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Saturday, 22 November, 2025
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समाज-संस्कृति

चुनावी दंगल में हरियाणा के बाउंसर्स की बढ़ी मांग, लगाएंगे नेताओं का बेड़ा पार

विधानसभा चुनाव के दौरान रेवाड़ी, पलवल, झज्जर, बहादुरगढ़ और फरीदाबाद के ग्रामीण पहलवान और बॉडी बिल्डर नेताओं के चहेते बन जाते हैं.

विनोद खन्ना की फिल्म ‘इम्तिहान’ उनकी प्रतिभा और अभिनय की बेजोड़ मिसाल है

विनोद खन्ना गिरगिट की तरह किरदार के रंग बदलते थे. जब कभी साथी कलाकारों को तवज्जो देनी हो तो परिदृश्य में घुल से जाते थे- जैसे मौजूद ही न हों.

स्वैग से लबरेज़ विनोद खन्ना ने विलेन, हीरो, सहायक अभिनेता और राजनेता के तौर पर छाप छोड़ी

काफी दिनों तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर होने के बाद भी विनोद खन्ना की अदाकारी पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. 5 सालों के बाद हुई वापसी के बाद उन्होंने दो हिट फिल्में दी थी.

एनडीएमसी के ‘सक्षम इको मार्ट’ में है प्लास्टिक का विकल्प, स्पेशल बच्चों की ‘कारीगरी’

पर्यावरण संरक्षण, आत्मनिर्भरता, महिला सशक्तीकरण और स्वदेशी जैसे बापू के आदर्शों को हकीकत में लागू करने के लिए एनडीएमसी ने तीन 'सक्षम ईको मार्ट' खोले हैं.

अमित शाह के सामाजिक समीकरण के दम पर भारत कैसे हुआ मोदीमय

उत्तर प्रदेश में अमित शाह ने जिस तरह से सामाजिक समीकरण का जाल बिछाया था, वह बाद में अन्य चुनावों के लिए मॉडल बन गया.

फोटोग्राफर बनने के लिए झाबुआ के आदिवासी बच्चों ने थामा कैमरा  

आदिवासी बच्चों को यूनिसेफ और वसुधा विकास संस्थान ने फोटोग्राफी का प्रशिक्षण दिया है. आने वाले दिनों में उनकी तस्वीरें अगर विभिन्न प्रदर्शनियों में भी नजर आएं तो अचरज नहीं होगा.

अब ‘रावण’ से पेट नहीं पलता साहब, रामलीला कर देती है पुतला बनाने को मजबूर

तितारपुर की गलियों में रावण बनाने की शुरुआत 'रावण वाले बाबा' ने की. 'रावण वाले बाबा' के किस्से पुतला बनाने वालों में काफ़ी लोकप्रिय.

महात्मा गांधी ने भागलपुर में 5-5 रुपए में ऑटोग्राफ देकर बाढ़ पीड़ितों के लिए पैसा जुटाया था

महात्मा गांधी को 'महात्मा' बनाने वाला बिहार का चंपारण ही केवल बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था. गांधी बिहार के भागलपुर भी आए थे और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया था.

मजरूह सुल्तानपुरी, ज़ख्मी दिलों पर गीतों का मरहम लगाने वाला शायर

मजरूह साहब की लेखनी में इंसानी एहसासात, गांव का भरा पूरा परिवेश, लादरीयत (आलस) भरी शाम, बंसी की मधुर धुन है और साथ ही जीवन का राग.

सौ साल पहले महात्मा गांधी ने बिहार में खोला था स्कूल, आज तक नहीं मिली मान्यता

गांधी चंपारण पहुंचने के बाद सबसे पिछड़े गांव भितिहरवा गए थे और वहां उन्होंने सबसे अधिक जोर शिक्षा, स्वच्छता व स्वास्थ्य पर दिया था.

मत-विमत

क्लाउडफ्लेयर आउटेज: भारत के लिए बड़ा अलर्ट — विदेशी डिजिटल सिस्टम पर खतरनाक निर्भरता उजागर

डिजिटल संप्रभुता सिर्फ सरकारी क्लाउड सिस्टम तक सीमित नहीं रह सकती. इसे नेटवर्किंग, सीडीएन, एआई और सुरक्षा की उन परतों तक फैलना होगा, जो पूरी अर्थव्यवस्था में गहराई तक फैली हुई हैं.

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राजनीति

देश

जनता, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, 21 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता जनता, खासकर महिलाओं की...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.