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Tuesday, 25 February, 2025
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भारत के ग्रामीण परिदृश्य को कैसे बदल रही हैं ‘नमो ड्रोन दीदी’

कृषि ड्रोन के उपयोग में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 15,000 महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए पिछले साल 15 अगस्त को पीएम मोदी ने ‘नमो ड्रोन दीदी स्कीम’ की घोषणा की थी.

कैसे गंगा-जमुनी विरासत को फरीदाबाद थिएटर ग्रुप ने उर्दू रामायण से रखा है ज़िंदा

दिल्ली की सुंदर नर्सरी में चार दिवसीय उत्सव के एक हिस्से में ‘दास्तान-ए-रामायण: उर्दू में रामलीला’ का प्रदर्शन किया गया. इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों आयोजक हैं जो उर्दू नहीं जानते.

राजस्थान पेपर लीक का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है, नया कानून, नई सरकार; लेकिन वही जर्ज़र व्यवस्था

पेपर लीक और स्थगित परीक्षाओं ने कई सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को मुश्किल में डाल दिया है. अब एक नया नकल-विरोधी कानून आया है, लेकिन निष्पक्ष परीक्षा पास करना अब भी नौकरी की गारंटी नहीं है.

हिंदू मंदिरों का संचालन किसे करना चाहिए? तमिलनाडु इस नई रस्साकशी का केंद्र है

तमिलनाडु का HR&CE विभाग इस लड़ाई में सबसे आगे है. उन्हें मंदिरों को जातिवादी कुप्रथा से बचाने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उन पर मंदिरों के कुप्रबंधन और पुजारियों को उनके अधिकारों से वंचित करने का भी आरोप है.

भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण शुरू हो गया, IGNCA वास्तु, वेद, ‘नए’ इतिहास से इसका नेतृत्व कर रहा है

आईजीएनसीए के वैदिक विरासत पोर्टल, जिसका उद्घाटन पिछले साल गृह मंत्री अमित शाह ने किया था, ने हिंदू-संस्कृति के प्रति उत्साही लोगों की बढ़ती संख्या तक सीधे पहुंचने के लिए बिचौलिए को हटा दिया है.

UP के आधुनिक मदरसों को चलाने के लिए सरकारी पैसा खत्म हो गया है, एक बच्ची का डॉक्टर बनने का सपना दांव पर...

यूपी के मदरसों में शिक्षकों को 2017 से वेतन नहीं दिया गया है, और राज्य द्वारा दिया जाने वाला 3,000 रुपये प्रति माह का मानदेय भी वापस ले लिया गया है. यहां तक कि छात्रों को भी अपने परिवार की मदद के लिए छोटी-मोटी नौकरियां करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

बंगाली सिनेमा कोलकाता की लीक पर चल रहा है, क्या सुंदरबन की देवी बोनबीबी इसे बाहर निकाल पाएंगी?

8 मार्च को रिलीज़ होने वाली बंगाली फिल्म ‘बोनबीबी’ कोलकाता केंद्रित कहानियों से हटकर है. निर्माता राणा सरकार ने कहा कि यह ‘कांतारा’ के लिए पश्चिम बंगाल का जवाब हो सकता है.

मोदी युग पर किताबें नया चलन हैं, प्रकाशक भारत में मंथन करते रहना चाहते हैं

बाज़ार मोदी युग की हर कल्पनीय कहानी पर किताबों से भरा पड़ा है और वे सिर्फ पत्रकारों और विद्वानों द्वारा नहीं लिखी गई हैं. इन लेखकों की एक नई नस्ल उभर रही है – जिनमें सीईओ, तकनीकी गुरु, आरएसएस फॉलोअर्स और स्व-प्रकाशित विशेषज्ञ शामिल हैं.

गुरुग्राम का एक सेक्टर ऐसा है जिसकी नोएडा के साथ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है और वह है मिडिल-क्लास घर

गुरुग्राम की भूमि अधिग्रहण लागत में भारी वृद्धि ने अफोर्डेबल होम को नुकसान पहुंचाया है. लेकिन लक्ज़री फल-फूल रही है.

कैसे JNU की हुई थी कल्पना? किस तरह भारतीय आधुनिकता का प्रतीक बन गया यह विश्वविद्यालय

आर्किटेक्ट सीपी कुकरेजा 1969 में केवल 32 वर्ष के थे जब 68 प्रविष्टियों में से उनका चयन जेएनयू के लिए किया गया था. उनके चयन पर नाराजगी सीधे पीएम इंदिरा गांधी के कार्यालय तक गई.

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महाकुंभ क्षेत्र की वायु गुणवत्ता 42 दिनों तक ‘ग्रीन जोन’ में रही

महाकुंभ नगर (उप्र), 24 फरवरी (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि कुंभ क्षेत्र में 62...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.