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Saturday, 22 November, 2025
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समाज-संस्कृति

गोवा के बच्चों ने जाना श्रम का महत्व, जीते 60 पार 60 से ज्यादा दादियों के दिल!

यह आयोजन जिस दृष्टिकोण के तहत किया गया था उसे 'मूल्यवर्धन के समग्र शाला दृष्टिकोण' नाम दिया गया है. इस दृष्टिकोण का अर्थ है स्कूल में स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंबित होना

आधार से किसका उद्धार: डाटा, मीडिया और सत्ता के गठजोड़ से खड़ी की गई योजना

किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है. इंसान अपनी निजता के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील...

हिंदी के लेखक ने कैसे शुरू की सोशल मीडिया पर ‘गमछा क्रांति’

12 नवंबर की रात को हिंदी साहित्य के लेखक नीलोत्पल मृणाल को कनॉट प्लेस के एक रेस्त्रां में घुसने से मना कर दिया गया जिनकी बगावत सोशल मीडिया पर छा गई और आखिर में जीत हुई.

डेटिंग एप्स के ज़माने में सादा-सरल सा प्यार दिखाती है फिल्म ‘छोटी सी बात’

1976 की ये बासु चटर्जी की फिल्म आज भी प्रासंगिक लगती है. ये सिर्फ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं है, बल्कि उस सुनहरे समय की साक्षी है जब प्यार और डेटिंग का मतलब धीरज रखना और जल्द हार न मानना होता था.

महाराष्ट्र के इस स्कूल के बच्चे अपने दोस्तों को चप्पल बनाकर करते हैं गिफ्ट

स्कूल में सभी बच्चों के पैरों में जूते या चप्पलें होने से हर एक के भीतर आत्मविश्वास झलकता है. इसके कारण लगभग सभी बच्चे नियमित स्कूल आ रहे हैं. पर, एक वर्ष पहले ऐसा नहीं था.

विदेशियों के रोज़गार का कारण बन रही है हिंदी, बाज़ार ने इसका विस्तार किया है

भारत के विशाल बाजार के कारण हिन्दी अब विदेशी लोगों के रोजगार की भी भाषा बन रही है और कई देशों में व्यापार प्रबंधन और मार्केटिंग से जुड़े लोग इसे सीख रहे हैं.

द्रौपदी प्रथा : जब कई भाइयों की हो एक दुल्हन, तो नहीं होती कोई घरेलू हिंसा

'जेंडर, कल्चर एंड ऑनर' किताब जाति, पितृसत्ता, धर्म, उम्र जैसे विभिन्न नजरिये से महिलाओं के रोजमर्रा के जीवन का विश्लेषण करती है.

प्रेम की कसौटी पर रची गई ‘परिणीता’ संगीत और बंगाल प्रेमियों के लिए एक नज़ीर है

बेहद ही भारी और दमदार आवाज में अमिताभ बच्चन 1962 के कलकत्ता शहर की पहचान इसके बाजार, कालीबाड़ी मंदिर, ट्राम, कॉफी हाउस, रसगुल्ला, पुचका, फुटबॉल, सियासत, प्रेम, लोलिता और शेखर से करते हैं.

टकले…गंजे होते लड़कों के दर्द को दिखाती ‘बाला’ तो ठीक है लेकिन डार्क स्किन का पाखंड क्यों

फिल्म सिर्फ गंजे पन की बात नहीं करती बल्कि उन भ्रामक विज्ञापनों की भी बात करती है जो चंद मिनटों में आपके रंग रूप को बदल देने का दावा करते हैं और फिर समाज से कहती है कि आखिर बदलना क्यूं है.

भारत पाक सीमा की खटास के बीच, घराना वेटलैंड में प्रवासी ‘मेहमानों’ने डाला डेरा

पर्यावरणविदों के लगातार प्रयासों से और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा किए गए हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार घराना वेटलैंड को लेकर सचेत हुई है.

मत-विमत

क्लाउडफ्लेयर आउटेज: भारत के लिए बड़ा अलर्ट — विदेशी डिजिटल सिस्टम पर खतरनाक निर्भरता उजागर

डिजिटल संप्रभुता सिर्फ सरकारी क्लाउड सिस्टम तक सीमित नहीं रह सकती. इसे नेटवर्किंग, सीडीएन, एआई और सुरक्षा की उन परतों तक फैलना होगा, जो पूरी अर्थव्यवस्था में गहराई तक फैली हुई हैं.

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जनता, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, 21 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता जनता, खासकर महिलाओं की...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.