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गुरूवार, 8 मई, 2025
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कैसी ज़िंदगी जी रहे भारत के बुजुर्ग; भजन, पूजा-पाठ के अलावा करने को है और भी बहुत कुछ

भारत में वृद्ध लोगों से पारंपरिक रूप से अपेक्षा की जाती है कि वे खुद को दुनियावी मामलों से अलग कर लें. लेकिन अब इसमें बदलाव आ रहा है.

अधिक जानवर, पशुचिकित्सक और क्यूरेटर की कमी — भारतीय चिड़ियाघरों में बहुत दिक्कतें हैं

जैसा कि वंतारा चिड़ियाघर अपनी शानदार सुविधाओं और भव्य पैमाने के साथ भारतीय और वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करता है, भारतीय चिड़ियाघरों में बढ़ती समस्याओं को काफी हद तक नज़रअंदाज़ किया गया है.

UPA का ‘मौत का सौदागर’ बदलकर हुआ ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’; मोदी युग में भारत को मिली नए जुमलों की सौगात

पीएम मोदी के सत्ता में दो कार्यकाल के अंत में भारतीय बातचीत ऐसे जुमलों से समृद्ध हुई है जो उस समय की राजनीतिक संस्कृति का संकेत देते हैं.

वाराणसी से वड़ोदरा — भारत के छोटे शहरों में लिव-इन जोड़े कैसे करते हैं चुनौतियों का सामना

जैसे-जैसे लिव-इन रिलेशनशिप बढ़ रहे हैं. वैसे-वैसे ही सामाजिक दबाव भी बढ़ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकारों का विस्तार किया है, लेकिन उच्च न्यायालयों, वैधानिक निकायों, राजनेताओं की ओर से इसका विरोध हुआ है.

पाठक को क्या पसंद है: हिंदी के लेखकों के लिए उनके पाठक कितने ज़रूरी?

यह विचार बैठकी 75 मिनट से अधिक समय तक चली. इसने कई मुद्दों को छुआ — पाठकों की परिभाषा, बाज़ार की ताकतें और साहित्यिक मूल्य और पाठक लेखकों से क्या चाहते हैं.

आख़िरी ईमेल, लंबे ब्रेक, बगीचे में टहलना — मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन में कैसे गुज़र रहे हैं दिन

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन पर लगाम लगाना चाहते हैं, लेकिन यह ‘अप्रचलित’ लेबल को स्वीकार नहीं करेगा.

योगी के बायोग्राफी लेखक ने कैसे भारत के युवाओं को मोदी को वोट देने की ‘101 वजहें’ दी हैं

शांतनु गुप्ता की ‘मोदी को वोट देने की 101 वजहें’ प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल (दूसरे) के आखिरी दशक का गुणगान करती है और इसका टार्गेट पहली बार वोट देने वाले मतदाता हैं.

‘पार्टी सोसायटी’ से ‘बाहुबली’ सोसायटी तक – बंगाल बदला, फिर भी वामपंथ से TMC शासन तक एक जैसा ही रहा

वाम मोर्चा शासन के दौरान, पार्टी का नियंत्रण अधिक और पैसे की राजनीति कम थी. अब स्थिति उलट गई है और टीएमसी के बाहुबली गांवों में कारोबार व शहरों में सिंडिकेट चला रहे हैं.

न लाभ और न ही सवारी: जयपुर, आगरा, लखनऊ जैसे शहरों के लिए मेट्रो कैसे है सिर्फ एक स्टेटस सिंबल

जयपुर मेट्रो का यात्री संख्या डेटा बुनियादी सवाल उठाता है कि क्या भारत के छोटे शहरों को ऐसे महंगे परिवहन व्यवस्था की सच में ज़रूरत है.

असम में ‘ग्रेनेड पर रतालू’, समीर बोर्डोलोई और उनके Green Commando ने कैसे खेती को फिर से जीवित कर दिया

समीर बोर्डोलोई के असम फूड फॉरेस्ट ने बांस के पेड़ लगाकर हाथियों को वापस जंगल में ला दिया है. वे अब गांव के धान के खेतों को नहीं रौंदते.

मत-विमत

ऑपरेशन सिंदूर के साथ जुड़े ‘सरप्राइज़’, शो, साहस और संयम के पहलू

पाकिस्तान में और भारत में भी सबको पता था कि सवाल यह नहीं था कि हमले किए जाएंगे या नहीं बल्कि यह था कि वह कब किए जाएंगे. मोदी सरकार ने इन 14 दिनों का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया कि उसे कोई हड़बड़ी नहीं है.

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राजनीति

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उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार 29 मई से देशभर में किसान जागरूकता अभियान शुरू करेगी: शिवराज चौहान

(फाइल फोटो के साथ) नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.