सबसे बड़े रंज की बात यह हुई कि आजादी आई, सियासी आजादी आई लेकिन जो आजादी का फायदा कौम को मिलना चाहिए था, कुछ मिला जरुर, इसमें शक नहीं, पूरे तौर से नहीं मिला और आप लोगों को काफी परेशानियां रहीं.
हिंदी की किताबें दुकानों से गायब होती जा रहे हैं, किताबों की चर्चा के लिए अब अखबारों में जगह नहीं, ऐसे में पुस्तकों को बचाने और पाठकों को उनसे जोड़ने के लिए हर संभव कोशिश जरूरी है चाहे वो व्यक्तिगत स्तर पर ही हो.