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Tuesday, 30 September, 2025
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समाज-संस्कृति

मैंने बाबर और तैमूर की सरजमीं का दौरा किया जो उज्बेकिस्तान के ‘राष्ट्रीय नायक’ हैं

उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए मैंने तैमूर की सरजमीं देखी, जिसे भारतीय इतिहास की किताबों में हमेशा दिल्ली के 'लुटेरे' के रूप में याद किया जाता है.

उर्दू प्रेस ने कहा- ‘भारत जोड़ो’ जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर तीखी आलोचना करेगी BJP

दिप्रिंट का जायज़ा कि उर्दू मीडिया ने हफ्ते भर की खबरों को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ ने क्या संपादकीय रुख इख़्तियार किया.

थ्रिलर फिल्म देखने के शौकीनों को निराश नहीं करेगी ‘धोखा’

सस्पैंस, थ्रिलर जैसे स्वाद वाली फिल्में देखने के शौकीनों को यह फिल्म भाएगी, लुभाएगी और मज़ा भी देगी.

ऑस्कर में जाते ही विवादों में क्यों घिरी गुजराती फिल्म ‘छेल्लो शो’

छेल्लो शो के ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होते ही, कोई इसे विदेशी फिल्म की नकल बता रहा है तो किसी को ‘आरआरआर’ या ‘द कश्मीर फाइल्स’ के न भेजे जाने का अफसोस सता रहा है.

एक बच्चे की कहानी- गुजराती फिल्म छेल्लो शो ऑस्कर 2023 के लिए भेजी गई

छेल्लो शो एक बच्चे की कहानी है, जो अपने सिनेमा प्रेम के लिए कुछ भी कर सकता है. छेल्लो शो का अर्थ होता है आखिरी फिल्म शो.

‘क्या एक और बाबरी बन जाएगी ज्ञानवापी’, उर्दू प्रेस ने उठाये सवाल; UP कोर्ट ने हिंदू महिलाओं की याचिका को दी मंजूरी

पेश है दिप्रिंट का इस बारे में साप्ताहिक राउंड-अप कि उर्दू मीडिया ने पिछले एक सप्ताह के दौरान विभिन्न घटनाओं के सम्बन्ध में किसी तरह की खबरे छापी, और उनमें से कुछ ने इन के बारे में किस तरह की संपादकीय टिप्पणियां की.

पुलवामा अटैक, कश्मीरी विरोधी दंगे और आर्टिकिल 370 का हटना, जम्मू-कश्मीर में कैसे बदली राजनीति

जम्मू कश्मीर में आर्टिकिल 370 को खत्म किए जाने के बाद से शासन और प्रशासन के तौर-तरीके में काफी बड़े बदलाव आए हैं. पत्थरबाजी की घटनाएं भी कम हुई हैं.

खिड़की के उस तरफ का सच दिखाती ‘मट्टो की साइकिल’

मट्टो की साइकिल और उसकी जिंदगी के बरअक्स यह फिल्म असल में हर उस गरीब इंसान की कहानी दिखाती है जो तेजी से दौड़ रहे देश में अपने हिस्से के विकास का इंतजार कर रहा है.

सारे मसाले, बेहिसाब स्पेशल इफेक्ट, आधा दर्जन सुपरस्टार लेकिन ‘ब्रह्मास्त्र’ में स्टोरी कहां है

ब्रह्मास्त्र की कहानी में तर्क यानी लॉजिक ढूंढने की जरूरत नहीं है. लॉजिक इसमें है भी नहीं. इस तरह की फिल्मों में लॉजिक की जरूरत भी नहीं होती.

‘मैं बंदूकें बो रहा हूं’ – शोधकर्ता भगत सिंह की पिस्तौल की तलाश में क्यों लगे

शोधार्थियों ने भगत सिंह से संबंधित निशानियों और यादगारी चीजों को भी ढूंढ़ना शुरू किया था, लेकिन कोई भी उस पिस्तौल के बारे में पता नहीं लगा सका.

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चैतन्यानंद सरस्वती के फोन से उसकी करतूतों का खुलासा, चुपके से खींचीं छात्राओं की तस्वीरें

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) दिल्ली के एक निजी संस्थान में 17 छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती ने महिलाओं व कर्मचारियों...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.