केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 594 ताजा COVID-19 संक्रमण दर्ज किए गए, जिसके साथ ही सक्रिय मामलों की संख्या पिछले दिन 2,311 से बढ़कर 2,669 हो गई.
समिति ने सिफारिश की है कि एफडीसी का इस्तेमाल 4 साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाना चाहिए और तदनुसार कंपनियों को लेबल और पैकेज इंसर्ट पर इस संबंध में चेतावनी का जिक्र करना चाहिए.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी. के. पॉल ने कहा कि देश भर में अब तक कोविड-19 के उप-स्वरूप जेएन.1 के 21 नए मामले सामने आए हैं, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है.
जबकि पतंजलि विज्ञापनों में 'वैज्ञानिक दावे न होने' के कारण आलोचना का सामना कर रही है, विशेषज्ञों ने पारंपरिक दवाओं के अनुमोदन और भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने में सरकारी की कमी को चिह्नित किया है.
केरल ने जेएन.1 का पहला मामला दर्ज किया है, जो ओमिक्रॉन का वैरिएंट है और जिसका उत्परिवर्तन इसे और अधिक संक्रामक बनाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जेएन.1 चिंता बढ़ाने वाला नहीं है, लेकिन भारत को राष्ट्रव्यापी सीरोसर्वेक्षण कराने की जरूरत है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने इसका ट्रायल किया. निष्कर्षों से पता चलता है कि 45% रोगियों में इलाज में सुधार किया जा सकता है और जोखिम में पड़े हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-2022 में दुनिया भर में खसरे की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021-2022 के दौरान अनुमानित खसरे से होने वाली मौतें 43% बढ़कर 95,000 से 1,36,200 हो गईं.
VLA1553, जिसे व्यावसायिक रूप से Ixchiq के नाम से जाना जाता है, को USFDA की मंजूरी मिल गई है और अब इसे भारत में लॉन्च किया जाएगा. जहां बड़ी संख्या में चिकनगुनिया के मामले देखे गए हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि बेमतलब की फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेश पर अंकुश को लेकर सरकार के कदम अपर्याप्त और अमल में लाने को लेकर नाकाफी हो सकते हैं. यह अध्ययन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल पॉलिसी एंड प्रैक्टिस में प्रकाशित हुआ है.
चुनाव के समय भाजपा ‘औरंगज़ेब’, ‘पाकिस्तान’ और ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दों को मशीन की तरह सटीकता से पेश करती है, लेकिन पश्चिम बंगाल की तरह महाराष्ट्र में भी यह कारगर नहीं होगा.