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मंगलवार, 10 जून, 2025
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2024 की लड़ाई सेमीफाइनल छोड़, सीधे फाइनल में पहुंची और BJP के सामने 3 चुनौतियां

इस बार शासक दल सुपरिभाषित धुरी वाले विपक्षी गठबंधन, भाजपा विरोधी वोटों के ध्रुवीकरण, और बदली भू-राजनीतिक स्थिति के मेल से उभरी चुनौती से रू-ब-रू है.

सरकार नई, पर बांटने की वही पुरानी राजनीति; मणिपुर में BJP सरकार ने बदलाव की कभी कोशिश नहीं की

कांग्रेस ने अगर गलती की थी, तो भाजपा तो वहां असली बदलाव ला सकती थी लेकिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने हिंसा से पहले और उस दौरान जो बयान दिए उनसे भाजपा की वही विभाजनकारी नीति उभरी.

बिना विचारधारा के भाजपा के युग में नहीं टिक सकती पार्टियां, कांग्रेस को भी नए ढंग से बदलने की ज़रूरत

क्या विचारधारा अब बेमानी हो गई? जी नहीं, पिछले दशकों में यह जितनी बड़ी ताकत थी, आज उससे कहीं ज्यादा मजबूत ताकत बन गई है. सिवाए इसके कि यह केवल बीजेपी के मामले में कारगर दिख रही है.

मोदी सरकार से संभाले नहीं संभल रहा सबसे जटिल राज्य मणिपुर

इंदिरा गांधी के बाद सबसे ताकतवर मानी जा रही मोदी सरकार जबकि सत्ता में है, मणिपुर अराजकता की गिरफ्त में फंसा है और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नौटंकी बताती है कि सर्वशक्तिशाली भाजपा हाईकमान का भी हुक्म वहां नहीं चल रहा है.

फंस गए रे ओबामाः तानाशाहों से दोस्ती रखने वाले मोदी के दोस्त ‘बराक’ उन्हें मुसलमानों पर उपदेश दे रहे हैं

भारत में मुसलमानों के प्रति बरताव के मामले में मोदी पर अंगुली उठाकर ओबामा ने इस बहस में हस्तक्षेप किया. लेकिन तानाशाहों से हेलमेल रखते रहे अमेरिका का कोई राष्ट्रपति दूसरों को किस मुंह से उपदेश दे सकते हैं?

मोदी को इंदिरा गांधी से सीखना चाहिए, मणिपुर में बीरेन सरकार कोई समाधान नहीं बल्कि खुद एक समस्या है

राज्य में बीरेन सरकार के लगातार कायम रहने से दोनों ही पक्षों की भावनाएं भड़की हुई हैं. कुकी इसे बहुसंख्यकवादी एजेंडा बढ़ाने वाली पक्षपाती सरकार के रूप में देखते हैं, जबकि मैतेई इसे उनकी रक्षा करने में अक्षम मानते हैं.

कॉलेज की डिग्री, BBC ऐक्सेंट, फैमिली बैकग्राउंड सब पुरानी बातें हैं, भारत में अब नया एलीट क्लास उभर रहा

भारत का कारवां ऐसे लाखों अति प्रतिभाशाली लोगों द्वारा खींचे जा रहे विशालकाय रथ की तरह गति पकड़ते हुए आगे बढ़ रहा है, जिन्हें तैयार करना हमारे पुराने श्रेष्ठ संस्थानों के बस में नहीं हो सकता था.

जिस मणिपुर में ‘आज़ाद’ भारत का पहला झंडा फहराया गया था, वह आज BJP के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है

उत्तर-पूर्व के किसी छोटे राज्य में आप तीन काम करने से परहेज ही करेंगे— स्थानीय नेताओं को कमजोर बताने से, ‘बांटो और राज करो’ की नीति से, और जातीय पहचानों को होमोजिनाइजेशन (एक जैसा बनाने या एक-दूसरे में मिलाने) से.

अनुच्छेद 370 से लेकर G20 तक, भारत कश्मीर को लेकर सही पाले में है, अब बस अंतिम निशान लगाना बाकी

इस अनुकूल मुकाम तक पहुंचने के लिए भारत ने कड़ी मेहनत की है लेकिन अपने सरोकारों को मजबूती देने का सबसे बुद्धिमानी भरा उपाय जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा लौटाना ही है.

आज टूटा हुआ मणिपुर हमारी नज़रों और दिमाग से ओझल है, हम इतने कठोर और अहंकारी नहीं हो सकते

हममें से अधिकतर लोगों के लिए मणिपुर का संकट नज़र से दूर, ख़यालों से बाहर वाला मामला है. इतने छोटे और इतनी दूर के इस राज्य की खबरों पर हम बड़ी जम्हाई लेने लगते हैं मगर मैं आपको जगाना चाहता हूं.

मत-विमत

श्रीनगर की ट्रेन याद दिलाती है—कश्मीर की हिफाज़त लौहे और पत्थर से हुई, ऐसे ही सैनिक पहुंचे

लेकिन भारत के लिए असली संघर्ष कश्मीर की जनता को भारत के लक्ष्यों में सुरक्षित, समृद्ध सहयोगी बनाने का है. नई ट्रेन की हर एक यात्रा हमें इस उद्देश्य के निरंतर करीब लाती जाएगी.

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शिलांग, नौ जून (भाषा) मेघालय के री-भोई जिले के एक फन पार्क में नशे में धुत उत्तर प्रदेश के एक पर्यटक ने जाने-माने...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

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