हिंदी की किताबें दुकानों से गायब होती जा रहे हैं, किताबों की चर्चा के लिए अब अखबारों में जगह नहीं, ऐसे में पुस्तकों को बचाने और पाठकों को उनसे जोड़ने के लिए हर संभव कोशिश जरूरी है चाहे वो व्यक्तिगत स्तर पर ही हो.
पाकिस्तान में और भारत में भी सबको पता था कि सवाल यह नहीं था कि हमले किए जाएंगे या नहीं बल्कि यह था कि वह कब किए जाएंगे. मोदी सरकार ने इन 14 दिनों का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया कि उसे कोई हड़बड़ी नहीं है.