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Wednesday, 18 December, 2024
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नेशनल इंट्रेस्ट

मोदी सरकार को रोकना नामुमकिन, कांग्रेस की नैया डूब रही है और राहुल अपने डोले दिखा रहे

हम संस्थाओं को कमजोर किए जाने, एजेंसियों के दुरुपयोग, भेदभावपूर्ण क़ानूनों, देशद्रोह की धारा के इस्तेमाल, विधेयकों को जबरन पारित करवाने आदि की शिकायतें भले करें लेकिन ऐसे सभी प्रमुख मसलों पर निष्क्रियता का सारा दोष कांग्रेस के मत्थे जाता है.

हैबियस पोर्कस: ‘जेल नहीं बेल’ के सिद्धांत का कैसे हमारी न्यायपालिका गला घोंट रही है

हमारी स्वाधीनता की सुरक्षा करना न्यायपालिका की बड़ी ज़िम्मेदारी है और इसके लिए ‘हैबियस कॉर्पस’ की व्यवस्था का सहारा लिया जाता है लेकिन आज मजिस्ट्रेट इस तरह फैसले कर रहे हैं मानो नियम तो ‘जेल देने का ही है, बेल देना तो उनके ओहदे के दायरे से बाहर है’.

भारत के सामने दो सीमा पर युद्ध से बचने की चुनौती, क्या मोदी रणनीतिक हितों के लिए राजनीति को परे रखेंगे

भारत को रणनीति के मामले में चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर बनने वाले त्रिकोण को तोड़कर बाहर निकलना ही होगा लेकिन इससे पहले उसे यह तय करना होगा कि क्या वह घरेलू चुनावी फायदों के चक्कर में अपने रणनीतिक विकल्प सीमित करना चाहता है?

भारतीय राजनीति में विचारधाराओं को लेकर नई मोर्चाबंदी: मोदी का निजी क्षेत्र बनाम राहुल का समाजवाद

कृषि कानूनों के साथ, मोदी सरकार ने श्रम सुधारों को पारित किया है और प्रमुख कंपनियों के निजीकरण का वादा किया है. इसने अर्थिक दक्षिण-वाम को विभाजित किया है, और यह एक अच्छी बात है.

मोदी सरकार कृषि कानून की लड़ाई हार चुकी है, अब सिख अलगाववाद का प्रेत जगाना बड़ी चूक होगी

कृषि क़ानूनों पर जंग तो मोदी सरकार हार ही चुकी है, अब अगर वह किसानों के आंदोलन को लेकर सिख अलगाववाद का राग अलापती रहेगी तो और भी गंभीर भूल करेगी

जैसे जैसे UP गर्त में जा रहा, योगी के सितारें बुलंद हो रहे हैं- इतने कि वो मोदी से लाइमलाइट की होड़ में है

योगी के राज में उत्तर प्रदेश की हालत शायद ही बेहतर हुई है लेकिन उनका अपनी राजनीतिक हैसियत इतनी जरूर बढ़ गई है कि मोदी को उस पर ध्यान देना पड़ रहा है.

वो 7 कारण जिसकी वजह से मोदी सरकार ने कृषि सुधार कानूनों से हाथ खींचे

कृषि सुधार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बन सकते थे मगर समझदारी तथा धैर्य की कमी और अतीत के प्रति नफरत ने इसे एक संकट में बदल दिया है.

न उड़ता, न पढ़ता 2003 के बाद से लुढ़कता ही रहा है पंजाब

एक समय भारत का सबसे समृद्ध राज्य आज नीचे फिसल गया है और पिछड़ गया है, उसे अब गेहूं-चावल-एमएसपी के नशे से बाहर निकलकर अपनी उद्यमशीलता को फिर से जगाने की जरूरत है.

सोनिया से कश्मकश भरे रिश्ते, कांग्रेस से मन भेद -रायसीना हिल्स की राजनीतिक पैंतरेबाजी पर प्रणब दा की चुप्पी खटकती है

प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों की अंतिम किताब में असली राजनीतिक मसलों से किनारा किया गया है, विस्तार से बताने से बचा गया है, किताब बहुत कुछ बताने की जगह बहुत कुछ छिपा लेती है इसलिए बहुत निराश करती है

मोदी लोकप्रिय हैं, भाजपा जीतती रहती है, लेकिन भारत के इंडीकेटर्स और ग्लोबल रैंकिंग चिंताजनक है

सरकार की अपनी NFHS, साथ ही कई वैश्विक गैर-वाम संस्थानों की रैंकिंग ने भारत के विकास संकेतकों में गिरावट दिखाई है. जिसका खामियाजा जल्दी ही भुगतना पड़ सकता है.

मत-विमत

भारत को चुनावी मोड से बाहर निकलना होगा—’एक देश, एक चुनाव’ वोटर्स और पार्टियों के लिए होगा फ़ायदेमंद

एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.

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राजनीति

देश

मारुति सुजुकी बिहार के पांच जिलों में ‘ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षण ट्रैक’ स्वचालित करेगी

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) वाहन विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने बिहार के भागलपुर, दरभंगा, गया, पूर्णिया और सारण में ‘ड्राइविंग लाइसेंस...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.