पेश है दिप्रिंट का इस बारे में राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार सम्बन्धी घटनाओं को कवर किया, और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अख्तियार किया.
मेरे मन में समाचार-पत्रों में आर्टिकल लिखने की इच्छा है, लेकिन संभव नहीं हो पाता. इसकी कसक मन में रहती है. अभी तक पूरी नहीं हो पाई. पढ़ाई-लिखाई अब आदत में आ गई है. मजा आता है.
देश-दुनिया के कई फिल्म समारोहों का हिस्सा रही यह फिल्म असल में बहुत सारे किरदारों के जीवन का कोलाज दिखाती है. इन किरदारों में से हर किसी की अपनी कहानी है, अपनी बेबसी.
पृथ्वीराज चौहान के किरदार में अक्षय कुमार की जगह कोई और होता तो...? इस काल्पनिक सवाल को छोड़िए और देखिए कि अक्षय कुमार ने इतना भी बुरा काम नहीं किया है.
योगेश ने ज्यादातर अपने गीत संगीतकारों द्वारा दिए गए धुनों पर लिखे. आनंद से मिली सफलता के बाद उनके गीतों ने रजनीगंधा, छोटी सी बात, मंजिल, मिली, बातों बातों में जैसी फिल्मों में जान फूंक दी.
हिंदी जगत के लेखक, गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने को भारतीय भाषाओं के लिए एक बड़ी परिघटना मान रहे हैं और कह रहे हैं कि आज हिंदी की असल सुबह हुई है वहीं स्त्री लेखन और अनुवाद के लिए भी ये सम्मान बड़ी उपलब्धि है.
इस बजट की सुर्खी बनने लायक एकमात्र बात मिडिल-क्लास को इनकम टैक्स में दी गई राहत है और सबसे साहसिक और सकारात्मक पहलू है परमाणु ऊर्जा एक्ट और ‘सिविल लायबिलिटी ऑन न्यूक्लियर डैमेज एक्ट’ में संशोधन का इरादा.