उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए मैंने तैमूर की सरजमीं देखी, जिसे भारतीय इतिहास की किताबों में हमेशा दिल्ली के 'लुटेरे' के रूप में याद किया जाता है.
छेल्लो शो के ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होते ही, कोई इसे विदेशी फिल्म की नकल बता रहा है तो किसी को ‘आरआरआर’ या ‘द कश्मीर फाइल्स’ के न भेजे जाने का अफसोस सता रहा है.
पेश है दिप्रिंट का इस बारे में साप्ताहिक राउंड-अप कि उर्दू मीडिया ने पिछले एक सप्ताह के दौरान विभिन्न घटनाओं के सम्बन्ध में किसी तरह की खबरे छापी, और उनमें से कुछ ने इन के बारे में किस तरह की संपादकीय टिप्पणियां की.
मट्टो की साइकिल और उसकी जिंदगी के बरअक्स यह फिल्म असल में हर उस गरीब इंसान की कहानी दिखाती है जो तेजी से दौड़ रहे देश में अपने हिस्से के विकास का इंतजार कर रहा है.