विशेषज्ञों का मानना है कि यद्यपि मौजूदा समय में 14 सेक्टरों में लागू पीएलआई स्कीम लाभकारी रही हैं, प्रशासनिक अक्षमताओं, अनुपालन बोझ को घटाने से उद्योगों को और मदद मिलेगी.
कई प्रोजेक्ट में धीमी प्रगति के बावजूद विशेषज्ञ आशावादी हैं. उनका कहना है कि भारत ने बुनियादी ढांचे के मामले में महज न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के बजाये भविष्य को ध्यान रखकर और नेक्स्ट लेवल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना शुरू किया है, जिसमें समय लगता ही है.
इस बार यानी 2023-24 का बजट लोक सभा चुनाव के पहले का पूर्ण बजट होगा. ज़ाहिर है कि मोदी सरकार चाहेगी कि कई सारी ऐसी घोषणाएं इसमें हों जो लोक लुभावन ही नहीं, वोट खींचने वाली हों.
वित्त मंत्रालय ने सूचित किया है कि नवंबर तक डायरेक्ट टैक्स वसूली में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई है. वित्त वर्ष 2022-23 में कुल वसूली पिछले साल की तुलना में 22.26 फीसदी बढ़ी. यह बजट अनुमानों का 61.79 फीसदी है.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?