हिमाचल प्रदेश में मोदी का चेहरा नहीं चला और राष्ट्रवाद-हिंदुत्ववाद भी मुद्दे नहीं बन पाए इसलिए वह एक सामान्य चुनाव बन गया, वहां 2014 से ऐसा ही चल रहा है
मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं कि राहुल गाधी अपनी सारी ऊर्जा 2024 के लिए बचाकर रखना चाहते हैं. ज्यादा मुमकिन है, कांग्रेस ऐसा मान रही हो कि गुजरात जहां बेहद चुनौतीपूर्ण है, वहीं गुजरात के आकार के ही एक अन्य राज्य कर्नाटक में जीत के आसार ज्यादा प्रबल होंगे.
भारत के आर्थिक व रणनीतिक हितों में संतुलन बनाकर, रूस और अमेरिका के साथ रिश्ता निभाते हुए और चीन को अपने ऊपर हावी न होने देकर मोदी कुशलता से आगे बढ़ते रहे हैं. अब जी-20 की अध्यक्षता के एक साल का बेशक वे भारत के फायदे के लिए उपयोग करेंगे.
हममें से हर एक ने पाया है कि इमरान ख़ान एक अनूठी शख्सियत हैं, इस उपमहादेश के आम क्रिकेट सितारों से अलग. उनमें लापरवाही की हद तक जोखिम मोल लेने का जज्बा रहा है
कभी फौज के शब्द सरकार के लिए हुक्म के समान हुआ करते थे. वह प्रधानमंत्रियों को तख्तनशीन कर सकती थी, उनका तख्तापलट कर सकती थी, देश निकाला दे सकती थी या कत्ल तक करवा सकती थी लेकिन आज उसे नेताओं से मात खाने का डर सता रहा है.
गुजरात में मुस्लिम युवाओं की कोड़े से पिटाई जैसी घटनाओं पर ही भारत जैसे बहुलतावादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र से राजनीतिक आवाज़ उठाने की अपेक्षा की जाती है लेकिन भाजपा के प्रतिद्वंद्वी मुसलमानों के साथ दिखने से भी डर रहे हैं.
मुलायम सिंह यादव की राजनीति में काफी कुछ गलत था, और काफी कुछ ऐसा था जिस पर हम असहमत होंगे या बहस करेंगे लेकिन इससे यह सच्चाई नहीं बदल जाएगी कि वह एक लाजवाब सियासी खिलाड़ी थे.
खुशहाल भारतीयों ने तमाम क्षेत्रों में विजय की घोषणा कर दी है— हवाईअड्डों की बेहतरी से लेकर वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या तक की मिसाल दी जाती है लेकिन बहुत कुछ ऐसा भी है जो गलत और खतरनाक है.
बेहद ध्रुवीकृत समय में, हाशिये पर धकेले गए अल्पसंख्यक पीछे मुड़कर अपनी उन जड़ों और बुनियादों को बचाने में जुट जाते जो उन्हें बहुत प्रिय होते हैं लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह एक खतरनाक जाल बुन सकता है.