3 अक्टूबर से प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि एक स्थायी निदेशक नियुक्त हो और संस्थान के रजिस्ट्रार को हटाया जाए. एनएसडी प्रबंधन ने छात्रों के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि बजट में कोई कटौती नहीं की गई है.
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंदी भाषी राज्यों में हाई कोर्ट की कार्यवाही भी हिंदी में होनी चाहिए. रिपोर्ट उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश करती है जो 'जानबूझकर हिंदी में काम नहीं करते हैं.'
दर्जनों एडहॉक शिक्षकों ने दावा किया कि इस महीने डीयू की स्थायी शिक्षकों की भर्ती शुरू होने के बाद उनकी नौकरी चली गई. इस प्रक्रिया में इतने सालों की उनकी सर्विस की 'गलत ढंग से' अनदेखी की गई है.
शिक्षा सलाहकारों और वित्तीय संस्थानों का दावा है कि टियर II और III के शहरों में रहने वाले छात्रों की विदेशों में शिक्षा के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है. इन छात्रों का कहना है कि विदेशी डिग्रियां उनके अच्छे भविष्य के लिए मददगार साबित होंगी.
आरएसएस के पूर्व प्रमुख से लेकर 19वीं सदी की मराठी कवयित्री तक, भाजपा शासित तीन राज्यों के विश्वविद्यालयों के नाम बदलकर कम जाने-पहचाने लोगों के नाम पर रखे गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मकसद स्थानीय लोगों के साथ जुड़ना है.
ये कदम अगस्त में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज की तरफ से महर्षि संदीपणि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड को समकक्ष बोर्ड का दर्जा दिए जाने के बाद उठाया गया है.
डेटा दर्शाता है कि बड़ी संख्या में माता-पिता सीबीएसई को दरकिनार कर रहे हैं और आगे विदेशी कॉलेजों में पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए बच्चों को आईबी और आईजीएससीई स्कूलों में एडमिशन दिला रहे हैं.लेकिन आलोचक‘क्लास सिस्टम’ को लेकर चिंतित हैं.
सरकार के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादातर दक्षिण एशियाई देश आज भी बड़ी संख्या में अपने छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं. लेकिन भूटान और मलेशिया से आने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है.
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष ने एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के विरोध में सार्वजनिक रूप से खुद को कोड़े मारे. हालांकि, उन्हें इस बात से दुख हुआ होगा कि न तो मोदी-शाह-नड्डा और न ही राष्ट्रीय भाजपा ने सार्वजनिक रूप से उन्हें सराहा है.