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बुधवार, 4 जून, 2025
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नेशनल इंट्रेस्ट

मोदी लोकप्रिय हैं, भाजपा जीतती रहती है, लेकिन भारत के इंडीकेटर्स और ग्लोबल रैंकिंग चिंताजनक है

सरकार की अपनी NFHS, साथ ही कई वैश्विक गैर-वाम संस्थानों की रैंकिंग ने भारत के विकास संकेतकों में गिरावट दिखाई है. जिसका खामियाजा जल्दी ही भुगतना पड़ सकता है.

जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र होने का भ्रम: बिना राजनीतिक आज़ादी के कोई आर्थिक आज़ादी टिक नहीं सकती

वैसे, एक महत्वपूर्ण सवाल जरूर उभरता है— लोकतंत्र आर्थिक वृद्धि के लिए अच्छा है या बुरा? कितना लोकतंत्र अच्छा है और कब यह जरूरत से ज्यादा हो जाता है? क्या सीमित लोकतंत्र जैसी भी कोई चीज होती है?

किसान आंदोलन मोदी सरकार की परीक्षा की घड़ी है. सौ टके का एक सवाल -थैचर या अन्ना किसकी राह पकड़ें ?

मोदी चाहें तो आर्थिक सुधारों से अपने कदम उसी तरह वापस खींच सकते है जिस तरह मनमोहन सिंह ने अन्ना आंदोलन के दबाव में खींचे थे, या फिर कृषि सुधारों को मारग्रेट थैचर जैसे साहस के साथ आगे बढ़ा सकते हैं; उनके फैसले पर ही देश की राजनीति की आगे की दिशा तय होगी.

किसानों के विरोध को ना मैनेज कर पाना दिखता है कि मोदी-शाह की BJP को पंजाब को समझने की जरूरत है

मोदी-शाह की भाजपा ने पंजाब और सिखों को सम्मानित साझीदार मानने की जगह उनका कृपालु बड़ा भाई बनने की जो कोशिश की, और कृषि कानूनों के मामले में जो रणनीति अपनाई उस सबने चुनौतियां पसंद करने वाले सिखों को संघर्ष करने का अच्छा बहाना थमा दिया.

पाकिस्तान की राजनीति और इस्लाम के बारे में खादिम हुसैन रिज़वी की लोकप्रियता और अचानक हुई मौत से क्या संकेत मिलता है

पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी सियासत का चेहरा माने जाने वाले मौलाना खादिम हुसैन रिज़वी की अचानक मौत के बावजूद मजहबी कट्टरपंथ के प्रति लोगों का व्यापक आकर्षण खत्म नहीं होने वाला है. 

चीन पर मोदी ने कैसे ‘नेहरू जैसी’ आधी गलती की और सेना में निवेश को नज़रअंदाज किया

मोदी यह मान बैठे कि चीन अपने आर्थिक हितों को दांव पर लगाकर हमारे लिए सैन्य चुनौती बनने की कोशिश नहीं करेगा, इसलिए प्रतिरक्षा पर खर्चे फिलहाल टाले जा सकते हैं. मोदी यहीं पर नेहरू की भूल के मुकाबले आधी भूल कर बैठे. 

ट्रंप भले ही हार जाएं लेकिन अमेरिका में ट्रंपवाद का उभार हो चुका है, यह प्रदर्शन से ज्यादा पॉपुलिज्म पर निर्भर है

भारत में जैसे मोदीत्व चल रहा है वैसे ही अमेरिका में ट्रंपवाद शुरू हो गया है. नस्लीय या सामाजिक अधिकारों के लिए बढ़ती सजगता जनता को उकसाने की राजनीतिक कला को बढ़ावा दे रही है.

किन पांच वजहों से पैदा हुआ है दुनियाभर में इस्लाम पर संकट

दुनियाभर के करोड़ों मुसलमानों को अगर यह लगता है कि उन्हें व्यापक ‘इस्लामोफोबिया’ का निशाना बनाया जा रहा है. उनके परम पूज्य पैगंबर मोहम्मद साहब का जानबूझकर अपमान किया जा रहा है, तो यह निश्चित ही उनमें अविश्वास और अलगाव की दहशत पैदा करता है.

ट्रम्प या बाइडेन? भारत-अमेरिका के संबंध में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दोनों देशों के बीच रणनीतिक गलबहियां हैं

भारत और अमेरिका एक-दूसरे से गहरी गलबहियां कर चुके हैं, पुराने बहाने इतिहास में दफन कर दिए गए हैं और सर्वोपरि राष्ट्रहित ही रणनीतिक फैसले करवा रहा है.

मोदी-शाह के अश्वमेध यज्ञ में NDA बलि चढ़ाने वाले घोड़े की तरह है जिसके सहारे वो भारतीय राजनीति की नई परिभाषा लिख रहे हैं

मोदी-शाह की नयी राजनीति आपको कबूल है तो आपका ही भला है, नहीं कबूल है तो इस अश्वमेध के घोड़े को चुनौती देने के लिए आपको वायरल होने वाले ट्वीट्स से आगे बढ़कर कुछ करना पड़ेगा.

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नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने कहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कदाचार की घटनाओं से जनता...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

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