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Friday, 31 January, 2025
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समाज-संस्कृति

कनॉट प्लेस में टिकटोक का हॉट अड्डा जिसमें है लंदन की फील और स्वैग

टिकटोक 12 से 22 साल के युवाओं में काफी पॉपुलर है. 100 स्कूली युवाओं की भीड़ में लड़कियां भी हैं जो टिकटोक सेलिब बनने की लालसा में कनॉट प्लेस की इस गली में आईं हैं.

गांधी मानते थे कि बात अपनी ही भाषा में अच्छे से कही जा सकती है

महात्मा गांधी अपनी भाषा और अपनी जुबान के समर्थक थे. उनका मानना था कि जो बात जिस भाषा में मूल रूप में कही गई है और जिसमें वह रची-बसी है, उसी में उसका सही अर्थ समझा जा सकता है.

देवानंद पर फिल्माए गए राग गारा पर आधारित कई गीत और सभी के सभी हुए बहुत हिट

राग गारा भारतीय संगीतकारों के पसंदीदा रागों में रहा है. इस राग को आधार बनाकर कई और शानदार फिल्मी गाने कंपोज किए गए हैं.

ऐसा राष्ट्रकवि जिसने लोगों के दिलों पर राज किया लेकिन खुद से ही हार गया

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को कहा था - 'जब-जब सत्ता लड़खड़ाती है तो सदैव साहित्य ही उसे संभालती है.'

दरियागंज पुस्तक बाज़ार को मिला नया पता, पुरानी जगह का नहीं छूट रहा मोह

दरियागंज में लगने वाले पुस्तक बाज़ार को जुलाई में बंद कर दिया गया था. लेकिन अब इसे नया पता मिल गया है. हालांकि, इस नए पते को लेकर विक्रेताओं में मतभेद है.

हिंदी की बात छिड़ी तो नेहरू ने क्यों कहा था, ‘अच्छा काम, गलत वक्त पर बुरा काम हो जाता है’

गांधी ने कहा था, 'हिंदुस्तानी भाषा न ही संस्कृतनिष्ठ और न ही परसियन होनी चाहिए. बल्कि ये इन दोनों की मिश्रण होनी चाहिए.

हिंदी दिवस: क्या बाज़ार ने हिंदी की संवेदना, रचनाशीलता, रचनात्मकता को कम किया है

रिपोर्ट बताती है कि 2021 तक इंटरनेट पर 38 फीसदी तक हिंदी भाषा के उपयोगकर्ता होंगे जो कि बाकी सभी भाषाओं की तुलना में सर्वाधिक है.

असमानता का जहर पीकर समानता का संसार रचते मलखान सिंह

मलखान सिंह की काव्य दृष्टि अत्यंत पीड़ादायी परिस्थितियों को देखकर बनी है. वे अपनी कविता में जाति के प्रश्न को बार-बार उठाते हैं. वे पूछते हैं कि क्या इस देश में हमारी पहचान केवल हमारी जाति से ही तय होगी?

क्रांति और विद्रोह के कवि ‘पाश’ सपनों के मर जाने को सबसे खतरनाक मानते थे

अवतार सिंह संधू 'पाश' उस सामाजिक और राजनीतिक आजादी के पैरोकार थे जिसके लिए उनके आदर्श रहे भगत सिंह ने अपनी शहादत तक दे दी थी.

सावित्री बाई फुले के साथ मिलकर महिलाओं का पहला स्कूल खोलने वाली फातिमा शेख

फातिमा शेख का काम सावित्रीबाई के बराबर का तो हैं ही, कई मायने में ज़्यादा साहसिक और परोपकारी भी माना जा सकता है.

मत-विमत

भारतीय पायलटों की ज़िंदगी: थकान, तनाव और कम आय ने बढ़ाई मुश्किलें

जहां विदेशी पायलटों को काफी अधिक वेतन पर रखा जाता है, वहीं भारतीय पायलटों के वेतन पिछले एक दशक से स्थिर हैं, और कोविड-19 महामारी के बाद भत्तों में भी कटौती की गई है.

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राजनीति

देश

‘आप’ विधायक दिल्ली चुनाव के लिए शिवसेना के संपर्क में थे, लेकिन उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया:शिंदे

मुंबई, 30 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को दावा किया दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.