करीब तीन हजार की आबादी के इस गांव में अधिकतर बौद्ध समुदाय के परिवार हैं. इनमें से ज्यादातर छोटे किसान और मजदूर हैं. वर्ष 1935 में स्थापित इस गांव के स्कूल में कुल 91 बच्चे हैं.
छपाक उस मजबूत महिला की कहानी है जिसे जीवन में जो वो चाहती है वो भले ही न मिलो हो, पर वो उस पाने के इर्द गिर्द एक रास्ता ज़रूर ढूंढ लेती है. ये फिल्म आपकी अंतरात्मा को झकझोर कर रख देगी.
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं और ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीतों को लिखने वाले कवि प्रदीप उन कवि और गीतकारों में से हैं जिनके गीतों ने ब्रिटिश सरकार के लिए मुश्किलें पैदा की.
जिला-मुख्यालय सांगली से कोई 40 किलोमीटर दूर एक स्कूल है- शासकीय प्राथमिक स्कूल 'रेठरे हरणाक्ष.' यहां बीते तीन साल में बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़कर सौ के पार हो चुकी है.
एक समय था जब भारतीय लोग तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी होने का सपना देखते थे. अब, चीनी इतने आगे हैं कि वे हमें प्रतिस्पर्धी भी नहीं मानते. यह उनके और अमेरिका के बीच की बात है.