2019 की तुलना में 2020 में पास हुए ट्रांसजेंडर छात्रों की संख्या में काफ़ी गिरावट है. 2019 में जहां 83.33 प्रतिशत ट्रांसजेंडर छात्र पास हुए थे, वहीं दूसरी तरफ़ इस साल 83.33 प्रतिशत ट्रांसजेंडर छात्र पास हुए हैं.
इस विवाद पर सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, 'जो 190 के करीब विषय हैं उन्हें इस तरह से कम किया गया है जिससे बच्चों का लर्निंग गैप कम हो. जो 30 प्रतिशत चीज़ें हटाई गई हैं वो बोर्ड की परीक्षा में नहीं आएंगी.'
मामले की सुनवाई जस्टिस प्रतिभा सिंह के कोर्ट में हुई. जस्टिस सिंह ने मामले से जुडे़ सभी याचिकाओं को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिविजन बेंच के पास स्थानांतरित कर दिया.
सीबीएसई ने सिलेबस को संक्षिप्त करने को लेकर कोविड महामारी का हवाला दिया है. इनमें कक्षा 10 के छात्रों के लिए लोकतंत्र और जाति पर अध्याय और कक्षा 12 से राजनीति विज्ञान से धर्मनिरपेक्षता को हटाने को लेकर संशोधन किया है.
योग्यता, फ़ीस और दाख़िले से जुड़ी ज़्यादा जानकारी dasanit.org पर प्राप्त की जा सकती है. जेएनयू प्रशासन का कहना है कि भारत में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए ये बेहद सुनहरा अवसर हो सकता है.
कोविड लॉकडाउन की वजह से नीट और जेईई परीक्षाओं को जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था लेकिन इस बीच कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामलों को देखते हुए छात्रों की मांग है कि इसे और आगे बढ़ाया जाए.
प्रवेश प्रक्रिया से अच्छी तरह वाकिफ प्रोफेसरों का कहना है कि सीबीएसई की तरफ से मूल्यांकन के समय उदार रवैया अपनाए जाने की उम्मीद है, और इसलिए बोर्ड परिणाम औसतन खराब होने के आसार नहीं हैं.
अगर भागवत का समावेशिता का आह्वान वास्तविक है, तो उन्हें अपने वैचारिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विघटनकारी तत्वों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए.