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Friday, 19 April, 2024
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भारत ने दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों के साथ टाई-अप करने की योजना बनाई- ‘छात्रों को मिलेंगी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं’

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि 7-8 लाख भारतीय छात्र हर साल उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन अगर उन्हें वहां जो मिलता है यहां मिले तो वे वापस आ जाएंगे.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश में अध्ययन करने के इच्छुक छात्रों को देश में अच्छी शिक्षा के लिए भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों और दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों के बीच अधिक कोलोबोरेशन की योजना बनाई है. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को यह जानकारी दी है.

एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित वार्षिक कुलपति सम्मेलन में बोलते हुए पोखरियाल ने कहा कि हर साल 7-8 लाख भारतीय छात्र उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन अगर वे भारत में इसी तरह की सुविधाएं प्राप्त करेंगे तो वे वापस आ जाएंगे.

उन्होंने ऑनलाइन सम्मेलन में कहा, जब भारत उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों का दावा करता है, तो सात से आठ लाख भारतीय छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए विदेश क्यों जाना चाहिए? वे जो कुछ भी विदेश में प्राप्त कर सकते हैं, हम उन्हें भारत में ही देना चाहते हैं.

पोखरियाल ने कहा, ‘हम दुनिया के शीर्ष 100 भारतीय संस्थानों के साथ कोलोबोरेशन करने जा रहे हैं. हम उनका सर्वश्रेष्ठ भारत लाएंगे, लेकिन हम इसे अपनी शर्तों पर करेंगे. इसी तरह, भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थान भी विदेशों के संस्थानों के साथ सहयोग करेंगे.

उन्होंने कहा कि यह ‘स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया’ योजना का एक हिस्सा होगा जिसके तहत एक समिति का गठन किया गया है.

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दिप्रिंट ने बताया था कि इस पैनल को चार प्रमुख जिम्मेदारियों का काम सौंपा गया है. कोविड-19 के कारण जो लोग विदेश नहीं जा सकते, उन्हें समायोजित करने के लिए भारतीय संस्थानों में बढ़ती हुई सीटों के तरीकों को देखना, यह सुनिश्चित करने के लिए कि विदेशी विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले भारतीय छात्र, जो वर्तमान में भारत में हैं, यहां प्रयोगशाला सुविधाओं का उपयोग करने में सक्षम हैं, भारतीय संस्थानों में ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए विदेशी छात्रों से अपील करना और भारतीय छात्रों के लिए अध्ययन की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए का माहौल बनाना है.

टाई-अप

विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ नियोजित सहयोग ‘भारत में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों’ के लिए संभावनाओं में सुधार के एजेंडे के तहत होगा.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में विदेशी संस्थानों के साथ टाई-अप का भी उल्लेख किया गया है. एनईपी में भारत में परिसरों की स्थापना करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों का भी उल्लेख है. हालांकि, इसे एक विधायी ढांचे के माध्यम से करना होगा, जिस पर सरकार काम करेगी.


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अनुसंधान, संकाय, पाठ्यक्रम और छात्रों के संदर्भ में सहयोग कानून के बिना संभव है और वर्तमान में देश के कई विश्वविद्यालयों में चल रहा है. सरकार भारतीय और विदेशी संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहती है.

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे, जो ‘स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया’ समिति के सदस्य हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार भारतीय और शीर्ष विदेशी संस्थानों के बीच सहयोग की तलाश करना चाहती है ताकि छात्र जो उत्सुक हों विदेश जाने के लिए यहां समान सुविधाएं मिलती हैं और समिति ने पहले ही इस ओर काम करना शुरू कर दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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