scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमसमाज-संस्कृति

समाज-संस्कृति

‘अघोषित आपातकाल’- जकिया जाफरी की याचिका पर फैसले के बाद सीतलवाड़ और श्रीकुमार की गिरफ्तारी पर उर्दू प्रेस ने क्या लिखा

दिप्रिंट अपने राउंड-अप में बता रहा है कि इस हफ्ते उर्दू मीडिया ने विभिन्न खबरों को कैसे कवर किया, और उनमें से कुछ पर उसका संपादकीय रुख क्या रहा.

कश्मीर की वो लंगड़ी रानी जिसने एकलव्य की तरह सीखी युद्ध कला और गजनी की विशाल सेना को 44 मिनट में धूल चटाई

दिद्दा एवं दुर्जन के बीच युद्ध छिड़ गया. वह हार गया और उसे तुरंत ही हिरासत में ले लिया गया और राजा के समक्ष तुरंत ही पेश किया गया.

मसालों और फॉर्मूलों से भरी आदित्य रॉय कपूर की एक्शन फिल्म ‘राष्ट्र कवच ओम’

आदित्य रॉय कपूर अपनी (सीमित) रेंज में रह कर अच्छा काम कर ही जाते हैं. उनका बलशाली अवतार देखना अच्छा लगता है.

सैनिकों के हौसले को बताती है ‘कुछ अनसुनी फौजी कहानियां’

यह रचना बिष्ट रावत की किताब 'कुछ अनसुनी फौजी कहानियां' का अंश है.

मनोरंजन से ज्यादा कन्फ्यूजन से भरी है मल्टी स्टारर फिल्म ‘जुग जुग जिओ’

हाल के बरसों में तो ऐसी कहानियां बहुतायत में आने लगी हैं जिनमें हर आड़ी-टेढ़ी बात को शादी वाले घर की पृष्ठभूमि में दिखाया-बताया जाने लगा है.

हिंदू और मुस्लिमों के लिए दो अलग-अलग राष्ट्रों का विचार मात्र ही BJP के सिद्धांतों के ‘प्रतिकूल’ है

7 जून 2005 को आडवाणी ने भारत लौटने के बाद भाजपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. बहरहाल, 8 जून को पार्टी में चर्चा के बाद सर्वसम्मति से आडवाणी से अनुरोध किया गया कि वह अपने पद पर बने रहें.

‘जिंदगी में टूटना बहुत जरूरी’: फिल्म अभिनेता रघुबीर यादव ने कहा- अलग-अलग काम करने की फितरत रही है

रघुबीर यादव ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दी हैं और उन्होंने थियेटर से लेकर 70 एमएम तक हर माध्यम में अपना जौहर दिखाया है. वो रघुबीर ही हैं जिनकी आठ फिल्में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट की जा चुकी हैं.

‘BJP के लिए नफरत की राजनीति की कीमत समझने का समय आ गया है’- नूपुर और जिंदल की ‘ईशनिंदा’ पर उर्दू प्रेस की टिप्पणी

पेश है दिप्रिंट का इस बारे में राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार सम्बन्धी घटनाओं को कवर किया, और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अख्तियार किया.

DM के पद से लोगों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है: डॉ. हीरा लाल

मेरे मन में समाचार-पत्रों में आर्टिकल लिखने की इच्छा है, लेकिन संभव नहीं हो पाता. इसकी कसक मन में रहती है. अभी तक पूरी नहीं हो पाई. पढ़ाई-लिखाई अब आदत में आ गई है. मजा आता है.

‘घोड़े को जलेबी खिलाने ले जा रिया हूं’ दिल्ली की गलियों के जरिए लोगों की जिंदगी में झांकने वाली फिल्म

देश-दुनिया के कई फिल्म समारोहों का हिस्सा रही यह फिल्म असल में बहुत सारे किरदारों के जीवन का कोलाज दिखाती है. इन किरदारों में से हर किसी की अपनी कहानी है, अपनी बेबसी.

मत-विमत

वीडियो

राजनीति

देश

केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश में 3,689 करोड़ रुपये की दो पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश में 3,689 करोड़ रुपये के...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.