शाहिस्ता पूछा 'तुम ओम् शास्त्री के रूप में वाराणसी में क्या कर रहे थे?' 'खोज.' 'खोज! किसकी?' 'सुभाष चंद्र बोस की.' सभी सहकर्मियों ने आश्चर्य से एक-दूसरे की ओर देखा. शाहिस्ता नहीं जानती थीं कि वे आगे क्या पूछें या कहें?
टीवी की दुनिया में 'सास भी कभी बहू थी' से #KBC तक जैसा शो देने वाले एप्लॉज़ एंटरटेनमेंट के 5 साल पूरे होने पर सीईओ समीर नायर ने कहा कि उनका फोकस हर तरह के कंटेंट के साथ-साथ ओटीटी, फिल्म्स और टीवी पर भी होगा.
शिवसेना में बगावत करवाकर और शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि वो फिर एक बार सत्ता में आ गई.
रक्षा बंधन फिल्म लड़के की आस में ऊल-जलूल हरकतें करते लोगों पर कटाक्ष करती है, दहेज की मांग करने वाले परिवारों पर वार करती है, लड़कियों को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाने की बात भी करती है.
यह फिल्म लाल सिंह चड्ढा के साथ-साथ चलते हुए भारत देश के समय और हालात को दिखाती है. दरअसल, यह फिल्म कहती तो बहुत कुछ है, लेकिन वह ‘कहना’ सुनाई नहीं देता.
राजपाल यादव ने कहा कि जब से दुनिया बनी तब से हंसी का बोलबाला है क्योंकि हम सबको मुस्कुराहट के लिए लाफ्टर तो चाहिए ही. मैं मानता हूं कि कठिन रूपी जीवन जीने के लिए आर्ट एक लाइफ सपोर्टर है.