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Thursday, 6 November, 2025
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नेशनल इंट्रेस्ट

देश में बढ़ती बेरोजगारी और गरीबी के बजाय जिन्ना-पटेल पर हो रही राजनीति भारत के लिए खतरनाक होगी

उत्तर प्रदेश के बेरोजगार युवा नाराज हैं और योगी उन्हें जिन्ना और सरदार पटेल के बीच चुनने का जो विकल्प पेश कर रहे हैं वह उनसे ‘रोटी नहीं है तो केक खाओ’ कहने जैसा ही है.

मोदी बेशक लोकप्रिय हैं लेकिन सर्वशक्तिशाली नहीं, केंद्र-राज्य के रिश्तों का बेहतर होना जरूरी

मोदी राष्ट्रीय स्तर पर भले बेहद लोकप्रिय हों लेकिन अधिकतम राज्यों में चुनाव जीतने में उनकी अक्षमता, राज्यों में उनके विरोधियों की भारी लोकप्रियता भारतीय राजनीति को एक शक्तिशाली संघीय ढांचे की ओर ले जा रही है.

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति कराह रही- कहती है मैं तकलीफ में हूं. भारत के लिए इसके क्या मायने हैं

पाकिस्तान का नया नीति दस्तावेज़ यही उजागर करता है कि तीन दशकों में पहली बार वह अपने गिरेबान में झांक रहा है, उसे अपनी हैसियत में गिरावट और अमेरिका से दोस्ती टूटने का एहसास हो रहा है.

मोदी-शाह वाली BJP की विचारधारा को राइट विंग की उपाधि देना गुस्ताखी, हिंदू लेफ्ट विंग ही कहें तो बढ़िया

मोदी-शाह की भाजपा सरकार केवल धर्म और राष्ट्रवाद के मामले में दक्षिणपंथी है, बाकी मामलों में उतनी ही वामपंथी है जितनी कांग्रेस या दूसरी पार्टियां हैं.

कोहली-गांगुली विवाद भारतीय क्रिकेट में फिर पुराने बदनुमा दौर की वापसी करा सकता है

गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं. द्रविड कोच और लक्ष्मण एनसीए के प्रमुख हैं. सर्वविजेता टेस्ट कप्तान कोहली अब निशाने पर क्यों हैं यह समझना मुश्किल है इसलिए तमाम क्रिकेटप्रेमी नाराज हैं.

नागालैंड में हुई हत्याओं ने दिखाया है कि AFSPA की कैसे लत लग चुकी है, क्या मोदी सरकार इसे हटाने की हिम्मत करेगी

उत्तर-पूर्व के अधिकांश भाग को ‘आफस्पा’ जैसे सख्त कानून की जरूरत नहीं है. कोई भी सरकार इसे रद्द करने की हिम्मत नहीं करेगी, तो इसे जहां जरूरी है वहीं लागू किया जाए.

UPA का भले कोई वजूद न हो लेकिन कांग्रेस अब भी अहमियत रखती है, मोदी-शाह इसे अच्छे से समझते हैं

कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार भाजपा से मात भले खायी हो, उसने अपने पक्के 20% वोट बनाए रखे और यही वजह है कि भाजपा से मात खाए तमाम दल उसे चुनौती देने के लिए कांग्रेस का साथ चाहते हैं.

कृषि कानूनों की घर वापसी से साफ है कि दादागिरी से कानून पास करना समझदारी नहीं

बीजेपी का चाहे जितना वर्चस्व हो भारत राज्यों का एक संघ है और उनमें से केवल 12 में ही उसके मुख्यमंत्री सत्ता में हैं. कृषि राज्यों का विषय है और अधिकांश भारत आंख मूंद कर उसका अनुसरण नहीं करता

RSS/हिंदुत्व पर कई सवाल उठ सकते हैं पर ‌ISIS से तुलना कितनी वाजिब?

बौद्धिक आलस के शिकार होने वालों में सलमान खुर्शीद अकेले नहीं हैं इसलिए उनसे सीख लेने से पहले कांग्रेसनेताओं को आइएसआइएस और चुनावी राजनीति के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए.

बॉलीवुड अब भारतीय पत्रकारों को धूर्त, तिकड़मी, TRP लोभी और मूर्ख के रूप में पेश कर रहा है

50 वाले दशक की हिंदी फिल्मों में पत्रकार हीरो हुआ करते थे और बाद में तिकड़मी और जोकर तक के रूप में पेश किए जाने लगे, यह सोशल मीडिया पर खासकर महिला पत्रकारों को निशाना बनाए जाने को ही प्रतिबिंबित करता है.

मत-विमत

भारत में पीरियड लीव पर पॉलिसी बनाना आसान है, लेकिन मानसिकता बदलना मुश्किल

कर्नाटक की पीरियड लीव पॉलिसी तारीफ के काबिल है, लेकिन यही देश है जहां किसी भी वक्त मासिक धर्म वाली महिलाओं को बेइज़्ज़त और अपमानित किया जा सकता है — बिना किसी झिझक के.

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सब्र का फल मीठा, अरुणाचल के सुबनसिरी लोअर में भारत का 2,000 MW पावर सपना हो रहा है साकार

पावर स्टेशन की आठ यूनिटों में से चार यूनिटें नवंबर के मध्य से दिसंबर के अंत तक कमर्शियल ऑपरेशन शुरू करेंगी. एक यूनिट का ट्रायल रन करीब दो हफ्ते पहले शुरू किया गया था.

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.