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शनिवार, 7 जून, 2025
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चमकीला की हत्या को 30 साल बीत गए, लेकिन पंजाब में यह पहेली आज भी अनसुलझी है

चमकीला के गांव में कड़वाहट और अफसोस का माहौल है — मेहसामपुर को हत्या वाले क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.

नेहरू-लियाकत समझौता विफल होने के क्या थे कारण, दशकों तक इसने भारतीय राजनीति को कैसे किया प्रभावित

यह या तो युद्ध था या जनसंख्या का आदान-प्रदान — और नेहरू कुछ भी नहीं चाहते थे. इसलिए उन्होंने तीसरा विकल्प निकाला.

इतिहास या प्रोपेगैंडा? ‘ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स’ पर बनी हिंदी फिल्म को लेकर राइमा सेन को मिल रहीं धमकियां

'मां काली' 1946 के कलकत्ता दंगों के 'मिटाए गए इतिहास' को उजागर करने का दावा करती है, लेकिन राइमा सेन अभिनीत फिल्म को एक दर्दनाक अतीत का प्रयोग करने वाली 'प्रोपेगैंडा' फिल्म के रूप में भी आलोचना मिल रही है.

भारत के सर्वोत्तम खजाने अभी भी इंग्लैंड में क्यों हैं? ‘भारत भी शानदार संग्रहालय बना सकता है’

भारत की ‘रूट्स एंड राउट्स’ ने जी20 शोकेस में विस्तार से बताया, जिसमें भारत के विभिन्न कोनों से कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं – गंधारन मूर्तियां से लेकर अमरावती और चोल कांस्य तक.

कैसी ज़िंदगी जी रहे भारत के बुजुर्ग; भजन, पूजा-पाठ के अलावा करने को है और भी बहुत कुछ

भारत में वृद्ध लोगों से पारंपरिक रूप से अपेक्षा की जाती है कि वे खुद को दुनियावी मामलों से अलग कर लें. लेकिन अब इसमें बदलाव आ रहा है.

अधिक जानवर, पशुचिकित्सक और क्यूरेटर की कमी — भारतीय चिड़ियाघरों में बहुत दिक्कतें हैं

जैसा कि वंतारा चिड़ियाघर अपनी शानदार सुविधाओं और भव्य पैमाने के साथ भारतीय और वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करता है, भारतीय चिड़ियाघरों में बढ़ती समस्याओं को काफी हद तक नज़रअंदाज़ किया गया है.

UPA का ‘मौत का सौदागर’ बदलकर हुआ ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’; मोदी युग में भारत को मिली नए जुमलों की सौगात

पीएम मोदी के सत्ता में दो कार्यकाल के अंत में भारतीय बातचीत ऐसे जुमलों से समृद्ध हुई है जो उस समय की राजनीतिक संस्कृति का संकेत देते हैं.

वाराणसी से वड़ोदरा — भारत के छोटे शहरों में लिव-इन जोड़े कैसे करते हैं चुनौतियों का सामना

जैसे-जैसे लिव-इन रिलेशनशिप बढ़ रहे हैं. वैसे-वैसे ही सामाजिक दबाव भी बढ़ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकारों का विस्तार किया है, लेकिन उच्च न्यायालयों, वैधानिक निकायों, राजनेताओं की ओर से इसका विरोध हुआ है.

पाठक को क्या पसंद है: हिंदी के लेखकों के लिए उनके पाठक कितने ज़रूरी?

यह विचार बैठकी 75 मिनट से अधिक समय तक चली. इसने कई मुद्दों को छुआ — पाठकों की परिभाषा, बाज़ार की ताकतें और साहित्यिक मूल्य और पाठक लेखकों से क्या चाहते हैं.

आख़िरी ईमेल, लंबे ब्रेक, बगीचे में टहलना — मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन में कैसे गुज़र रहे हैं दिन

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन पर लगाम लगाना चाहते हैं, लेकिन यह ‘अप्रचलित’ लेबल को स्वीकार नहीं करेगा.

मत-विमत

ऑपरेशन सिंदूर भारत की दो मोर्चों पर लड़ी गई पहली लड़ाई है, बादशाह का शातिर मोहरा

चीन भारत को अपने ‘त्रिशूल’ से दबाने के लिए पाकिस्तान का सस्ते में इस्तेमाल करता रहा है. यह मान लेना मुफीद होगा कि चीन पाकिस्तान को अब अपने पश्चिमी थिएटर कमांड के रूप में देखता है.

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राजस्थान : अस्पताल में रोगियों को कतार में खड़े होने से निजात दिलाने की कवायद

जयपुर, सात जून (भाषा) राजस्थान के अस्पतालों में रोगियों व उनके परिजनों को कतारों में खड़े होने से निजात दिलाने के लिए आधुनिक...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.