एमपी पुलिस में 25 साल की कांस्टेबल शालिनी चौहान अपराधियों और पीड़ितों की पहचान के लिए करीब 2 महीने तक महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एक छात्र की तरह रहीं. इस मामले में 11 गिरफ्तारियां हुईं हैं.
पुलिस ने उसके बंबल ऐप रिकॉर्ड की छानबीन की थी और श्रद्धा की हत्या के लगभग 12 दिन बाद 30 मई को ऐप के माध्यम से आफताब के संपर्क में आई एक लड़की के बारे में पता चला था.
दिल्ली के सीपी रवींद्र यादव ने बताया कि मां-बेटे अंजन दास को मारने के लिए पहले उसे शराब में नींद की गोलियां पिलाई और उसके बाद बेहोशी की हालत में उसकी हत्या कर दी.
मृतक महिला के परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि वह 10 नवंबर से लापता है. 15 नवंबर को स्थानीय पुलिस को एक महिला के शरीर के अंग कुएं से मिले थे जिसका सिर गायब था.
विशेष न्यायाधीश ए एम पाटिल ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी करते हुए कहा कि अभियोजन आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा. न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन राजन से जुड़े षडयंत्र को भी साबित नहीं कर पाया.
आरोपी आफताब पूनावाला ने बताया कि वह टीवी शो के एक किरदार से प्रेरित था, जो विजिलेंस विभाग में काम करने वाला एक सीरियल किलर था. वह अपने शिकार को मौत के घाट उतारता और मियामी की खाड़ी में उनके शवों को ठिकाने लगा देता था.
रेडियोवाला की कहानी से साफ है कि भारतीय अधिकारी ऐसे आतंकियों को विदेश से हासिल करने में विफल क्यों होते रहे हैं. उनके खिलाफ सबूत और मुकदमा अक्सर कमज़ोर साबित होता रहा है.