बढ़ाने का काम करेगा.

पाप-पुण्य का कितना हिसाब? हत्या अतीक और अशरफ की ही नहीं, सरकारों की ‘जिम्मेदारी और कानून’ की भी है

राजनीति के अपराधीकरण के दौर से पहले देश में एक ऐसा भी वक्त था, जब कहा जाता था कि कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता और जो व्यवस्था उसे अपराधी बनाती है, उसे उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

मोदी ने कमांडर्स के कॉन्फ्रेंस को कैसे बदल दिया- सैन्य जुमलेबाज़ी से इमेज बिल्डिंग तक

एक चतुर राजनेता के रूप में, मोदी ने सैन्य दिमाग को समझा और अपने प्रभुत्व को बनाने के लिए इसकी जड़ता का फायदा उठाया.

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लोकतंत्र की असली परीक्षा: भारत को पहले ‘नेक चुनाव’ चाहिए, ‘एक चुनाव’ नहीं

राज्य और पार्टी का घाल-मेल कम्युनिस्ट तानाशाहियों की विशेषता रही है. पश्चिमी लोकतंत्र में कहीं ऐसा नहीं, पर भारत में वही कर डाला गया, जो संविधान को व्यवहार में तहस-नहस करके हुआ.

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छत्तीसगढ़ में उद्योग विभाग को सौंपा जाएगा जशप्योर का ट्रेडमार्क

रायपुर, पांच जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार की गई विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों का ब्रांड 'जशप्योर'...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.