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Sunday, 23 November, 2025
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कैसी है सिंगल महिलाओं के लिए दिल्ली — RWA के अनकहे नियम से लेकर अपने घर तक का सफर

सजाए-संवारे लॉन और सिक्योरिटी गेट्स के पीछे, RWAs चुपचाप तय कर रही हैं कि शहर और उनके सोसाइटियों में किसे ‘सभ्य महिला’ माना जाए.

तीस्ता की त्रासदी: बांधों और अतिक्रमण ने कैसे भड़काई बाढ़ की विनाशलीला

लेपचा शादियों के गीतों में अब भी गाई जाती है तीस्ता की प्रेम कहानी, लेकिन अब यह नदी अपने गुस्से के लिए भी जानी जाती है. जो कहानी बर्फ के पिघलने से शुरू हुई थी, उसे बांधों और अतिक्रमण ने और भी भयावह बना दिया है.

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स में डर — ‘हो सकता है कोई और इसमें शामिल व्यक्ति अब भी अंदर हो’

यूनिवर्सिटी में काम करने वाले एक डॉक्टर ने कहा, ‘अभी एडमिशन का टाइम है, अगर यूनिवर्सिटी की छवि खराब हुई तो एडमिशन पर असर पड़ेगा. हम जांच एजेंसियों की मदद कर रहे हैं.’

मेट्रो की बजाय रोपवे: क्या ट्रैफिक से निजात पाएगा वाराणसी

800 करोड़ रुपये का वाराणसी रोपवे उन शहरों के लिए एक नेशनल टेस्ट केस बन गया है, जहां मेट्रो संभव नहीं — ताकि ट्रैफिक की समस्या को हल किया जा सके.

कैसे ‘मोहब्बत की नदी’ से चिनाब बन गई बेचैन टिक-टिक करता टाइम बम

चिनाब नदी के किनारे रहने वाले 23 साल के एक युवक ने कहा, ‘अगर हम इसकी धार को यूं ही समेटते रहे, तो ये ज़रूर हमारे घरों में घुस आएगी. इसे गुस्सैल नदी कैसे कह सकते हैं, इसमें नदी की गलती तो नहीं है.’

‘मुश्किल वक्त चल रहा है’ — अल-फलाह यूनिवर्सिटी के हेडक्वार्टर में अब पहले से ज्यादा भीड़

यह दफ्तर आमतौर पर यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक और दस्तावेज़ी काम संभालता है. छात्र यहां एडमिशन, फीस जमा करने या सामान्य जानकारी लेने आते हैं.

अमलानंद घोष: आर्कियोलॉजी के सबसे अनदेखे नायक जिसने आज़ादी के बाद ASI की बदली दिशा

किताब इंडियन आर्कियोलॉजी आफ्टर इंडिपेंडेंस इस धारणा को चुनौती देती है कि यह संस्था मुख्य रूप से हड़प्पा स्थलों की खोज में ही लगी रही.

BHU के इस प्रोफेसर के लिए ‘लैब’ रही है गंगा नदी, इसने दिलाया उन्हें वैश्विक सम्मान

प्रोफेसर जितेंद्र पांडेय को मशहूर ‘सर स्टीफन श्नाइडर लेक्चर’ देने के लिए आमंत्रित किया गया है. वे यह सम्मान पाने वाले पहले जीव-विज्ञान वैज्ञानिक और पहले एशियाई विद्वान हैं.

जो ब्यास नदी कभी शांत रहती थी, वह अब उग्र क्यों हो रही है?

स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कहा कि ब्यास नदी के किनारे अतिक्रमण सिर्फ स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि मौसमी बाढ़ के प्रभावों को भी और बुरा बना देता है.

ऑटो, ट्रक और डिलीवरी कामगारों का सोशल मीडिया सफर — भारत में उभरते वर्किंग-क्लास इन्फ्लुएंसर्स

सोशल मीडिया पर पेंटर, राजमिस्त्री, निर्माण श्रमिक, मजदूर, डिलीवरी बॉय, ट्रक ड्राइवर, सभी बेबाकी से अपने कार्य-जीवन को अपना रहे हैं.

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पुट्टपर्थी (आंध्र प्रदेश), 23 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने रविवार को कहा कि श्री सत्य साईं बाबा की करुणामयी...

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