कोचिंग संस्थान नियमों को नज़रअंदाज़ कर अपनी मनमानी रिफंड नीति अपनाते हैं. छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ दें, तब भी माता-पिता पूरी फीस भरते हैं. कुछ लोग यह नुकसान सह जाते हैं, तो कुछ कानूनी रास्ता अपनाते हैं.
अरावली के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा अतिक्रमण हटाने का अभियान इस साल जून में शुरू हुआ. इसके साथ ही, दिल्ली-एनसीआर की मशहूर फार्महाउस संस्कृति भी तेज़ी से खत्म हो रही है. अभी आगे और भी काम बाकी है.
जगह, पानी, साफ हवा और उपजाऊ मिट्टी की कमी से जूझती दिल्ली अब हज़ारों छोटे बागानों वाला शहर बनना चाहती है. शहरी माली अब फूल-पौधों से लेकर फल-सब्ज़ियां तक उगा रहे हैं.
दलित आईटी इंजीनियर कविन सेल्वगणेश की हत्या की परिस्थितियां तमिलनाडु में पहले भी देखे गए एक पैटर्न को दोहराती हैं. अब एक और परेशान करने वाला चलन सामने आ रहा है.
प्राडा अब महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास स्थित हुपरी के चांदी की पायल बनाने वाले कारीगरों के साथ साझेदारी पर ‘विचार’ कर रहा है. चांदी के दाम बढ़ने और पायल के फैशन से बाहर होने के बीच, कारीगर उम्मीद कर रहे हैं कि यह फैशन रैंप के जरिए दोबारा लोकप्रिय हो सकेगी.
क्लब का नाम बदलकर ‘डीडीए रोशनारा क्लब’ कर दिया गया. और इसने अपने खास और ईलीट को भी छोड़ दिया है. अब यह संघ, जो पहले केवल उत्तर दिल्ली के चुनिंदा सदस्यों तक सीमित था, सभी के लिए खुला है.
भारत में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) शहरी योजना की ‘कॉपी-पेस्ट’ सोच के महंगे और नाकाम उदाहरण बन गए हैं. जयपुर और पुणे में इन्हें हटाया जा रहा है, जबकि हुब्बल्ली-धारवाड़ में इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं.
कश्मीर और पीओके के बीच का फर्क अनदेखा करना नामुमकिन है. एक तरफ लोग भोजन और बिजली के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विकास और शिक्षा की बातें होती हैं.