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Wednesday, 27 November, 2024
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समाज-संस्कृति

सरोद वादक अमजद अली खान बोले, मेरा ‘पहला प्यार तबला’ था

खान ने कहा, सुर और ताल की अपनी दुनिया है. स्वाभाविक रूप से लोग सुर की दुनिया में अधिक व्यस्त हैं. भगवान का शुक्र है कि मैं ताल की दुनिया में रहता हूं क्योंकि ताल के माध्यम से मैं हेरफेर नहीं कर सकता.

हिंदी की पहली संपूर्ण महाभारत पर कितनी है ओड़िया महाभारत की छाप

रामचरितमानस की रचना के करीब सौ बर्ष बाद सबल सिंह ने लगभग चौबीस हज़ार दोहों और चौपाइयों में महाभारत की संपूर्ण कथा को प्रस्तुत किया.

‘नोटबंदी, 370, लॉकडाउन,’ नरेंद्र मोदी की विशेषता है कि वो विषम परिस्थितियों को अपने लिए अवसर में बदल लेते हैं

'भारत के प्रधानमंत्री देश, दशा, दिशा' में लेखक रशीद किदवई लिखते हैं कि तीन तलाक हो या फिर दुनिया भर में योग को मान सम्मान दिलाने की बात, मोदी ने ये बखूबी की है. इस्लामिक देशों के साथ भारत के सम्बन्ध भी मजबूत हुए हैं.

जावेद अख्तर ने किया अपना बचाव, बोले-उदारवादी होना भारतीयों के DNA में है

जावेद अख्तर ने अपने पिछले दिए इन्टरव्यू का बचाव किया जिसमें उन्होंने तालिबान और हिंदू चरमपंथियों के बीच तुलना की थी. उन्होंने कहा कि हिंदू दुनिया में सबसे सभ्य और सहिष्णु लोग हैं.

गुलज़ार- एक ऐसा तिलिस्म जो हमारे समय का फिक्र और फख्र दोनों हैं

गुलज़ार साहब के डायरेक्टोरियल डेब्यू 'मेरे अपने ' के रिलीज की आज 50वीं सालगिरह है. गुलज़ार के असर से अप्रभावित रहना मुमकिन ही नहीं है, यह असर उन्होंने निर्देशक के रूप में भी छोड़ा है.

जिंदादिल संगीत रचने वाले सलिल चौधरी जिनकी धुनों का असर आज भी है

सलिल चौधरी का संगीत रूह तक उतर जाने वाला है. इसमें ठहराव है, मस्ती है, चुलबुलापन है और नई-नई अलबेली धुनें हैं.

हरियाणा में मिले 1 लाख साल पुराने सभ्यता के अवशेष, भारतीय संगीत के इतिहास पर भी फिर से विचार की जरूरत

वेदों में वर्णित संगीत और वर्तमान संगीत में हुए विकास को अपनाया जा रहा है तो प्रस्तर युगीन मानव के संगीत के लुप्त हो जाने और उसके परिवर्तित एवं विकसित रूप को ग्रहण करने में आपत्ति क्यों?

चित्रों और शिल्प में डूबे सदाशिव साठे जिन्होंने गांधी, शिवाजी से लेकर तिलक की चर्चित मूर्तियां बनाईं

सदाशिव साठे की कला में एक देशज ठाठ दिखाई देता है. उनकी चित्रकला और मूर्तिकला, दोनों विषयों पर समान अधिकार था.

‘माज़ा, बरकते, ज़ोरबी’: इमरोज़ का होना अमृता प्रीतम के जीवन की सबसे बड़ी तसल्ली थी

अमृता प्रीतम की लंबी जिंदगी में कई पड़ाव हैं. इस संसार में नए-नए और अलबेले रंग हैं, मिट्टी की खुशबू है, रिश्तों का सौंधापन है, स्मृतियों का खजाना है, यात्राओं की उत्सुकता और थकान है.

‘हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है’- कैसे राज कपूर के ‘पुश्किन’ बन गए गीतकार शैलेंद्र

शैलेंद्र की लेखनी पूरी तरह कवि धर्मिता के अनुरूप थी. उसमें समकालीन मुद्दों की झलक थी, संघर्षों की आवाज थी, गरीबी का दर्द था, प्यार की तड़प थी और भविष्य के लिए आशा थी.

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मुंबई में कार डिवाइडर से टकराई, दो छात्रों की मौत

मुंबई, 26 नवंबर (भाषा) मुंबई के विलेपार्ले इलाके में वेस्टर्न एक्सप्रेसवे राजमार्ग (डब्ल्यूईएच) पर तेज गति से गुजर रही एक कार के डिवाइडर से...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.