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Friday, 29 March, 2024
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शेयर निवेशकों को संतुलित बजट की उम्मीद, रोजगार सृजन पर जोर देगी सरकार

आमतौर पर आम बजट से पहले शेयर बाजारों में खामोशी ही देखने को मिलती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी.

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नई दिल्ली: शेयर बाजार के निवेशकों को इस बार संतुलित बजट की उम्मीद है. उनका मानना है कि सरकार आम बजट में रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने, घाटे पर काबू पाने और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर देगी.

आम बजट से पहले शेयर बाजारों में सुस्ती का रुख है. इस महीने बीएसई सेंसेक्स लगभग सपाट रहा है. यहां तक कि कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बाजारों को उत्साहित करने में विफल रहे. हालांकि, आईटी और बैंक जैसे कुछ सूचकांकों में सकारात्मक हलचल देखी गई.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक घरेलू शेयर बाजारों से 16,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. इसके अलावा मुद्रास्फीति और वैश्विक मंदी की आशंका से भी निवेशक सतर्क हैं.

आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के इक्विटी शोध प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि इक्विटी निवेशक आम चुनाव से अपने आने वाले बजट 2023 में पूंजीगत लाभ के लिए एक समान कर संरचना की उम्मीद कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा निवेशक राजकोषीय समेकन भी चाहेंगे, जो अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी है. निवेशक वृद्धि की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए नीतिगत सुधारों की उम्मीद भी कर रहे हैं. इन नीतिगत सुधारों में सब्सिडी, विनिवेश लक्ष्यों के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण में तेजी लाना शामिल है.

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आमतौर पर आम बजट से पहले शेयर बाजारों में खामोशी ही देखने को मिलती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी.

कुल मिलाकर पिछले 10 वर्षों में बजट से पहले तेजी देखी गई, और बजट के बाद पिछले 10 वर्षों में छह बार गिरावट हुई.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ”बाजार की नजर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे पर रहेगी. छह प्रतिशत से ऊपर का आंकड़ा बाजार को निराश करेगा. लेकिन, इसकी आशंका कम है.”

उन्होंने आगे कहा कि पूंजीगत लाभ कर में अगर बढ़ोतरी की गई, तो इस प्रस्ताव का बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

जार्विस इंवेस्ट के संस्थापक और सीईओ सुमित चंदा ने कहा कि यदि वेतनभोगी वर्ग और कॉरपोरेट के हाथों में अधिक खर्चयोग्य आय होगी तो इससे बाजार चढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि वेतनभोगी वर्ग के कर स्लैब में कोई भी बदलाव या पूंजीगत व्यय अथवा कम करों के रूप में कॉरपोरेट को कोई भी प्रोत्साहन सकारात्मक माना जाएगा और बाजार में बजट के बाद तेजी की उम्मीद की जा सकती है.

वहीं इस बजट से उम्मीद लगाते हुए NeoGrowth के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री अरुण नय्यर कहते हैं कि आगामी बजट में सरकार कॉमर्शियल बैंको को एमएसएमई केंद्रित उधार देने के लिए निर्देश दे सकती है. यही नहीं यदि सरकार एमएसएमई को ऋण देने में सक्षम बनाने के लिए इक्विटी, ऋण या गारंटी के रूप में पूंजी निर्धारित करे तो यह भी एक उत्साहजनक कदम हो सकता है.

वह कहते हैं, “भारत में MSMEs  अल्पवित्तपोषित और अनसर्व्ड हैं, और भारत में एक बड़ा पता योग्य क्रेडिट अंतर मौजूद है. एसएमई पर केंद्रित एनबीएफसी और नए जमाने के डिजिटल ऋणदाता अपनी गहरी बाजार पैठ, मजबूत ग्राहक संपर्क और नवीन प्रौद्योगिकी और डिजिटल पेशकशों के माध्यम से इस अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. सरकार द्वारा इन खिलाड़ियों तक पूंजी की पहुंच एमएसएमई के समावेशी विकास को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.”

आगामी बजट में, सरकार एसएमई केंद्रित उधारदाताओं को उधार देने के लिए वाणिज्यिक बैंकों के लिए निर्देश पेश कर सकती है. एक और उत्साहजनक निर्देश यह हो सकता है कि सरकार एमएसएमई को ऋण देने में सक्षम बनाने के लिए इक्विटी, ऋण या गारंटी के रूप में पूंजी निर्धारित करे.


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