प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला ने लक्ष्मीबाई कॉलेज के कैंपस में ‘गोकुल एरिया’ बनाया था और वे बुनियादी ढांचे, पानी की सप्लाई और शौचालय की सुविधाओं के बारे में स्टूडेंट्स की शिकायतों को अनदेखा करने के लिए फेमस हैं.
आईसीएमआर, एम्स और अन्य शीर्ष संस्थानों की टीमों ने महाराष्ट्र के बुलढाना जिले का दौरा किया, जहां 400 ग्रामीणों के बाल अचानक झड़ने की समस्या सामने आई. लेकिन स्वास्थ्य संकट अभी भी खत्म नहीं हुआ है.
ज्योतिराव फुले पर अनंत महादेवन की हिंदी फिल्म को ब्राह्मण समूहों और सेंसर बोर्ड से विरोध झेलना पड़ा है. लेकिन दलितों के लिए यह फिल्म अब भी जातिवाद के खिलाफ अपनी बात कहने का एक मौका है.
एम्स दिल्ली का सेंटर फॉर एजिंग मरीजों के बीच काफी लोकप्रिय है. उनके बेड 100% भरे रहते हैं और यह जेरिएट्रिक मेडिसिन में विशेषज्ञता हासिल करने वाले युवा डॉक्टरों से भरा हुआ है.
हाल के हफ्तों में पत्नियों द्वारा पतियों की हत्या के मामले राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गए हैं. ‘अवैध’ प्रेमियों और खून-खराबे के पीछे एक कहानी और भी है.
हिंदी-तमिल विवाद एक बार फिर सामने आ गया है, जब मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तीन-भाषा नीति के ज़रिए हिंदी थोपने का आरोप लगाया. तमिलनाडु इस समय दो-भाषा नीति का पालन करता है.
तमिलनाडु के थिरुचेंदुरई गांव में वक्फ को लेकर हुआ विवाद अब संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक लाने का कारण बन गया है. यह अब हिंदुत्व की लोककथाओं का हिस्सा बन गया है.
जब संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पास किया, तो मुनंबम गांव में 'जय मोदी' और 'जय अमित शाह' के नारे लगे. लेकिन प्रदर्शन करने वाले लोग कहते हैं कि वे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक यह कानून पुराने समय से लागू नहीं किया जाता.
रेडियोवाला की कहानी से साफ है कि भारतीय अधिकारी ऐसे आतंकियों को विदेश से हासिल करने में विफल क्यों होते रहे हैं. उनके खिलाफ सबूत और मुकदमा अक्सर कमज़ोर साबित होता रहा है.